बंद कमरे में बुझती गई अनुराधा की जिंदगी
१३ अप्रैल २०११अनुराधा बहल व उनकी छोटी बहन की उम्र चालीस से ऊपर थी. उनके माता पिता की मौत हो चुकी थी, शादी के बाद भाई भी घर छोड़ चुका था, 6 माह पहले पालतू कुत्ते की भी मौत हो गई. गहरे अवसाद के चलते उन्होंने अपने आपको कमरे में बंद कर लिया. 6 महीनों से वे सिर्फ बिस्कुट, चिप्स और मिनरल वाटर के सहारे जीते रहे. पड़ोसियों ने पुलिस को खबर दी कि यहां दाल में कुछ काला है.
मंगलवार को जब दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर पहुंची, तो बड़ी बहन अनुराधा कोमा में थी. छोटी बहन सोनाली की भी हालत गंभीर थी. दोनों डिहाइड्रेशन के शिकार हो चुके थे. पुलिस ने बताया कि कमरे से बदबू आ रही थी, बिल न चुकाने की वजह से बिजली काट दी गई थी, दोनों बहनें मोमबत्ती जलाकर काम चलाती थीं. कमरे में थोड़ा सा नमक मिला लेकिन खाने को कुछ नहीं था.
पुलिस के साथ वहां गई सामाजिक कार्यकर्ता उषा ठाकुर ने कहा कि सोनाली अप्रैल के महीने में भी ऊनी कपड़े पहनी हुई थी, जबकि अनुराधा के बदन पर कम ही कपड़े थे. इसे आत्महत्या भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि दोनों महिलाओं ने कोई फैसला नहीं लिया था. न मरने का, और न ही जीने का.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: आभा एम