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फुटबॉल जगत का सबसे बड़ा स्कैंडल

२१ नवम्बर २००९

क्रिकेट के बाद अब फ़ुटबॉल में भी मैच फ़िक्सिंग का बड़ा मामला सामने आ रहा है. यूरोपीय फुटबॉल के 200 मैच शक के घेरे में हैं. कई बड़े नामों पर उगुंली उठी है. बताया जा रहा है कि ये फ़ुटबॉल इतिहास की सबसे बड़ी फ़िक्सिंग है.

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200 मैचों की जांचतस्वीर: AP

यूरोपीय फुटबॉल संघ, यूएफा और जर्मनी के पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि मैच फ़िक्सिंग के संदेह में 200 से ज़्यादा खिलाड़ियों की जांच हो रही है. शक है कि यूरोप में होने वाले नौ प्रमुख फ़ुटबॉल लीग टूर्नामेंटों के दौरान क़रीब 200 मैच फिक्स हुए. इनमें प्रतिष्ठित चैंपियंस लीग के तीन और न्यू यूरोपा लीग के 12 मैच भी शामिल हैं. जांच कर रही जर्मन पुलिस को शक है कि फ़िक्सिंग के तार कई अन्य महाद्वीपों से भी जुड़े हो सकते हैं.

शुक्रवार को जर्मन अभियोजन पक्ष के अधिकारी ने पत्रकारों को बताया कि टॉप लीग मुक़ाबलों के दौरान ऑस्ट्रिया, बोस्निया-हर्ज़ेगोविना, हंगरी, स्लोवैनिया, क्रोशिया और तुर्की में खेले गए कई मैचों की जांच की जा रही है. जर्मनी, स्विटज़रलैंड और बेल्ज़ियम में खेले गए सेकेंड डिवीजन मैच भी शक के घेरे से गुज़र रहे हैं.

Dirk Rasch
जर्मन पुलिस की जांचतस्वीर: AP

जांच के सिलसिले में यूरोप के कई देशों की पुलिस ने पचास शहरों में छापे मारे हैं. छापे जर्मनी, स्विटज़रलैंड और ऑस्ट्रिया में मारे गए. अभियोजन पक्ष के मुताबिक छापों में भारी मात्रा में दस्तावेज़ और पैसे बरामद किए गए. अब तक 17 लोग ग़िरफ़्तार किये गए हैं.

जांच अधिकारियों को शक है कि मैच फ़िक्सिंग के पीछे फ़ुटबॉल के नामी सितारों के अलावा कोच, रैफरी, अधिकारी और कई अपराधी गैंग शामिल हैं. जांच में यूएफा जर्मन पुलिस की मदद कर रहा है. शुक्रवार को यूएफा महासचिव गियानी इनवांटिनो ने कहा, ''ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ अदालती कार्रवाई से पहले ही यूएफा कड़े प्रतिबंधों की वक़ालत करता है.''

इस ख़ुलासे के बाद फ़ुटबॉल जगत में वैसा ही हड़कंप मचा हुआ है जैसा क़रीब दस साल पहले क्रिकेट में हुआ था. तब दिल्ली पुलिस ने मैच फ़िक्सिंग के सबसे बड़े रैकेट का पर्दाफ़ाश किया था और अज़हरुद्दीन, हैंसी क्रोनिए, निकी बोए, अजय जडेजा, निखिल चोपड़ा और हर्शेल गिब्स जैसे खिलाड़ी फंस गए थे.

यूरोपीय फ़ुटबॉल के अधिकारियों को भी ये फ़िक्सिंग क्रिकेट जैसी ही लग रही है. जांच में इस बात का इशारा मिल रहा है कि खिलाड़ियों की ख़रीद फ़रोख़्त करके मैचों के नतीजे बदले गए और सटोरियों ने भारी मुनाफ़ा पीटा. फ़ुटबॉल अधिकारियों को इस बात की चिंता भी है कि फ़िक्सिंग के दाग़ से खेल की लोकप्रियता पर असर पड़ सकता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एस जोशी