यूरोप में अब भी कम कमाती हैं महिलाएं
२३ फ़रवरी २००९जर्मनी में महिलाओं और पुरुषों की प्रति घंटा औसत आय में पिछले साल 23 प्रतिशत की खाई थी. एक साल पहले के मुक़ाबले एक प्रतिशत अधिक. यूरोप के 27 सदस्यों के बीच भी इस मामले में जर्मनी काफ़ी पीछे है. यूरोपीय संघ का औसत 17.4 प्रतिशत है यानि कि पुरुषों को महिलाओं से साढ़े सतरह प्रतिशत अधिक मिलता है. आय में लैंगिक विषमता वाले देशों में जर्मनी से ख़राब और पांच देश हैं, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड, साइप्रस, चेक गणतंत्र और एस्तोनिया.
यूरोपीय संघ के सामाजिक कमिसार व्लादीमिर श्पीडला का कहना है कि इसकी वजह न सिर्फ़ समान काम के लिए असमान वेतन है बल्कि पारिवारिक ज़िम्मेदारी के कारण कम घंटे काम करने वालों में महिलाओं का अनुपात ज़्यादा है. हंस बौएकलर फाउंडेशन के आर्थिक व सामाजिक अध्ययन संस्थान की क्रिश्टीना क्लेनर इसकी वजह अप्रत्यक्ष भेदभाव में भी देखती हैं.
मसलन जो काम आम तौर पर महिलाएं करती हैं उसके लिए पुरुषों द्वारा किए जाने वाले काम से कम वेतन मिलता है. इसका उदाहरण दुकानों में सेल्सगर्ल्स और इलेक्ट्रीशियन को मिलने वाला पगार है. सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी की सांसद क्रिश्टेल हुम्मे विषमता के आंकड़ों को सामाजिक स्कैंडल की संज्ञा देती हैं और कानूनी हस्तक्षेप की मांग करती हैं.
श्पीडला ने नियोक्ताओं से मांग की है कि वे समान काम के लिए समान वेतन दें और महिलाओं को भी उच्च पदों पर जाने की संभावना दें. अक्सर पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के कारण महिलाएं पूर्णकालिक नौकरी नहीं कर पाती. सामाजिक मामलों की विशेषज्ञ युटा आलमेंदिंगर का कहना है कि विषमता तभी दूर हो सकती है जब महिलाओं को पूर्णकालिक नौकरी का अवसर मिले और पुरुषों को बच्चों की परवरिश के लिए छुट्टी लेने के लिए अधिक प्रोत्साहन मिले.
ज़रूरत है मानसिकता परिवर्तन की क्योंकि बहुत से लोग अभी भी काम करने वाली महिलाओं को अच्छी माँ नहीं मानते और साथ ही नियोक्ताओं पर कानूनी शिकंजा कसने की ताकि उन्हें महिलाओं के साथ भेदभाव करने से रोका जा सके.