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समाज

व्यवहार और आदतों में अपने पिता जैसा ही था हिटलर

२६ फ़रवरी २०२१

जर्मन तानाशाह अडोल्फ हिटलर एक तिरस्कारी और आत्म-मुग्ध व्यक्ति था. यह बात तो सब जानते हैं लेकिन लोगों को शायद ही यह पता होगा कि ये दुर्गुण उसे अपने पिता से विरासत में मिले थे. एक जैसी ही थी बाप-बेटे की आदतें.

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Alois Hitler, Vater von Adolf Hitler
नाजी तानाशाह अडोल्फ हिटलक के पिता अलोइस हिटलरतस्वीर: The Print Collector/Heritage Images/picture alliance

ऑस्ट्रिया के मशहूर इतिहासकार रोमान सैंडब्रुगेर ने अपनी नई किताब में हिटलर के पिता की कुछ दुर्लभ और अप्रकाशित चिट्ठियों के हवाले से कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. कहते हैं ना, जैसा बाप वैसा बेटा. अडोल्फ हिटलर का पिता अहंकारी, आत्म-संतुष्ट और खुद को बहुत ऊंचा आंकने वाला व्यक्ति था. जर्मन भाषा में "हिटलर का पिताः बेटा कैसे बना तानाशाह” किताब में सैंडब्रुगेर बताते हैं कि पिता ने बेटे का मनोविज्ञान बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी.

इस किताब में बताया गया है कि नाजी तानाशाह अडोल्फ हिटलक के पिता अलोइस हिटलर की चिट्ठियों से हिटलर परिवार से जुड़े कई अहम सूचनाएं सामने आती हैं. अलोइस हिटलर ऑस्ट्रिया में कस्टम अधिकारी था और अपनी नौकरी की वजह से उसे 18 बार घर बदलना पड़ा था. 1902 में उसकी मौत हो गई थी.

ऑस्ट्रिया के ऊपरी इलाके में सड़क निर्माण के उस्ताद योसेफ राडलेगर का एक खेत खरीदने के बाद उसे लिखी 31 चिट्ठियों के जरिए किताब में कुछ नतीजे निकाले गए हैं. सैंडब्रुगेर के मुताबिक, अलोइस हिटलर को खेती का कोई व्यवहारिक अनुभव या ज्ञान नहीं था, वह "हमेशा दूसरों से बेहतर एक पढ़ानलिखा जेंटलमैन किसान होना चाहता था.” लेखक ने अलोइस हिटलर को दंभी, आत्म-मुग्ध और खुद का डंका बजाते रहने वाला शख्स करार दिया है.

अपने पिता के हस्तलेख की हूबहू नकल

सैंडग्रुबेर की किताब में उन अप्रकाशित पत्रों से रिफरेंस लिया गया है जो उन्हें पांच साल पहले सड़क निर्माता की पड़पोती ने हासिल कराए थे. अपने पिता की हैंडराइटिंग की तरह अडोल्फ हिटलर का हस्तलेख भी रनिंग हैंड यानी प्रवाही था. चिट्ठियों के पुराने गट्ठर को टटोलते हुए सैंडग्रुबेर ने पाया कि उसमें कई सारे नुकीले कोण और दिशा परिवर्तन दिखते थे. 

अलोइस हिटलर और उसकी तीसरी और युवा पत्नी क्लारा पोएत्स्ल की संतान अडोल्फ हिटलर का जन्म 1889 में ऑस्ट्रिया के ब्राउनाउ अम इन में हुआ था. किताब में बताया गया है कि यहूदियों के घनघोर विरोधी हिटलर ने बाद में ये बात छिपाने की कोशिश की थी कि उसका परिवार डैन्यूब नदी के किनारे लिन्स शहर के पास उरफार में यहूदियों के मकान में रहा करता था.

युवा अवस्था से ही यहूदियों से नफरत

चिट्ठियों से यह भी पता चलता है कि 1907 में मृत्यु से कुछ पहले तक हिटलर की मां का इलाज एक यहूदी डॉक्टर ने किया था जो बाद में अमेरिका चला गया था.

सैंडब्रुगेर ने अपनी किताब में बताया है कि हिटलर अपने शुरुआती युवा दिनों में ही यहूदियों का परम विरोधी बन चुका था. जबकि आम धारणा यह है कि हिटलर के मन में यहूदियों से नफरत वियना आने के बाद भड़की थी. युवा हिटलर 1908 के आसपास शहर में था, वह कलाकार बनना चाहता था, जबकि उसे कला की पढ़ाई के लिए खारिज कर दिया गया था.

सैंडब्रुगेर का मानना है कि उनकी किताब में आई ये दुर्लभ सूचनाएं हिटलर की किशोरावस्था के दोस्त ऑगुस्ट कुबिसेक के उन विवरण के ठीक उलट हैं जिन्हें अन्य इतिहासकार अक्सर कोट करते हैं. नाजी पार्टी का नेता बनकर हिटलर 1933 में जर्मन चांसलर के रूप में उभर आया था. उसने दूसरा विश्व युद्ध भड़का दिया था, यहूदी और अन्य पीड़ित समूहों के नरसंहार को अंजाम दिया था.

सत्ता के तिरस्कार का दंभ

सैंडब्रुगेर के मुताबिक अडोल्फ हिटलर का अपने पिता के खिलाफ अकेला महत्त्वपूर्ण विद्रोह यही था कि उसने सिविल सेवा में करियर बनाने की पिता की इच्छा को ठुकरा दिया था. सैंडब्रुगेर लिखते हैं, "वह एक मुक्त कलाकार बनना चाहता था ना कि अपने पिता के पदचिन्हों पर चलना.”

वैसे बाप-बेटे दोनों में सत्ता का तिरस्कार करने की आदत एक जैसी थी. दोनों ही चर्च विरोधी थे, हालांकि हिटलर ने रोमन कैथोलिक चर्च छोड़ा नहीं था. ज्यूड डॉयचे साइटुंग अखबार के लिए सैंडब्रुगेर की किताब की समीक्षा करने वाली अलेक्सांड्रा फोएडेर्ल श्मिट कहती हैं, "पूर्वजों से जुड़ी पहचान और अपने आर्य मूल को इतना अधिक महत्त्व देने वाले हिटलर के वंशवृक्ष में एक से अधिक अंतराल मौजूद थे. ”

नई फिल्म बनाने लायक सामग्री

अपनी समीक्षा में फोएडेर्ल श्मिट कहती है कि अलोअस हिटलर पर "लगभग कोई स्रोत उपलब्ध नहीं रहा है.अडोल्फ हिटलर के शॉफर, निजी डॉक्टर, प्रेस प्रभारी, फोटोग्राफर और सचिव के बारे में तो बहुत सी किताबें और फिल्में हैं” लेकिन पिता के बारे में नहीं.

सरकार द्वारा नियुक्त एंटी सेमेटिज्म कमिश्नर फेलिक्स क्लाइन ने पिछले महीने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया था कि दूसरे विश्व युद्ध के 75 साल बाद आज भी जर्मनी के कानूनों या रेगुलेशनों में हिटलर के दौर की भाषा या शब्दावली का उल्लेख मिल जाता है और आधुनिक जर्मनी को उनसे छुटकारा पाने की जरूरत है. मिसाल के लिए सरकार के आलोचक जर्मन संविधान के अनुच्छेद तीन से रेस यानी नस्ल शब्द को हटाने की मांग कर रहे हैं. पिछले साल चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा था कि वे भी इसे हटाने के पक्ष में हैं.

एसजे/आईबी (डीपीए, एएफपी)

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