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मानवाधिकार पर प्रस्ताव से भड़का यूएई

२७ अक्टूबर २०१२

संयुक्त अरब अमीरात ने यूरोपीय संसद में पास हुए उस प्रस्ताव की निंदा की है जिसमें मानवाधिकार की स्थिति को खराब बताया गया है. यूएई ने ईयू के प्रस्ताव को "एकतरफा और पूर्वाग्रही" कहा है.

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तस्वीर: Getty Images

संयुक्त अरब अमीरात ने कहा है कि यह प्रस्ताव पर्याप्त जानकारी जुटाए बगैर ही संसद में पेश कर दिया गया. यूरोपीय संसद ने शुक्रवार को यह प्रस्ताव पास किया. प्रस्ताव में राजनीतिक विरोधियों के साथ बुरे बर्ताव और मौत की सजा के लिए आलोचना की गई है. इसके साथ ही इस प्रस्ताव में अरब से महिलाओं और प्रवासी मजदूरों के अधिकारों का सम्मान करने की मांग की गई है.

यूएई के उप विदेश मंत्री अनवर गारगाश ने शुक्रवार को कहा, "एकतरफे और पूर्वाग्रही रिपोर्ट ने जमीनी सच्चाई और परिस्थिति को परखे बगैर आरोप लगाए हैं जिन्हें साबित भी नहीं किया जा सकता." गारगाश ने महिलाओं को सशक्त बनाने और प्रवासी मजदूरों के अधिकारों के मामले में विशेष प्रगति की बात कही है. उनके मुताबिक, "यूएई में 200 से ज्यादा देशों के लोग खुले और सहनशील वातावरण में रहते हैं."

Plenarsaal Parlament Strasbourg
यूरोपीय संसदतस्वीर: picture-alliance/dpa

यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में इन आरोपों के साथ कोई कार्रवाई करने या कदम उठाने की चेतावनी नहीं दी गई लेकिन खाड़ी में अमेरिका के बड़े सहयोगी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना से पहले कई बार तनाव पैदा हो चुका है. इसी साल गर्मियों में यूएई ने तेल कंपनी ब्रिटिश पेट्रोलियम को तेल कारोबार में छूट देने से मना कर दिया. समाचार एजेंसी रॉयटर्स को विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि अरब वसंत पर लंदन की प्रतिक्रिया और ब्रिटिश अखबारों में इस आंदोलन की आलोचना के कारण यह छूट नहीं दी गई.

यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त अरब अमीरात ने, "मानवाधिकार की रक्षा करने वाले और नागरिक समुदाय के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है और राजनीतिक हिरासत में फिलहाल 64 लोग हैं." इन लोगों को अकेला रखा गया है और कोई कानूनी मदद नहीं दी जा रही है. यह भी कहा गया है कि बहुत से लोगों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है, उनके यात्रा करने पर पाबंदी है और बहुतों को जबरन दूसरे देश भी भेजा गया है.

इसी साल मार्च में यूएई ने विदेशों में लोकतंत्र को बढ़ावा देने वाले थिंकटैंक को बिना कारण बताए बंद कर दिया इनमें एक जर्मनी की कोनराड आडेनावर स्टिफटुंग है और दूसरा अमेरिका की नेशनल डेमोक्रैटिक इंस्टीट्यूट. यूएई का कहना है कि उसके यहां कोई राजनीतिक बंदी नहीं है और जिन लोगों की बात की जा रही है वो इस्लामी चरमपंथी हैं जिनसे देश को खतरा है.

संयुक्त अरब अमीरात दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा तेल निर्यातक है और यह यूरोपीय संघ का प्रमुख कारोबारी साझीदार भी है. दोनों के बीच कारोबार पिछले साल बढ़ कर 41.4 अरब यूरो तक जा पहुंचा है. यूएई के सबसे ज्यादा आबादी और सबसे धनी शहरों अबू धाबी और दुबई में बड़ी तादाद में यूरोपीय लोग भी रहते हैं.

एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स)

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