सूखे से पीड़ित किसानों को मदद का वादा
१५ अगस्त २००९प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने भाषण में कहा कि सरकार राजनीतिक स्थिरता और अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए काम करेगी और उसका लक्ष्य है एक 'सुनहरा भविष्य' बनाना. सूखे के बढ़ते प्रकोप के मद्देनज़र सिंह का कहना था कि सरकार किसानों को सहायता देने की हर संभव कोशिश करेगी और बढ़ती क़ीमतों पर लगाम लगाने की भी.
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जनता ने जातिगत राजनीति को छोड़ कर एक ऐसी सरकार चुनी है जो कि धर्मनिरपेक्ष है. उन्होंने 'आपसी सहयोग और सौहार्द्र के एक नए समय' की बात कही और आश्वासन दिलाया कि वे 'सामंजस्य और सहयोग का माहौल' बनाने के लिए सबको साथ ले कर चलेंगे. उन्होंने कहा, "आप लोगों ने हमें एक ज़िम्मेदारी सौंपी है और हम इसे पूरी विनम्रता के साथ स्वीकार करते हैं और इसे पूरा करने का आश्वासन देते हैं."
सूखे, आर्थिक संकट और स्वाइन फ्लू की समस्या पर बात करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि इन समस्याओं का हल ढूंढा जाना चाहिए. स्वाइन फ्लू के मामले में उन्होंने लोगों से शांत रहने की अपील की और कहा कि इससे आम जन जीवन प्रभावित नहीं होना चाहिए.
वैश्विक आर्थिक संकट के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार हर क़दम उठाएगी कि विदेशी निवेश भारत में बढ़े और साथ ही निर्यात में बढ़ोतरी हो. सरकार के सामने 'सबसे बड़ी चुनौती' है नौ फ़ीसदी विकास दर भारत बनाए रखना.
प्रधानमंत्री ने उम्मीद ज़ाहिर की कि अगले चार महीनों में स्थिति सुधर जाएगी. "हमें उम्मीद है कि इस साल के आख़िर तक स्थिति में बेहतरी आएगी." उन्होंने उद्योगपतियों और कारोबारियों से आग्रह किया कि वे स्थिति को अच्छा बनाने के लिए योगदान दें और अपना सामाजिक कर्तव्य पूरा करें.
कम बारिश के कारण पैदा हुए सूखे के हालात से निपटने के लिए सरकार किसानों को हर संभव सहायता देगी. इसके लिए बैंक के लोन अदा करने की तारीख़ आगे बढ़ाई जाएगी और कम समय के लिए लोन पर सरकार मदद देगी ताकि वे मासिक किश्तों का भुगतान कर सकें.
काला धंधा करने वालों को प्रधानमंत्री ने कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है और राज्य सरकारों को आदेश दिये हैं कि वे ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई करे. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्र को आश्वासन दिया कि देश में काफ़ी खाद्यान्न है और गेहूं, चावल, दालों और रोज़मर्रा की बाकी चीज़ों की क़ीमतों पर लगाम कसने की सभी कोशिशें की जाएंगी. उन्होंने कहा, "हम नहीं चाहते कि देश में कोई भी भूखा हो."
रिपोर्टः पीटीआई/ आभा मोंढे
संपादनः ए कुमार