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महिला स्पीकर की कितनी मुश्किलें?

३० जनवरी २०१०

बेहद मृदुभाषी मीरा कुमार के लिए क्या लोकसभा की अध्यक्षता करना मुश्किल काम है? पहली महिला स्पीकर इसका जवाब 'कभी हां कभी ना' वाले अंदाज़ में ही देना पसंद करती हैं.

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कभी हां, कभी नातस्वीर: AP

शिलॉन्ग में पत्रकारों के साथ बातचीत में मीरा कुमार ने कहा, "कुछ सवालों के जवाब हां या ना में नहीं दिए जा सकते." सदन की कार्यवाही पर उनका कहना है, "यह कभी मुश्किल होता है, कभी मुश्किल नहीं होता. दोनों ही बातें हैं. लेकिन मैं एक बात कहना चाहूंगी कि जब मैं कोई विशेष आग्रह करती हूं तो सांसद उसे सुनते हैं."

सदन में अकसर होने वाले हो हल्ले पर चिंता जताते हुए मीरा कुमार ने कहा, "यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है जिससे हम सब लोग चिंतित हैं." जब उनसे पूछा गया कि क्या कार्यवाही में रोड़े अटकाने वाले सांसदों को रोकने के लिए कोई नियम नहीं हैं तो उन्होंने कहा, "बेशक नियम हैं. लेकिन हम अकसर उनका इस्तेमाल करने से बचते हैं क्योंकि यह बहुत कड़े हैं और हम चुने हुए प्रतिनिधियों पर उन्हें इस्तेमाल नहीं करना चाहते."

वैसे भी अब तो संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही का टीवी पर प्रसारण होता है. मीरा कुमार कहती हैं, "पूरा देश उन्हें देख रहा होता है. फिर भी अगर सदन ठीक से नहीं चलता है तो सांसदों पर लोगों का भरोसा कम होता है."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एम गोपालकृष्णन