'वर्ल्ड कप खेल लो, बाद में बात करेंगे'
१३ जनवरी २०१०हॉकी इंडिया के साथ बातचीत बेनतीजा ख़त्म हुई है और अड़तालीस घंटे का नया अल्टीमेटम दिया गया है. अल्टीमेटम पूरा हुआ और खिलाड़ी नहीं माने तो उनको सस्पेंड कर दिया जाएगा. अपनी ही ज़मीन पर हो रहे वर्ल्ड कप में दूसरे दर्जे की टीम उतार दी जाएगी. हॉकी इंडिया का कहना है कि उसके पास उतने पैसे नहीं हैं, जितने खिलाड़ी मांग रहे हैं. लेकिन राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी, वे ट्रेनिंग कैंप में नहीं लौटेंगे. पुणे का ट्रेनिंग कैंप वीरान पड़ा है.
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष अशोक मट्टू ने कहा कि उन्हें इस बात का खेद है कि खिलाड़ी देश से कहीं ज़्यादा पैसों की फ़िक्र कर रहे हैं और वह भी ऐसे वक्त में जब भारत में अगले महीने वर्ल्ड कप होना है. हर भारतीय खिलाड़ी ग्रेडेड कांट्रैक्ट के अलावा साढ़े चार लाख रुपये की मांग कर रहा है.
क्रिकेट की दीवानगी वाले देश भारत में सचिन तेंदुलकर डेढ़ करोड़ रुपये का इनकम टैक्स भरते हैं, जबकि वीरेंद्र सहवाग और महेंद्र सिंह धोनी एक एक करोड़ का. हॉकी वर्ल्ड कप की टीम में शामिल सभी बाईस भारतीय खिलाड़ियों के पैसे जोड़ दिए जाएं, तो भी एक करोड़ रुपये से कम बनता है. यानी एक क्रिकेटर का इनकम टैक्स पूरी हॉकी टीम के वेतन पर भारी है.
मट्टू ने कहा कि अगर ज़रूरत पड़ी तो खिलाड़ियों को सस्पेंड कर दिया जाएगा. ऐसी हालत में भारत को हॉकी वर्ल्ड कप में दूसरे दर्जे की टीम उतारनी पड़ेगी. मट्टू कहते हैं कि उन्हें इस बात का यक़ीन है कि ऐसी नौबत नहीं आएगी. हम खिलाड़ियों से बात कर रहे हैं और कोई नतीजा निकल जाएगा. मुझे लगता है कि कोई उन्हें गुमराह कर रहा है. भारत ने 1975 के बाद से कभी भी हॉकी का वर्ल्ड कप नहीं जीता है. ओलंपिक के इतिहास में पहली बार 2008 में भारत ओलंपिक मुक़ाबले के लिए क्वालीफ़ाई नहीं कर पाया.
पुणे में भारतीय राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ियों के 22 सदस्यीय टीम का प्रशिक्षण चल रहा है. पिछले हफ़्ते उन्होंने यह कहते हुए प्रैक्टिस बंद कर दी कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक वे प्रैक्टिस नहीं करेंगे.
भारत में 28 फ़रवरी से वर्ल्ड कप होना है और हाल के दिनों में भारतीय हॉकी टीम भी ज़्यादा मज़बूत नहीं रही है. टीम की तैयारी कितनी है, वह तो यह हड़ताल ही बता रही है. वैसे ध्यानचंद और रूप सिंह का हॉकी इन दिनों गुमनामी में गुज़र रही है और हममें से बहुतों को तो यह भी पता नहीं कि राष्ट्रीय हॉकी टीम का कप्तान कौन है.
भारत कभी हॉकी का बादशाह समझा जाता था और इसके पास ओलंपिक के सबसे ज़्यादा आठ स्वर्ण पदक हैं. लेकिन 1970 के दशक के बाद से भारतीय हॉकी ढलान पर चला गया और 1980 के मॉस्को ओलंपिक के बाद भारत ने कभी भी ओलंपिक का स्वर्ण नहीं जीता है. भारतीय हॉकी बीजिंग ओलंपिक्स में क्वालीफ़ाई भी नहीं कर पाया, जो इतिहास में पहली बार हुआ.
वैसे बचपन में हमने किताबों में पढ़ा है कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ए जमाल
संपादन: उ भ