शिक्षा के ज़रिए विदेशियों का समेकन
१५ जून २००७170 के मुक़ाबले 398 मतों से पारित कानून के अनुसार अब ग़ैर यूरोपीय देशों के जीवनसाथी तभी जर्मनी आ पाएंगे जब उनकी उम्र कम से कम 18 वर्ष हो और वे जर्मन जानते हों. इस नियम का लक्ष्य ज़बरी विवाहों को रोकना है.
रिहायशी परमिट की उम्मीद
आठ साल से अधिक से जर्मनी में रहने वाले विदेशियों को अपना ख़र्च स्वयं चला सकने और जर्मन जानने की स्थिति में स्थायी रिहायशी परमिट दिया जाएगा. गृहमंत्री वोल्फ़गांग शोएब्ले ने विपक्ष के विरोध के बावजूद इन नियमों को उचित ठहराते हुए कहा है कि देश में विदेशियों का समेकन होना चाहिए और यह कानून उसे बेहतर बनाता है.
जर्मन भाषा का ज्ञान ज़रूरी
उधर समाज में विदेशियों के घुलने मिलने के लिए मुख्यमंत्रियों द्वारा तय क़दमों में विदेशियों के लिए जर्मन भाषा सीखने को प्रोत्साहित करना है. सहमति की घोषणा करते हुए जर्मन चांसलर अंगेला मैरकेल ने कहा कि सभी इस पर पूरी तरह सहमत हैं कि देश की समृद्धि और कामगारों की स्थिति निर्णायक रूप से इस पर निर्भर करेगी कि आप्रवासियों के लिए अवसर हैं या नहीं.
आप्रवासियों को नौकरी
मुख्यमंत्रियों ने यह भी तय किया है कि वे अपने प्रशासनिक कार्यालयों में अधिक आप्रवासियों की भर्ती करेंगे. उन स्कूलों और रिहायशी इलाक़ों के जहाँ आप्रवासियों की संख्या अधिक है, सरकार मदद बढ़ाई जाएगी. लोवर सेक्सोनी के मुख्यमंत्री क्रिश्टियान वुल्फ़ ने भाषा सीखने को दी जानेवाली प्राथमिकता को समेकन अवधारणा का केन्द्र विन्दु बताया है और कहा है कि सिर्फ़ उनके प्रांत में तय क़दमों पर सवा 6 करोड़ यूरो का ख़र्च होगा.
फ़ैसले पर अमल का आश्वासन
इसके विपरीत तुर्क समुदाय के प्रमुख केनान कोलाट ने मुख्यमंत्रियों की सहमति पर असंतोष व्यक्त करते हुए उसे मात्र परामर्श, बयान और छानबीन वाले प्रस्तावों की संज्ञा दी है. बर्लिन के महापौर क्लाउस वोबेराइट ने आश्वासन दिया है कि तय स्तरों को लागू किया जाएगा जबकि मैरकेल ने समेकन में प्रगति पर नियमित रिपोर्ट का प्रस्ताव दिया है. एक महीने बाद 12 जुलाई को अगला समेकन सम्मेलन होगा, जिसमें केन्द्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय समेकन योजना पेश की जाएगी.