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बिन हम्माम की अपील खारिज, प्रतिबंध लगा रहेगा

१६ सितम्बर २०११

एशियाई फुटबॉल के पूर्व प्रमुख मोहम्मद बिन हम्माम अब कभी फुटबॉल की राजनीति नहीं खेल पाएंगे. अपने ऊपर लगे आजीवन प्रतिबंध के खिलाफ की गई उनकी अपील खारिज हो गई है. हालांकि उन्होंने कहा है कि वह लड़ाई जारी रखेंगे.

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तस्वीर: AP

कतर के निवासी हम्माम पर बीती जुलाई में फीफा ने प्रतिबंध लगाया है. उन पर फीफा अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के लिए कैरेबियाई फुटबॉल संघों के अधिकारियों को रिश्वत देने का दोषी पाया गया. हालांकि वह इन आरोपों को सिरे से नकारते हैं.

Fußball FIFA Präsident Sepp Blatter
तस्वीर: AP

क्या कहा फीफा ने

अपील खारिज करने के बारे में बताते हुए विश्व फुटबॉल संघ फीफा ने अपने बयान में कहा है, "इक्वाडोर के फ्रांसिस्को अकोस्टा की अध्यक्षता वाली फीफा की अपील समिति ने 23 जुलाई 2011 को लिए गए फीफा आचारनीति समिति के उस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है, जिसमें फीफा की आचार संहिता का उल्लंघन करने के दोष में एग्जिक्यूटिव कमेटी के सदस्य मोहम्मद बिन हम्माम पर प्रतिबंध लगाया गया है."

Fußball FIFA Mohamed Bin Hammam Sepp Blatter
तस्वीर: picture alliance / dpa

फीफा ने कहा है कि मोहम्मद बिन हम्माम की अपील खारिज कर दी गई है और आचार संहिता समिति के फैसले को सही ठहराया गया है. फीफा के मुताबिक, "राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल से जुड़ी किसी भी गतिविधि (प्रशासनिक, खेल या अन्य) में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध होगा."

हैरान नहीं हम्माम

फीफा की समिति के फैसले के खिलाफ हम्माम ने अपील की थी जिसे अपील समिति ने खारिज कर दिया. हम्माम इस फैसले से हैरान नहीं हैं. वह कहते हैं, "बेशक अपील समिति का फैसला उम्मीद के उलट या हैरान करने वाला नहीं है. ईमानदारी से कहूं तो आचारनीति समिति में हमारा जो अनुभव रहा, उसके बाद तो मैंने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए गंभीरता से कोशिश ही नहीं की."

Mohamed Bin Hammam
तस्वीर: AP

62 साल के हम्माम ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, "मैं आखिरकार अंधेरी गुफा के अंत में रोशनी की एक किरण देख सकता हूं और मैं पूरे विश्वास से उस ओर बढ़ रहा हूं. मेरा अगला कदम होगा खेल न्यायालय सीएएस में जाना. वहां मैं अपने प्रतिद्वन्द्वियों के बराबर खड़ा हो सकूंगा."

एशियाई फुटबॉल संघों की कॉन्फेडरेशन के प्रमुख रहे बिन हम्माम ने अपने ऊपर लगे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है. दरअसल, वह फीफा के मौजूदा अध्यक्ष जेप ब्लाटर के खिलाफ चुनाव में खड़े हो रहे थे. जिस दौरान चुनाव के लिए प्रचार चल रहा था, उसी दौरान उन पर रिश्वत देने की कोशिशों के आरोप लगे. इस वजह से उन्हें चुनाव से हटना पड़ा. बाद में जेप ब्लाटर निर्विरोध चुने गए. ब्लाटर ने आचार समिति बनाई जिसने हम्माम पर लगे आरोपों को सही पाया और उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया.

फीफा पर सवाल

इस पूरे विवाद ने फीफा में भ्रष्टाचार के मामलों को उभारा है और इसके प्रशासनिक ढांचे में बदलाव की मांग जोर पकड़ने लगी है. भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने हाल ही में फीफा के प्रशासनिक ढांचे को अपारदर्शी बताया था.

अध्यक्ष पद के लिए वोट खरीदने के आरोपों ने पिछले साल कतर को वर्ल्ड कप की मेजबानी मिलने के फैसले को भी संदेह के घेरे में ला दियाहै. कतर को 2022 के वर्ल्ड कप की मेजबानी दी गई है. कतर का मुकाबला अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और जापान से था. लेकिन इन सबको पछाड़कर कतर बाजी मार ले गया जबकि उसका फुटबॉल में कोई बड़ा नाम नहीं है. बिन हम्माम कतर फुटबॉल संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्होंने अपने देश के लिए वर्ल्ड कप की मेजबानी जीतने में अहम भूमिका निभाई.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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