सीमा विवाद सुलझाने फिर बैठे भारत चीन
७ अगस्त २००९दो दिन चलने वाली इस वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम के नारायणन और चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेशी मामलों के उपमंत्री दाई बिंग्गुओ कर रहे हैं. पिछले कुछ समय से चीन का भारत के प्रति रवैया खासा आक्रामक रहा है जिसके कारण इस दौर से विशेष सकारात्मक परिणाम की उम्मीद नहीं की जा रही.
हाल ही में चीन ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वह सिक्किम को भारत का अंग मानने की अपनी नीति पर पुनर्विचार कर रहा है. भारत द्वारा सिक्किम में सीमा पर रक्षा प्रबंध पुख्ता करने की कोशिश पर उसने ऐतराज़ जताया. अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा अब वह काफी मुखर होकर ठोंकने लगा है. एशियाई विकास बैंक में उसने अरुणाचल में एक बांध परियोजना को ऋण दिए जाने का भी विरोध किया था. यही नहीं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में वह पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा और उसके प्रमुख हाफिज़ सईद के खिलाफ कार्रवाई का भी विरोध करता रहा है.
पिछले वर्ष परमाणु आपूर्तक समूह (एनएसजी) की बैठक में भी उसने भारत को स्पष्ट छूट दिए जाने का अंत तक विरोध किया था. इसके अलावा वह हिंद महासागर में भी अपना प्रभावक्षेत्र और सक्रियता बेहद बढाने में लगा है. लद्दाख में चीन की ओर से भारतीय सीमा में अनेक स्थानों पर अतिक्रमण के समाचार भी लगातार आते रहे हैं.
सिक्किम की घटना को तो जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में पूर्वी एशिया अध्ययन केंद्र में प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली स्थानीय और सैनिक तत्वों के भारत-चीन संबंधों के सामान्य होने के प्रति विरोध का नतीजा मानते हैं. इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि संभवतः चीन में राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के बीच इस बिंदु पर मतभेद हैं.
जो भी हो, इसमें शक नहीं कि विश्व राजनीति और अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ रहे अपने महत्व के मद्देनज़र चीन भारत पर दबाव बनाए रखना चाहता है. देखना दिलचस्प होगा कि शनिवार को दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि वार्ता की समाप्ति के बाद क्या कहते हैं.
रिपोर्टः कुलदीप कुमार, नई दिल्ली
संपादनः ए कुमार