बिहार चुनाव के लिए महत्वपूर्ण है दूसरा चरण
२ नवम्बर २०२०बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 94 सीटों पर दूसरे चरण में तीन नवंबर को प्रदेश के 17 जिलों के 2.86 करोड़ मतदाता 1463 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे. इस चरण के लिए चुनाव प्रचार रविवार की शाम थम गया. मंगलवार को अपने मताधिकार का उपयोग करने वालों में 1.5 करोड़ पुरुष तथा 1.35 करोड़ महिलाएं व 980 ट्रांसजेंडर हैं. मतदाताओं में दिव्यांगों एवं 80 वर्ष से अधिक उम्र वालों की संख्या 20,240 है. जबकि चुनाव लड़ने वालों में 1316 पुरुष,146 महिलाएं व एक ट्रांसजेंडर हैं. इनमें निबंधित गैर मान्यता प्राप्त दलों से 623 तो 523 निर्दलीय प्रत्याशी हैं. इस चरण में 41,362 मतदान केंद्र बनाए गए हैं जिनमें 16 से अधिक प्रत्याशी होने के कारण 18,878 बूथ पर दो-दो ईवीएम रखे जाएंगे.
प्रदेश में इस चरण में सबसे अधिक उम्मीदवार पटना जिले के दीघा तथा सबसे कम बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर विधानसभा क्षेत्र में हैं. तीन नवंबर को होने वाले चुनाव में महागठबंधन और नेशनल डेमोक्रेटिक एलांयस (एनडीए) के बीच 94 में से 51 सीटों पर सीधा मुकाबला है. इस चरण में भारतीय जनता पार्टी के 46, जनता दल यूनाइटेड के 43 और विकासशील इंसान पार्टी के पांच तो राजद के 56, कांग्रेस के 24, लोजपा के 52 और वामदलों के 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. जिन जिलों की विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होंगे उनमें पटना, बिहारशरीफ, बेगूसराय, खगड़िया, भागलपुर, वैशाली, सारण, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, शिवहर, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, सीवान, सीतामढ़ी, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण शामिल हैं.
साफ हो जाएगी सियासी तस्वीर
दूसरे फेज का चुनाव हो जाने पर करीब 68 प्रतिशत सीटों पर यानी 243 में से 165 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो जाएगी. इस चरण में भाजपा व जदयू की ही सबसे अधिक सीटें दांव पर हैं. इनके लिए सीटिंग सीट बचाने के लिहाज से यह चरण काफी महत्वपूर्ण है. वैसे भी 43 सीटों में से 19 पर जदयू ने नए उम्मीदवार देकर बड़ा दांव खेला है. कई ऐसे हैं जो दूसरे दलों से आकर जदयू में टिकट पा गए हैं जबकि जदयू के कई बागी भी मैदान में हैं. इस चरण की 94 सीटों पर 2015 में 30 पर जदयू, 20 पर भाजपा, 33 पर राजद तथा सात पर कांग्रेस का कब्जा रहा. यानी वर्तमान गठबंधन के लिहाज से 50 एनडीए की सिटिंग सीटें हैं. 2015 में जदयू व राजद साथ थे और भाजपा इनके विरोध में थी. वहीं अगर 2010 की स्थिति देखें, जब भाजपा-जदयू मिलकर चुनाव लड़ी थी तब इन दोनों ने 82 सीटों पर विजय हासिल की थी, वहीं राजद के हिस्से में मात्र 11 सीटें आई थीं. कांग्रेस तो अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी. सीटों के हिसाब से एनडीए व महागठबंधन, दोनों के लिए ही यह चरण निर्णायक साबित होगा. इन 94 सीटों में से 28 पर भाजपा व राजद की सीधी भिड़ंत होनी है, जबकि जदयू को 24 सीटों पर सीधे राजद से जूझना होगा. इसके अलावा भाजपा व जदयू दोनों को कांग्रेस से 12-12 सीटों पर भिड़ना होगा. जाहिर है, 2015 के चुनाव में जो दोस्त थे, वे अब दुश्मन हो चुके हैं. इसलिए वोटों का गणित तो इन्हें उलझाएगा ही.
