राजस्थान में संवैधानिक संकट
२२ जुलाई २०२०राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार को बचाने के राजनीतिक खेल ने अब एक संवैधानिक संकट का रूप ले लिया है. विधान सभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और दूसरे बागी विधायकों के खिलाफ शुक्रवार 24 जुलाई तक कोई भी कदम ना उठाने के राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने से पहले स्पीकर सीपी जोशी ने पत्रकारों को बताया कि सुप्रीम कोर्ट इस बात को पहले भी अच्छे से परिभाषित कर चुका है कि दल बदलने संबंधी गतिविधियों पर सिर्फ स्पीकर ही फैसला ले सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान के मामले में उन्हें विधायकों को नोटिस भेजने का पूरी अधिकार था और इस पर अगर कोई न्यायिक समीक्षा होनी है तो वो उनके फैसले के बाद ही हो सकती है.
जोशी ने पायलट और उनके खेमे के 18 विधायकों को उनकी पार्टी के विधायकों की बैठक में शामिल होने के आदेश की अवमानना करने पर उन्हें अयोग्य घोषित करने का नोटिस जारी किया था. इसके बाद पायलट ने इस नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दे दे थी. अदालत ने पिछले सप्ताह स्पीकर को विधायकों के खिलाफ तीन दिन तक कोई कार्रवाई ना करने का आदेश दिया था. मंगलवार को अदालत ने फिर से उन्हें शुक्रवार तक कोई कदम ना उठाने का आदेश दिया.
हाई कोर्ट में मामले पर सुनवाई के दौरान स्पीकर पक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी यही दलील थी कि स्पीकर ने विधायकों को अभी मात्र नोटिस ही जारी किया है, उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया है. सिंघवी ने अपील की थी कि इस वजह से याचिका असामयिक है और इसे खारिज कर देना चाहिए. संविधान के जानकारों में स्पीकर के नोटिस को लेकर अलग अलग राय है.
कई जानकारों का मानना है कि पार्टी व्हिप सिर्फ विधान सभा के अंदर कार्यवाही पर लागू होता है और विधायकों की बैठक पर लागू नहीं होता है. अगर हाई कोर्ट की भी यही राय रही तो स्पीकर पक्ष केस हार सकता है और अगर ऐसा हुआ तो यह गहलोत सरकार के लिए एक झटका होगा.
मुख्यमंत्री के भाई के खिलाफ छापे
इसी बीच, मीडिया में आई खबरों में दावा किया गया है कि प्रवर्तन निदेशालय ने मुख्यमंत्री गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के एक मामले में देश में कई ठिकानों पर छापा मारा है. खबरों के अनुसार अग्रसेन गहलोत की कंपनी पर आरोप है कि उसने सरकार से कम दामों पर खाद खरीद कर किसानों को देने की जगह दूसरी कंपनियों को बेच दिया और उन कंपनियों ने खाद को गैर कानूनी तरीके से निर्यात कर दिया. इस तरह की खाद के निर्यात पर प्रतिबंध है.
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