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सिंगूर पर सहमति, किसानों का आंदोलन समाप्त

८ सितम्बर २००८

सिंगुर मुद्दे पर विपक्षी तृणमूल कांग्रेस और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच सहमति हो गई है. सरकार ने किसानों को कुछ ज़मीन वापस लौटाने का वादा किया है.

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सिंगूर मामले पर लंबा विवादतस्वीर: DW

पश्चिम बंगाल सरकार और तृणमूल कॉन्ग्रेस के बीच सिंगूर में किसानों को अधिग्रहीत जमीन का बड़ा हिस्सा लौटाने पर सहमति हो गई है. साथ ही तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी इस मुद्दे पर अनश्चितकालीन हड़ताल समाप्त करने पर राज़ी हो गई हैं. यह भी तय हुआ है कि जब तक संयुक्त समिति अपना काम नहीं कर लेती, नैनो के कल-पुर्ज़ों के प्लांट में काम नहीं होगा.

राज्य के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और सुश्री बनर्जी के बीच कोलकता के राजभवन में हुई बैठक हुई. शनिवार देर रात तक दोनों पक्षों में गहन चर्चा के बाद कई दिनों से चले आ रहे इस मसले पर सहमति बन ही गई। इसके बाद राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने घोषणा की कि किसानों को जमीन का अधिकतम हिस्सा लौटाने की गुंजाइश का पता लगाने और उसके लिए तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए एक सप्ताह के भीतर एक समिति गठित जाएगी. यह समिति एक हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

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टाटा मोटर्स की लखटकिया कार नैनो का प्लांट सिंगूर में है.तस्वीर: AP

अब लगभग पक्का हो गया है कि टाटा की नैनो कार सिंगुर से ही आएगी। हालांकि अभी टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा है कि वे तुरंत कोई जवाब नहीं देंगे.

सहमति के मुताबिक सरकार ऐसे किसानों को ज़मीन लौटाएगी जिन्हें ज़मीन अधिग्रहण के बाद मुआवजा नहीं मिला था। जमीन में से अधिकांश टाटा मोटर्स छोटी कार परियोजना वाले इलाके में वापस की जाएगी।

बंगाल सरकार ने टाटा कारखाने के लिए 1000 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया था. समस्या की शुरुआत तब हुई जब कुछ किसानों ने सरकार की हर्जाने की पेशकश को ठुकरा दिया और 400 एकड़ ज़मीन की वापसी की मांग कर दी. किसानों के प्रदर्शनों से निराश टाटा मोटर्स ने देश के अन्य राज्यों की तरफ देखना शुरू कर दिया, बावजूद इसके कि सिंगूर में टाटा में डेढ़ हज़ार करोड़ रुपये कर निवेश कर चुकी है.