सीरिया में ताजा हमले, सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं
२५ अप्रैल २०११अभी तक इस बात का पता नहीं लग पाया है कि हिंसा में कितने लोगों की मौत हुई है. अपना नाम ना बताने की शर्त पर एक प्रदर्शनकारी ने बताया, "सैन्य बल घरों की छतों पर छुप कर बैठे हैं और वहां से गोलियां चला रहे हैं. शहर के बीचोबीच टैंक खड़े हैं. सड़कों पर लाशें पड़ी हैं लेकिन हम उन्हें वहां से निकाल नहीं सकते." एक और प्रदर्शनकारी अब्दुल्लाह अल हरीरी ने बताया, "यहां बिजली और टेलेफोन के लाइनों को काट दिया गया है." इसके बाद भी किसी तरह कई सरकार विरोधियों ने टेलीफोन के जरिए समाचार एजेंसियों से संपर्क किया और वहां के हालात की सूचना दी.
नागरिक अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे कार्यकर्ताओं ने बताया कि सोमवार को सुरक्षा बलों ने दमिश्क के पास दोउमा और अल मौदामियाह में भी छापे मारे. यह हमले तब हो रहे हैं जब राष्ट्रपति बशर अल असद देश से आपातकाल हटाने की घोषणा कर चुके हैं. इससे पहले सुरक्षा बलों ने रविवार को जाबला शहर में कम से कम नौ लोगों को गोलियों से मार गिराया.
सत्ता नहीं छोड़ेंगे असद
राष्ट्रपति असद ने गुरुवार को आपातकाल हटाने के आदेश दिए. इसके बाद शुक्रवार को लोग हजारों की तादाद में सड़कों पर निकल आए. इसी दौरान उन पर हमले हुए. फिर अगले दिन मारे गए लोगों के जनाजे में शामिल लोगों पर भी हमला किया गया. शुक्रवार से रविवार तक सरकारी सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 130 विपक्षी नेता और विरोध प्रदर्शनकारी मारे गए. आज की हिंसा के बाद आंकडा कितना बढ़ता है यह देखना अभी बाकी है.
जानकारों का मानना है कि असद केवल लोगों को बहला रहे हैं, उनके सत्ता छोड़ने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे. "सीरियन एक्सेप्शन" की लेखिका कैरोलाइन डोनाती कहती हैं, "शुरुआत से ही सीरिया की सरकार के दोहरे मापदंड रहे हैं. 1963 में सत्ता में आने के बाद से ही सरकार ने दोहरी नीतियां अपनाई हैं. एक तरफ तो सुधार की बात करते हैं, दूसरी तरफ सुरक्षा बलों से कार्रवाई करवाते हैं." डोनाती कहती हैं कि सीरिया में प्रदर्शन भले ही बड़े स्तर पर हो रहे हों, लेकिन अभी भी वो राष्ट्रीय स्तर तक नहीं पहुंचे हैं और सरकार की यही कोशिश है कि वो ऐसी स्थिति आने से पहले ही लोगों को डराए और रोक दे.
48 साल पुरानी राष्ट्रपति बशर अल असद की सत्ता के विरोध में सीरिया में पांच हफ्ते से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. असद ने वर्ष 2000 में अपने पिता की मृत्यु के बाद सत्ता संभाली.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया
संपादन: एन रंजन