आंकड़ों को देखें तो एक बात साफ है कि इन 94 में से 18 सीटों पर पिछले चुनाव में महज पांच हजार वोट से जीत-हार का निर्णय हुआ था. दोनों गठबंधनों के लिए यह चरण जीत-हार का प्लेटफॉर्म साबित होगा. तीसरे चरण में तो केवल बहुमत के लिए आजमाइश होगी. इस चरण में नीतीश सरकार के चार मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इनमें दो जदयू के तथा दो भाजपा के हैं. जदयू के रामसेवक सिंह गोपालगंज के हथुआ से तो श्रवण कुमार नालंदा से तथा भाजपा के नंदकिशोर यादव पटना साहिब से तो मधुबनी से राणा रंधीर चुनाव मैदान में हैं. समस्तीपुर जिले के हसनपुर से तेजप्रताप यादव तो वैशाली जिले के राघोपुर से तेजस्वी यादव तथा लालू प्रसाद के समधी चंद्रिका राय की सारण के परसा में प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इसी तरह अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र लव सिन्हा पटना के बांकीपुर, शरद यादव की पुत्री सुभाषिणी मधेपुरा जिले के बिहारीगंज, पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार के भतीजे पप्पू सिंह वैशाली के लालगंज तथा हरियाणा के राज्यपाल सत्यपाल आर्य के पुत्र कौशल किशोर राजगीर विधानसभा क्षेत्र से किस्मत आजमा रहे हैं. इनके अलावा किस्मत आजमाने वालों में चेरिया बरियारपुर (बेगूसराय) से मंजू वर्मा, उजियारपुर से आलोक कुमार मेहता, शिवहर से आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद, छपरा से पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर कुमार सिंह व वैशाली की महनार सीट से बाहुबली रामा सिंह की पत्नी वीणा सिंह प्रमुख हैं.
495 उम्मीदवार हैं करोड़पति
विधानसभा चुनाव के कुल 1463 प्रत्याशियों में से 34 फीसद यानी 495 उम्मीदवार करोड़पति हैं. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) व बिहार इलेक्शन वॉच के आंकड़ों के अनुसार द्वितीय चरण में सर्वाधिक तीन अमीर प्रत्याशियों में कांग्रेस के दो तथा राजद के एक उम्मीदवार हैं. वैशाली से कांग्रेस प्रत्याशी संजीव सिंह 56 करोड़ से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं. दूसरे नंबर पर हाजीपुर से राजद उम्मीदवार देव कुमार चौरसिया हैं जिनकी संपत्ति 49 करोड़ से अधिक है जबकि तीसरे नंबर पर पारू से कांग्रेस प्रत्याशी अनुनय सिन्हा हैं जिनकी संपत्ति 46 करोड़ से अधिक है. वहीं दलगत तौर पर देखें तो जदयू के 43 में से 35, भाजपा के 46 में से 39, राजद के 56 में से 46, कांग्रेस के 24 में से 20, लोजपा के 52 में से 38 और बसपा के 33 में से 11 प्रत्याशी करोड़पति हैं अर्थात इनके हलफनामे के अनुसार इनकी घोषित संपत्ति एक करोड़ से अधिक है. इसमें भी अगर औसत संपत्ति की बात की जाए तो कांग्रेस के 24 प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 10.25 करोड़, राजद के 56 की 4.82 करोड़, भाजपा के 46 की 3.44 करोड़ तथा जदयू के 43 की 4.95 करोड़ रुपये है.
