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शानदार खिलाड़ी और कूल गगन को खेल रत्न

१९ अगस्त २०११

राइफल शूटर गगन नारंग को 2011 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. कॉमनवेल्थ खेलों में प्रदर्शन के आधार पर उन्हें यह पुरस्कार दिया जा रहा है. 29 अगस्त को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील यह अवॉर्ड देंगी.

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तस्वीर: UNI

28 साल के गगन नारंग लंदन ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाले पहले भारतीय निशानेबाज हैं. उन्हें 2008 और 2009 में भी खेल में प्रदर्शन के आधार पर खेल रत्न पुरस्कार का उम्मीदवार माना जा रहा था. लेकिन उन्हें तब यह नहीं मिला. इससे आहत नारंग ने खुले तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी और कहा था मैं अपनी बंदूक से जवाब दूंगा.

भारत के चेन्नई में पले बढ़े गगन की बंदूक और निशाना सबूत देता है कि वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ निशानेबाजों में से एक हैं. जाने माने खेल पत्रकार नोरिस प्रीतम का कहना है, यह तो सभी जानते हैं कि वह दुनिया के सबसे अच्छे निशानेबाजों में एक हैं लेकिन उससे भी अहम बात कि वह बहुत अच्छे इंसान भी हैं. मैं उन्हें पिछले 15-20 साल से देख रहा हूं. खेल भावना उनमें कूट कूट कर भरी है. अपने कूल व्यवहार के कारण ही शायद वे इतना अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं क्योंकि उन्हें किसी भी बात की चिंता नहीं होती. न तो मीडिया की और न ही लोगों की. वह शांति से निशाना साधते हैं.

India's Gagan Narang pauses before taking aim in the 10-meter air rifle pairs event during the Commonwealth Games at the Dr. Karni Singh Shooting Range in New Delhi, India, Tuesday, Oct. 5, 2010. Narang combined with Abhinav Bindra to win the gold medal. (AP Photo/ Manish Swarup)
बेहतरीन शूटरतस्वीर: AP

राजीव खेल रत्न पुरस्कार के तहत खिलाड़ी को साढ़े सात लाख रुपये दिए जाते हैं. इस अवॉर्ड को पाने वालों में सचिन तेंदुलकर और टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस भी हैं. नारंग ने कहा, "मुझे पूरी उम्मीद है कि इस अवॉर्ड के मिलने से शूटिंग देश में ज्यादा पॉपुलर हो जाएगी और हमें अपना स्तर और बढ़ाने की प्रेरणा मिलेगी."

कुछ उपलब्धियां

- वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर, 10 मीटर एयर राइफल – 703.5 (600+103.5)

- स्वर्ण पदक, 10 मीटर एयर राइफल, एफ्रो एशियन गेम्स, हैदराबाद, 2003

- स्वर्ण पदक, 10 मीटर एयर राइफल, एशियन चैंपियनशिप, बैंकॉक 2005

- स्वर्ण पदक, 10 मीटर एयर राइफल, आईएसएसएफ वर्ल्ड कप, ग्वांगझू 2006

- स्वर्ण पदक, कॉमनवेल्थ खेल मेलबर्न, 2006 (चार स्वर्ण पदक जीते)

- स्वर्ण पदक, 10 मीटर एयर राइफल, आईएसएसएफ वर्ल्ड कप फाइनल बैंकॉक, 2008

- स्वर्ण पदक, 50 मीटर राइफल 3 पोजिशन, आईएसएसएफ वर्ल्ड कप, छांगवन, 2009

- स्वर्ण पदक और 2 रजत पदक, आठवीं कॉमनवेल्थ निशानेबाजी चैंपियनशिप राइफल स्पर्धा, नई दिल्ली 2010

लोकप्रियता की कमी

भारत में निशानेबाजी लोकप्रिय क्यों नहीं हो रही है इस बारे में नोरिस प्रीतम ने बताया, "ऐसा नहीं है कि यह खेल बिलकुल ही मशहूर नहीं. कई मेडल मिलने और इसका नाम लगातार मीडिया में रहने के कारण खेल मशहूर तो हुआ है. लेकिन मीडिया में उसे फुटबॉल या क्रिकेट की तरह नहीं दिखाया जा सकता. जहां लाइव कंमेट्री हो रही हो, और दर्शक हल्ला कर रहे हों. यहां तो एक खिलाड़ी निशाना साधता है और बस."

India's Gagan Narang bites the gold medal he won after the Men's 10m Air Rifle medals distribution ceremony of the Commonwealth Games in Melbourne, Australia, Tuesday, March 21, 2006. Narang won the event setting a new games record. (AP Photo/Gurinder Osan)
कॉमनवेल्थ में सोनातस्वीर: AP

दूसरी एक बात और भी है कि क्रिकेट के दीवाने इस देश में दूसरे खेल संरचना के हिसाब से थोड़े पीछे हैं. सुविधाओं का अभाव है. हालांकि पिछले चार साल में स्थिति तेजी से बदली है. अब अनीषा सैयद जैसे खिलाड़ी सामने आ रहे हैं. लेकिन अभी भी अच्छी राइफल महंगी ही आती है. 80-90 हजार से बहुत ही सामान्य राइफलें शुरू होती हैं जो डेढ़ लाख तक जाती हैं. नोरिस प्रीतम कहते हैं कि बंदूक अगर किसी तरह पैसा जमा कर खरीद भी ली जाए लेकिन गोलियां कहां से आएंगी.. "खिलाड़ी जब विदेश जाते हैं तो सामान्य शॉपिंग छोड़ सबसे पहले बंदूक की गोलियां खरीदते हैं. उसमें भी मुश्किल है, नौकरशाही के मारे खिलाड़ी एयरपोर्ट पर परेशान हो जाते हैं क्योंकि एक बार में सिर्फ 100 ही गोलियां लाई जा सकती हैं."

इन सब मुश्किलों के बावजूद निशानेबाजी ने हाल के दिनों में काफी लोकप्रियता हासिल की है. और राजीव खेल रत्न पुरस्कार का मिलना निश्चित ही गगन नारंग और अन्य निशानेबाजों को अच्छे प्रदर्शन के लिए उत्साहित करेगा.

रिपोर्टः आभा मोंढे

संपादनः वी कुमार

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