स्टेम सेल के जरिए स्पाइनल कॉर्ड के इलाज में सफलता
२५ मार्च २०२५स्टेम सेल के इलाज ने मेरुरज्जु यानी स्पाइनल कॉर्ड की समस्या झेल रहे दो मरीजों के मोटर फंक्शन को बेहतर किया है. प्रयोग करने वाले जापानी वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पहली बार हुआ है. स्टेम सेल वो कोशिकाएं हैं जिनमें अपने जैसी कोशिकाएं पैदा करने की क्षमता होती हैं. इसके साथ ही एक खास प्रक्रिया के तहत जिसे डिफरेंशिएशन कहा जाता है, वो अलग काम करने वाली दूसरे तरह की कोशिकाओं में भी खुद को बदल सकती हैं,. स्टेम सेल शरीर के सभी अंगों के ऊतकों में मौजूद रहते हैं. इन कोशिकाओं की मदद से कई तरह के इलाज विकसित हुए हैं.
चार मरीजों पर इलाज की यह तकनीक अपनाई गई थी जिनमें से दो की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. स्पाइनल कॉर्ड को गंभीर नुकसान पहुंचने की वजह से जब लकवा मार जाए तो फिर उसका कोई असरदार इलाज फिलहाल मौजूद नहीं है. इस तरह के 150,000 से ज्यादा मरीज केवल जापान में हैं. हर साल 5,000 से ज्यादा ऐसे मामले वहां सामने आते हैं.
बंदर के भ्रूण में इंसानी स्टेम सेल रोपने की कोशिश
स्टेम सेल से इलाज
टोक्यो की कीयो यूनिवर्सिटी इंड्यूस्ड प्लूरीपोटेंट सेल (आईपीएस) प्रयोग कर रही है. इसके लिए परिपक्व हो चुकी विशेष कोशिकाओं को वापस बाल अवस्था में ले जाया जाता है. उन्हें फिर अलग अलग तरह की परिपक्व कोशिकाओं में विकसित किया जा सकता है. कीयो के रिसर्चरों ने तंत्रिका तंत्र से निकले आईपीएस कोशिकाओं को इस्तेमाल किया है.
यूनिवर्सिटी ने मीडिया को बताया कि दो मरीजों के स्पाइनल कॉर्ड में 20 लाख से ज्यादा आईपीएस कोशिकाओं को इंप्लांट किया गया. इसके नतीजे में उनके मोटर फंक्शन में सुधार हुआ है.
जिन चार मरीजों को यह इलाज दिया गया उनमें किसी तरह का नकारात्मक असर नहीं दिखाई पड़ा है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि उन्हें एक साल से निगरानी में रखा गया है.
रिसर्चरों का मुख्य उद्देश्य कोशिकाओं को डालने की सुरक्षा का अध्ययन करना था. जापान के सार्वजनिक प्रसारक एनएचके ने रिपोर्ट दी है कि जिन दो लोगों की स्थिति में सुधार हुआ है उनमें से एक बुजुर्ग शख्स है जो एक दुर्घटना में घायल हुआ था और उसकी स्पाइनल कॉर्ड को काफी नुकसान पहुंचा.
पहली बार एक नवजात में लीवर स्टेम सेल का प्रतिरोपरण
जल्द शुरू होगा क्लिनिकल ट्रायल
एनएचके के मुताबिक कियो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और रिसर्च के प्रमुख हिदेयुकी ओकानो का कहना है, "हम आईपीएस के साथ दुनिया के पहले स्पाइनल कॉर्ड ट्रीटमेंट में नतीजे हासिल करने में सफल हुए हैं."
ओकानो ने कहा है कि टीम क्लिनिकल ट्रायल शुरू होने की उम्मीद कर रही है, जो इस इलाज को मरीजों तक पहुंचाने की दिशा में एक अहम कदम होगा. यूनिवर्सिटी को 2019 में शुरुआती रिसर्च के लिए सरकार की मंजूरी मिली थी. इस रिसर्च के तहत पहला ऑफरेशन 2022 में हुआ था.
मरीजों का ब्यौरा गुप्त रखा गया है. टीम उन लोगों पर ध्यान दे रही है जो ऑपरेशन से 14-28 दिन पहले जख्मी हुए हैं. मरीजों में कितनी कोशिकाएं डाली जाएंगी यह तय करने के लिए रिसर्चरों ने पहले जानवरों पर प्रयोग करके देखा था.
रिसर्चरों को उम्मीद है कि इलाज का यह नया तरीका स्पाइनल कॉर्ड को नुकसान की वजह से लकवे का शिकार बने मरीजों के लिए वरदान साबित होगी.
एनआर/आरपी (एएफपी)