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शेखों को स्टीयरिंग संभाले महिलाओं की चुनौती

१८ जून २०११

शेख चाहे जो मर्जी करें, महिलाओं के अधिकार अब तक सऊदी अरब में बड़े हिसाब से तय किए जाते थे. कार चलाना उसमें शामिल नहीं था. अब कुछ महिलाएं खुले आम इस कानून को चुनौती दे रही हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

फिलहाल महिलाओं के ग्रुपों ने जुर्रत का एक दिन मनाने का फैसला किया. फेसबुक पर ऐसे ग्रुपों में 15 हजार से अधिक महिलाएं शामिल हो चुकी हैं. उन्होंने सोशल नेटवर्क में इस सिलसिले में अपने दिलचस्प अनुभव पेश किए.

रियाद की माहा अल गहतानी ने ट्विटर पर एक मेसेज में लिखा है कि वह अपने पति के साथ गाड़ी चलाते हुए जा रही थीं. पुलिस के एक सिपाही ने उन्हें रोका और बिना लाइसेंस गाड़ी चलाने के आरोप में जुर्माने की एक रसीद काट दी. उन्होंने इस रसीद की एक तस्वीर भी इंटरनेट पर छाप दी है, जो इस बात का भी सबूत है कि उन्होंने कानून को ठेंगा दिखाते हुए कार चलाई थी.

सऊदी अरब में एक पोंगापंथी राजतंत्र है, जो कट्टर सुन्नी नियमों के अनुसार शासन करता है. सड़कों पर धार्मिक पुलिस हमेशा गश्त लगाती है, ताकि कहीं पुरुष और महिलाएं नजदीक न आ जाएं. महिलाओं के लिए सिर्फ ड्राइविंग पर ही प्रतिबंध नहीं है. देश के बाहर यात्रा, नौकरी, यहां तक कि कुछ मेडिकल ऑपरेशनों के लिए भी उन्हें परिवार के किसी मर्द की लिखित अनुमति की जरूरत होती है.

हाल में सऊदी अरब में शाइमा ओसामा और मानाल अलशरीफ नामक दो युवतियों को कार चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने कार चलाते हुए फोटो खिंचवाकर उसे यू ट्यूब में पेश किया था. दस दिन की कैद के बाद अलशरीफ अब रिहा हो चुकी हैं. लेकिन महिलाओं के इस अभियान से अपने आपको दूर रखते हुए उन्होंने कहा है कि महिलाओं के कार चलाने का मामला अधिकारियों पर छोड़ देना चाहिए.

महिला अधिकार संघर्षकर्ता वजीहा अल हुवैदर का कहना है कि महिलाओं का यह अभियान सिर्फ एक दिन तक सीमित नहीं रहेगा. उन्होंने कहा है कि यह एक दिन का अभियान नहीं है, बल्कि अभियान का पहला दिन है. इस कानून को तोड़ने वाले महिलाओं की संख्या अब बढ़ती जाएगी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: ओ सिंह

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