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सीरिया में जनाजे की रैली पर गोलीबारी में 8 मरे

२३ अप्रैल २०११

सीरिया में एक दिन पहले मारे गए प्रदर्शकारियों के जनाजे की रैली पर भी सुरक्षाबलों ने गोलीबारी की है जिसमें आठ लोगों के मरने की बात कही जा रही है. दुनिया के नेताओँ ने सीरिया में हिंसा की निंदा की.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि शुक्रवार के प्रदर्शनों पर हुई गोलीबारी में मरने वालों की तादाद 100 तक पहुंच सकती है. इसके साथ इन लोगों के अंतिम संस्कार के दौरान प्रदर्शनों का एक नया दौर शुरू होने के आसार हैं. शुक्रवार की हिंसा ने एक बार फिर साफ कर दिया कि राष्ट्रपति बशर अल असाद पद छोड़ने के मूड में नहीं हैं. शुक्रवार को उनकी सेना ने देश के कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई और आंसू गैस के गोले दागे. शुक्रवार को गुड फ्राइडे के मौके पर हजारों की तादाद में लोग सड़कों पर प्रदर्शन करने निकल पड़े. इसके एक दिन पहले ही राष्ट्रपति ने दशकों से चले आ रहे आपातकाल को हटाने का एलान किया था.

एज्रेह में निकल रही थी अंतिम यात्रा

एक मानवाधिकार कार्यकर्ता ने बताया कि शनिवार को हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी बसों और गाड़ियों में भर कर दक्षिण शहर एज्रेह पहुंच गए, जहां एक दिन पहले मारे गए 18 लोगों की अंतिम यात्रा निकल रही थी. एक दूसरे कार्यकर्ता ने कहा, "12 शहीदों को एज्रेह में दफना दिया गया है." इसी कार्यकर्ता ने यह भी बताया कि अंतिम यात्रा के दौरान हुई सुरक्षाबलों की गोलीबारी में यासर साइरात और जमाल कानबार की मौत हो गई. एक दूसरे कार्यकर्ता ने बताया कि एज्रेह में पांच और दारा के एक अस्पताल के बाहर हुई गोलीबार में एक आदमी की मौत हुई है. मरने वालों की तादाद बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.

NO FLASH Syrien Proteste
तस्वीर: AP

दारा के एक प्रदर्शनकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी को फोन पर बताया, "एज्रेह में शहीद हुए लोगों की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए आस पास के गांवो से 150 बसों में सवार हो कर लोग यहां आए." दारा असाद की सत्ता के खिलाफ प्रदर्शनों का केंद्र रहा है. सरकार ने दारा राज्य की सुरक्षा अदालत को गुरुवार को भंग कर दिया और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए एक नए कानून को लागू कर दिया. सुरक्षा बलों ने उंची इमारतों की छतों पर भी अपना बेस बनाया हुआ है जहां से उन्होंने कई प्रदर्शनकारियो को निशाना बनाया है. स्थानीय मस्जिद से कब्रगाह की तरफ जाती भीड़ में शामिल कई लोगों को छतों से निशाना बनाया गया.

और बड़े प्रदर्शन के आसार

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सीरियाई कार्यकर्ताओं के हवाले से 75 लोगों के मारे जाने की बात कही है. शुक्रवार को हुई गोलीबारी की तुलना 23 मार्च को हुई गोलीबारी से की जा रही है, जब कार्यकर्ताओं के मुताबिक 100 लोग मारे गए थे. शनिवार को जनाजे की रैली के बाद अब एक और बड़े प्रदर्शन के आसार बन रहे हैं. देश के दूसरे इलाकों में भी जनाजे की रैली में बड़ी संख्या में लोगों के जुटने की संभावना बन रही है.

सीरिया की सरकार शुक्रवार को हुई गोलीबारी के लिए सशस्त्र गुटों को जिम्मेदार ठहरा रही है. सरकारी समाचार एजेंसी सना न्यूज ने कहा है कि सुरक्षा बलों ने केवल आंसू गैस और पानी की तेज धार का इस्तेमाल किया. सरकार के मुताबिक यह कार्रवाई भी प्रदर्शनकारियों और राहगीरों के बीच टकराव टालने के लिए की गई. सना के मुताबिक आठ लोग एज्रेह में मारे गए, जबकि 20 दूसरे लोग घायल हुए हैं इनमें सुरक्षाबलों के जवान भी हैं जो सशस्त्र गुटों के हमले में घायल हुए. सना ने उन दो पुलिसवालों का भी जिक्र किया है जिनकी दमिश्क और होम्स में मौत हुई.

NO FLASH Syrien Screenshot Youtube Karfreitag 2011
तस्वीर: picture-alliance/dpa

दुनिया भर में हलचल

प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई ने दुनिया भर में हलचल मचाई है. रूस, इटली और ग्रीस भी अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ की तरफ से की जा रही सीरियाई सरकार की आलोचना में शामिल हो गए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सीरिया को कड़ी फटकार लगाई है और कहा है कि वो लोकतंत्र की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई करने के लिए ईरान की मदद ले रहा है. ओबामा ने कहा है,"अपने लोगों की आवाज सुनने के बजाय राष्ट्रपति असाद बाहरी लोगों पर आरोप लगा रहे हैं वो वहीं ईरान की मदद लेकर प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वही तरीके अपना रहे हैं जो ईरान में अपनाए जाते हैं."

सीरिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ओबामा की आलोचना को खारिज किया है और कहा है, " यहां की जमीनी हालत को देखते हुए उनकी निंदा उचित नहीं है." संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने मानवाधिकारों का सम्मान करने की बात कही है, जबकि फ्रांस ने बिना देर किए राजनीतिक बातचीत शुरू करने का अनुरोध किया है. उधर रूस ने भी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सुधारों को शुरू करने की मांग की है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एन रंजन

संपादन: ईशा भाटिया

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