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प्रोटीन की तहों में छिपे राज आएंगे बाहर

१ नवम्बर २०११

म्यूनिख की तकनीकी यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों ने ऑप्टिकल चिमटियों के सहारे प्रोटीन तहों की सही संरचना का पता लगाया है. इससे प्रोटीन की संरचना और उसके काम करने के तरीके पर ज्यादा जानकारी मिल सकती है.

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सक्रिय होने के लिए प्रोटीन की तहें बनना जरूरी हैंतस्वीर: M. Rief

म्यूनिख टेक्नीकल यूनिवर्सिटी (टीयूएम) के भौतिक विज्ञानियों ने हाई-रेज्योल्यूशन वाली ऑप्टिकल चिमटियों के जरिए प्रोटीन के कणों को एक दूसरे से अलग किया ताकि पता लगाया जा सके कि प्रोटीन की तहें कैसे बनती और खुलती हैं और कैसे गलत तह के चलते सामान्य बीमारी से पीड़ित होने का खतरा पैदा होता है. इस शोध के नतीजे शुक्रवार को विज्ञान पत्रिका साइंस में प्रकाशित हुए.

Proteinmolekül wird mit Laser gehalten
रीफ की टीम ने प्रोटीन अणुकणिकाओं को लेजर के जरिए अलग कियातस्वीर: M. Rief

भौतिक विज्ञानियों की इस टीम का नेतृत्व टीयूएम के प्रोफेसर मथियास रीफ कर रहे हैं. इनका कहना है कि प्रोटीन के अणुओं को अलग अलग करके वे माध्यमिक संरचना और गतिमान अवस्थाओं के जटिल जाल का पता लगाने में सफल रहे. उन्हें सक्रिय सही तहों वाली अवस्थाओं के बारे में भी पता चला.

बेतरतीब कुंडलियां

प्रोटीन की तहें "बेतरतीब कुंडलियों" में बनती हैं और जब एक बार वे आकार ले लेती हैं तो शरीर के अंदर अपना काम शुरू कर सकती हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह समझना बेहतर होगा कि कैसे प्रोटीण अणु की तह जरूरी है क्योंकि गलत तह आपको अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों का शिकार बना सकती हैं.

Flash-Galerie Gehirn
प्रोटीन की तहें ठीक न हों तो अल्जाइमर जैसी बीमारियां हो सकती हैंतस्वीर: AP

रीफ ने डॉयचे वेले से बातचीत में कहा, "असल में अगर प्रोटीन की तहें गलत हों तो हम मुश्किल में पड़ जाते हैं. फिलहाल हम उन प्रोटीनों पर काम नहीं कर रहे हैं जिनका अल्जाइमर और पार्किंसंस से सीधा संबंध है, लेकिन हम सोच रहे हैं कि निकट भविष्य में हम यह तय कर पाएंगे कि कहां और किस बिंदु पर प्रोटीन की तह बनने की प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई और उसका क्या बुरा प्रभाव पड़ सकता है."

संरचना निर्णायक

प्रोटीन की संरचना से तय होता है कि वे कितनी अच्छी तरह काम करेंगी. इन संरचनाओं के देखने के लिए शोधकर्ताओं ने एक्सरे संरचना विश्लेषण जैसे तरीके विकसित किए हैं ताकि प्रोटीन तहों की तस्वीरें ली जा सकें. ये तस्वीरें पूरी तरह स्पष्ट नहीं होती लेकिन वैज्ञानिकों के लिए तह बनने के प्रक्रिया को समझने में बहुत मददगार होती हैं.

रीफ कहते हैं, "अब तक तहें बनने की प्रक्रिया को मापना मुश्किल रहा है क्योंकि कण बेहद छोटे होते हैं. हमारे पास प्रोटीन की संरचना को मापने के लिए दूसरे तरीके हैं लेकिन सिर्फ हमारा तरीका उसकी गतिशीलता को माप सकता है और यह महत्वपूर्ण है क्योंकि दूसरे तरीके आपको कुछ खास पलों की स्थिर तस्वीरें देते हैं और तब आप सिर्फ अंदाजा ही लगा सकते हैं कि उन पलों के बीच में क्या हुआ होगा. अब हमारे पास पूरी तस्वीर है."

Proteinmolekül
प्रोटीन अणुकणिकातस्वीर: AP

अन्य वैज्ञानिक भी रीफ और उनकी टीम के परिणामों को प्रभावशाली बताते हैं लेकिन बहुत से लोग सवाल भी उठाते हैं कि उनकी तकनीक को कैसे जीवित इंसानों पर लागू किया जा सकता है.

रिपोर्ट: जुल्फिकार अबानी/ए कुमार

संपादन: आभा एम

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