अगर संपत्ति व उम्मीदवारों के प्रतिशत का आंकड़ा देखा जाए तो करीब आठ फीसद पांच करोड़ से अधिक संपत्ति वाले, तेरह प्रतिशत दो करोड़ से पांच करोड़, 31 फीसद 50 लाख से दो करोड़, 31 प्रतिशत 10 से 50 लाख तथा 19 फीसद 10 लाख से कम संपत्ति वाले उम्मीदवार हैं. पहले चरण के प्रत्याशियों की औसत संपत्ति की तुलना में दूसरे चरण के उम्मीदवारों से तीन गुना अधिक है. इस चरण में काफी संख्या में किसान व व्यापारी चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. कुल 94 सीटों पर 174 किसान, 113 व्यवसायी तथा 28 नौकरीपेशा उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें राजद ने सबसे ज्यादा 22 किसान तथा लोजपा ने 21 व्यवसायियों पर भरोसा जताया है. जबकि जदयू को पूर्व व वर्तमान जनप्रतिनिधियों पर ज्यादा भरोसा है. जदयू ने 12 विधायक-पूर्व विधायक, विधान पार्षद- पूर्व विधान पार्षद को तो भाजपा ने ऐसे सात लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है. इसी तरह राजद ने आठ पेंशनर तो पुष्पम प्रिया की प्लुरल्स पार्टी ने सबसे अधिक सात नौकरीपेशा को मैदान में उतारा है.
सबसे अधिक राजद के दागी प्रत्याशी
दूसरे चरण के चुनाव में भी आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों की भरमार है. प्रत्याशियों में एक तिहाई ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं. इस चरण में जिन 502 प्रत्याशियों ने क्रिमिनल मामले लंबित होने की जानकारी दी है उनमें 389 के खिलाफ गंभीर किस्म के अपराधों के मामले दर्ज है. ये मामले दुष्कर्म, अपहरण, हत्या व हत्या के प्रयास तथा महिला अत्याचार से संबंधित हैं. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले सबसे अधिक प्रत्याशी राजद में 36 यानी करीब 64 फीसद हैं. इनमें पचास फीसद यानी 28 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं. इसी तरह पप्पू यादव की जाप के 32, भाजपा के 29, जदयू के 20, लोजपा के 28, कांग्रेस के 14, बसपा के 16 तथा 156 निर्दलीय प्रत्याशी आपराधिक छवि वाले हैं. माननीय बनने की लालसा रखने वाले इन लोगों में 49 के खिलाफ महिला अत्याचार, चार के खिलाफ दुष्कर्म, 32 के खिलाफ हत्या तथा 143 के हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज है. प्रत्याशियों में सबसे अधिक ऐसे 14 मामले दानापुर (पटना) से राजद उम्मीदवार रीतलाल राय व 13 मामले जदयू के मटिहानी (बेगूसराय) से प्रत्याशी नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह तथा 12 मामले मीनापुर (मुजफ्फरपुर) से लोजपा उम्मीदवार अजय कुमार के खिलाफ दर्ज हैं. इन्हीं वजहों से दूसरे चरण की 94 सीटों में से 89 प्रतिशत 84 सीटों को रेड अलर्ट यानी अति संवेदनशील घोषित किया गया है. ये ऐसी सीटें हैं जहां से तीन या इससे अधिक क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. पार्टियों द्वारा मैदान में उतारे गए प्रत्याशी यह बताने को काफी हैं कि उन पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कोई असर नहीं पड़ा है.
वैसे दूसरे चरण के चुनाव वाले सत्रह जिलों में बनाए गए 41,362 मतदान केंद्रों पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की 1174 कंपनियों को तैनात किया गया है. नक्सल प्रभाव वाले वैशाली, मुजफ्फरपुर, वैशाली व शिवहर जिले के 6451 बूथों पर काफी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. इन चार जिलों में विधानसभा की 15 सीटें हैं. द्वितीय चरण के चुनाव के लिए सभी दलों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया है. राजनेताओं ने ताबड़तोड़ सभाएं कीं तथा इस दौरान कोरोना से भी संक्रमित हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को छपरा, समस्तीपुर, मोतिहारी व बगहा में चुनावी सभाओं को संबोधित किया तो राजद नेता व महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने एक दिन में ताबड़तोड़ 19 जनसभाएं कर अपने पिता लालू प्रसाद की 16 रैलियों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. सबने अपने-अपने मुद्दे गढ़े और वादे किए. देखना है, आखिरकार जनता अपना वोट देकर किसे ताज पहनाती है.
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