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सीरिया की सरकार में फूट, 200 का इस्तीफा

२८ अप्रैल २०११

सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को गुरुवार को बड़ा झटका झेलना पड़ा है. बाथ पार्टी के 200 सदस्यों ने सरकार की हिंसक कार्रवाई का विरोध करते हुए इस्तीफा दे दिया. उधर हिंसक प्रदर्शनों में 460 लोगों के मारे जाने की खबर है.

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तस्वीर: Amateur video, Shaam News Network/AP

सीरिया में डेरा प्रांत और आस पास के इलाकों से बाथ पार्टी के 200 सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया. डेरा में सरकार के टैंक भेजे जाने के विरोध में यह इस्तीफे दिए गए है. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यहां कम से कम 35 आम लोग मारे गए हैं. वहीं सीरिया में जारी हिंसक दमन के कारण 460 लोगों के मारे जाने के समाचार हैं.

कूटनीतिज्ञों का कहना है कि सेना में भी असंतोष बढ़ने के संकेत दिखाई दे रहे हैं, यहां सैनिक तो सुन्नी समुदाय के हैं लेकिन अधिकारी अल्पसंख्यक अलाविते जाति के हैं. असद भी इसी अल्पसंख्यक समुदाय के हैं. राष्ट्रपति असद ने अल्ट्रा लॉयल फोर्थ मैकेनाइज्ड डिविजन को डेरा भेजा है. असद के भाई माहेर इसके कमांडर हैं. विपक्षी धड़े के लोगों और डेरा के निवासियों ने बताया कि कई दूसरी यूनिट के सैनिकों ने आम लोगों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया. लेकिन इस खबर की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है.

Syrien Protest Demonstration Ägypten Kairo Botschaft Flash-Galerie
तस्वीर: AP

बुधवार रात डेरा में पानी बिजली और संचार के साधन बंद कर दिए गए हैं. लोगों का कहना है कि मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि सेना लगातार गोलियां बरसा रही है. एक निवासी के मुताबिक वह शवों को बचाए रखने के लिए उनपर अल्कोहोल डाल रहे हैं. 6 हफ्तों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या 460 से ज्यादा हो गई है.

डेरा में इंजीनियर और डॉक्टर महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद किए जाने के बाद लोग भड़क उठे. इन दो महिलाओं ने राजनैतिक पक्ष सामने रखे. बताया जा रहा है कि आजादी के बारे में स्लोगन लिखने वाले 15 बच्चों को भी पुलिस ने हिरासत में रखा है.

बाथ पार्टी के लिए मुख्य शहर और खुफिया पुलिस की नियुक्ति के लिए जाना जाने वाला शहर अब सीरिया में क्रांति का कारण बन रहा है.

1970 में हुए सत्ता पलट के बाद वर्तमान राष्ट्रपति के पिता हाफेज अल असद ने राष्ट्रपति पद संभाला तब से लेकर अब तक यह एक ही परिवार के हाथ में है. डेरा में सेना भेजने का असद का फैसला उनके पिता जैसा है. उन्होंने 1982 में हमा में मुस्लिम ब्रदरहुड के विद्रोह को दबाने के लिए सेना भेजी थी.

उधर संयुक्त राष्ट्र में लीबिया की तरह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हस्तक्षेप पर समर्थन नहीं बन सका है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः एन रंजन

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