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रुला गए जगजीत

१४ अक्टूबर २०११

डॉयचे वेले के पाठकों ने भारतीय समाज में आय का असमान वितरण पर चर्चा की है. महिला अधिकारों का मुद्दा भी उठाया है, लेकिन सबसे ज्यादा टीस पाठकों को गजल सम्राट जगजीत सिंह के जाने से चुभी है.

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तस्वीर: UNI

आज भारत में आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है. अमीर दिनों दिन अमीर होते जा रहे हैं, वहीं गरीब गरीब होता जा रहा है. एक वर्ग विलासिता में जी रहा है तो वहीं समाज का एक धड़ा आज भी दो जून की रोटी के लिए हा़ड़ तोड़ श्रम कर रहा है. कुछ लोगों की महीने की तनख्वाह लाखों है, वहीं दूसरी ओर कई लोग कई साल तक इतना पैसा नहीं कमा पाते. मूलभूत सुविधाएं पाना तो ऐसे लोगों के लिए स्वप्न की तरह है. हमारे देश में जरूरी है कि मंहगाई कते हिसाब से न्यूनतम मजदूरी की दरों में बदलाव किया जाए. समय समय पर उसका पुनर्वलोकन भी हो.

आज महिलाएं सेना, पुलिस, कार्पोरेट जगत में भी पैठ बनाकर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा चुकी है. अब तो वे पांखड को तोड़कर अपने सबल होने का प्रमाण दे रही हैं. वे सिंगल पेरेंटिंग कर बच्चों को पालती भी हैं. लेकिन प्रश्न यह है कि ऐसी सशक्त महिलाओं की संख्या कितनी है? जिस देश की आबादी एक अरब से ऊपर है, उसमें 70 करोड़ महिलाएं हैं. ऐसे में 2-4 लाख औरतें अगर सशक्त हो भी गईं तो यह आंकड़ा संतोषजनक नहीं माना जाएगा. महिलाओं को उचित सम्मान दिए जाने की जरूरत है, साथ ही काम काज के क्षेत्र में भी उनके साथ होने वाले भेदभाव को कम किया जाना चाहिए. बहस में नारी को देवी बता देना काफी नहीं है. भारत का पुरुष समाज जिस दिन उसे अलंकृत करने के बदले अपने समतुल्य समझने लगेगा, उस दिन सशक्तिकरण की परिकल्पना साकार होगी. इस तरह समाज में महिलाओं को बराबर का अधिकार होगा तो वह अपनी तकदीर खुद लिख सकेंगी.
सुमन कुमारी,गांव अंधारी,जिला भोजपुर,बिहार

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यह जानकर आश्चर्यजनक लगा डीडब्ल्यू की छत पर 700 सोलर पैनल लगे हुए है जो सालाना एक लाख किलोवाट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं. यह तो पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से शानदार उहारण है. पर्यावरण संरक्षण की राह पर डीडब्ल्यू का यह सचमुच ही बहुत ही बेहतर कदम है. सुन्दर तस्वीरों को संजोने के लिए आभा जी और ईशा जी को बहुत बहुत धन्यवाद. आप बहुत ही अच्छा करते हैं कि दूसरों पर खबर बनाते बनाते कभी कभी अपने ऊपर भी बना लेते है, आपका यह अंदाज हमें सुन्दर लगा तभी तो हम आप सब को भूल नहीं पाते हैं.

अतुल कुमार, राजबाग रेडियो लिस्नर्स क्लब, सीतामढ़ी, बिहार

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Der indische Sänger Jagjit Singh Flash-Galerie
तस्वीर: AP

गजल गायक जगजीत सिंह के निधन पर शोक प्रकट किया:

गजल गायिकी का वह चमकता हुआ सितारा आज हम सब को छोड़कर चला गया.
आईये हम सब मिलकर जगजीत सिंह जी की आत्मा की शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें.
चिट्ठी ना कोई सन्देश
जाने वो कौन सा देश
जहां तुम चले गए
इस दिल पे लगा के ठेस
जाने वो...

सतीश चन्द मद्धेशिया

"बड़े ही दुख की बात है कि गजल के मास्टर नहीं रहे."

श्रीपाल गर्ग

"हमे गजल के मायने सिखाने वाला कलाकार अब इस दुनिया में नहीं है..अफ़सोस ..ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना.."

दिनेश पाहवा

"मौत वो जिसे आने पे जमाना करे अफसोस,यों तो सब आते हैं जाने के लिए..."

उनकी कमी शायद ही कोई पूरी कर पाए...

पवन कुमार पंकज

गजलों के बादशाह जगजीत सिंह का जाना अत्यंत पीड़ादायक है. उनका स्थान कोई और ले ही नहीं सकता. स्पष्ट उच्चारण और आवाज में कशिश के साथ गजब का लोच, यह विशेषता उन्हें औरों से अलग बनाती है. मैं दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करता हूं.

सुरेश अग्रवाल, केसिंगा, उड़ीसा

गजल सम्राट और मखमली आवाज के जादूगर जगजीत सिंह जी की असमय मौत से हम सबके साथ साथ कला जगत को भी अपूर्णीय क्षति हुई है. निदा फाजली साहब का एक शेर है, "एक मुसाफिर के सफर जैसी है सबकी दुनिया, कोई जल्दी में तो कोई देर से जानेवाला." ये हकीकत मान कर हम सब को सब्र करना है. जगजीत साहब द्वारा फिल्म सरफरोश में गाया एक गीत,"होश वाले को खबर क्या, बेखुदी क्या चीज है, इश्क कीजिए और समझिए जिन्दगी क्या चीज है". यह आवाज,यह अंदाज और वह अल्फाज हमारे बीच नहीं है,लेकिन वे हमारे कानों में और हमारे जेहन में सदैव गूंजते रहेंगे.

राघो राम, गांव अंधारी, जिला भोजपुर, बिहार

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संकलनः विनोद चढ्डा

संपादनः ओ सिंह