मानवाधिकार समझौते की 60वीं सालगिरह
१० दिसम्बर २००८मानवाधिकार घोषणापत्र की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र ने ग़रीबों के बढ़ते हुए शोषण से आगाह किया है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त नवनीतम पिल्लैय ने कहा है कि आर्थिक संकट के वर्तमान दौर में विकास कार्यक्रमों और सामजिक सुरक्षा के तानेबाने को न केवल बनाये रखने की, बल्कि और बढ़ाने की ज़रूरत है. ग़रीबी मानवाधिकारों के उल्लंघन का कारण और परिणाम दोनो है.
"संयुक्त राष्ट्र के सदस्य की जनता ने बुनियादी मानवाधिकारों में, मानव व्यक्तित्व की गरिमा और योग्यता में, और नर-नारी के समान अधिकारों में अपने विश्वास को दोहराया है, और यह निश्चय किया है, कि अधिक व्यापक स्वतंत्रता के अंतर्गत सामाजिक प्रगति एवं जीवन के बेहतर स्तर को ऊंचा किया जाय.."
-1948 के संयुक्त राष्ट्र मावनाधिकार घोषणापत्र का अंश.
10 दिसम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने मानवाधिकार संबंधी सार्वभौम घोषणा को स्वीकृती दी. दूसरे विश्वयुद्ध के भारी विनाश के बाद विश्व के प्रमुख नेताओं ने मानवाधिकार की रक्षा के लिए एक समझौता बनाया. समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले सारे देश अपने नागरिकों के लिये इन अधिकारों को सुरक्षित करने का वादा करतें हैं. नागरिक व्यक्तिगत तौर पे भी अधिकारों के उल्लंघन की शिकायत संयुक्त राष्ट्र तक ले जा सकते हैं.
समझौते के 60 साल बाद, मानवाधिकार को और नयी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य परियोजना ने मंगलवार को रोम में बताया कि महंगाई की वजह से दुनिया भर में, वर्ष कुल मिलाकर क़रीब एक अरब लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है. ए.पी समाचार एजैंसी की एक खबर के अनुसार, याहू, गूगल और माईक्रोसॉफ्ट कम्पनियों ने फैसला किया कि वह चीन में अपनी शाखाओं के लिए मार्गदर्शक जारी करेंगे ताकि मानवाधिकारों की रक्षा पर सरकार का कोई असर नहीं पड़े. चीन के सरकार ने एक पत्रकार और वकील को सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन करने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया है.
मानवाधिकार की सर्वभौम घोषणा की 60वी सालगिरह पर जर्मन राष्ट्रपति होर्स्ट क्योलर ने कहा, कि जर्मनी में सब अमन और चैन से रहते हैं. इसी वजह से जर्मनी पर मानवाधिकार को आगे बढाने का उत्तरदायित्व पड़ता है क्योंकि अब भी दुनिया में कई लोगों को भुखमरी, यातना और शोषण का सामना करना पड़ रहा है. इन्हीं मुद्दों पर बॉन शहर में आज वर्ष 2008 के मानवाधिकार पुरस्कार जीतने वाली फिल्मों की प्रदर्शनी की गई. भारत में बाल बंधुआ मजदूर पर एक रिपोर्ताज को 1,500 यूरो का खास पुरस्कार दिया गया.