पाठकों की प्रतिक्रियाएं
१५ अगस्त २०११डीडब्ल्यू रेडियो से विदाई होने से बहुत ही गहरा सदमा लगा है,जिससे जल्दी उभरना मुश्किल है. आज भी भारत की अधिकांश आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है,जहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है, ऐसी अवस्था में कंप्यूटर तथा नेट की बात बेईमानी है. कुछ हद तक तो नेट पर डीडब्ल्यू के कार्यक्रम को जारी रखकर डीडब्ल्यू के श्रोताओं की उम्मीद को बरक़रार रखने का प्रयास किया गया है, फिर भी आज अधिकतर श्रोता अपने को इसके अभाव में अनाथ तथा बेबस महसूस कर रहे हैं. वैसे नेट पर आपके सभी लेख,ताजा समाचार, जो की पूरी तरह डाटा से युक्त, और पूरी प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुति हम छात्रों के लिए बहुत ही लाभदायक होती है.
सुमन कुमारी,गांव अंधारी,भोजपुर,बिहार
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जर्मनी से सीखें - आलेख आंखे खोलने वाला है. इच्छा शक्ति हो तो कोई भी काम असंभव नहीं. पिछले कुछ सालों से हमारे देश में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि देश हित अब गौण हो गया है. इस लिये तमाम लोकहित की योजनाएं अपने मुकाम तक नहीं पहुंच पा रही.
प्रमोद महेश्वरी, फतेहपुर-शेखावाटी, राजस्थान
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मैं आपकी बेवसाइट का एक पाठक हूं परंतु कुछ दिनों से वेबसाइट में हर प्रतिवेदन देख नहीं पा रहा हूं क्योंकि आप हर रिपोर्ट वेबसाइट पर देते हुए बहुत देर करते हैं, इसीलिये हमें हर रिपोर्ट देखने के लिए बहुत रात हो जाती है. आपसे निवेदन है कृपया रिपोर्टे वेबसाइट पर जल्द अपडेट किया करें. इस साल सितम्बर माह की विशेष पहेली प्रतियोगिता कृपया बहुत से इनामों के साथ जरूर रखे.
देवजयोति अधिकारी,मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल
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9/11 के दस साल- यह पूरा सेक्शन ही पठनीय बन पड़ा है. कहना पड़ेगा कि अंतरराष्ट्रीय मामलों पर डॉयचे वेले हिंदी की रिपोर्टिंग बेजोड़ है!!
संदीप सिसोदिया, फेसबुक पर
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कर गए आज़ाद भारत जो हमेशा के लिए, देश पर जान देने वाले उन शहीदों को सलाम.आजादी की खातिर अपनी जान न्यौछावर करने वाले तमाम शहीदों को खिराजे अकीदत पेश करते हुए और उन्हें याद करते हुए 15 अगस्त की दिल से मुबारक बाद पेश करता हूं. कबूल फरमाएं!
बिधान सान्याल, रेडियो मोस्को लिस्नर्स क्लब, बालुरघाट, पश्चिम बंगाल
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14 अगस्त को नेट पर जाकर आपके वेबपेज पर सारे आर्टिकल्स पढ़े. विश्व की बढ़ती आबादी से आज लोगों को अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ आबादी बढ़ाने से मूलभूत सुविधाओं जैसे रोटी, कपड़ा और मकान की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है तो दूसरी और मरने के बाद अंतिम संस्कार के लिए आज जगह का नहीं मिलना बेहद गंभीर तथा सोचने वाली बात है. जिस गति से आबादी बढ़ रही है, उस हिसाब से लगता है कि आने वाले दिन और भी गंभीर होने वाले हैं. सरकार और आम जनता सभी को मिलकर आबादी को नियंत्रित कर आने वाली समस्यों को कुछ हद तक कम कर सकते हैं.
राघो राम, मनीष रेडियो श्रोता क्लब, जिला भोजपुर, बिहार
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मैं आपकी वेबसाइट रोज देखता हूं.जर्मन स्कूल में बच्चों को बौद्ध धर्म की शिक्षा दी जा रही है, यह जानकर बहुत आनंद हुआ. इंटरनेट पेज में आप सभी का फोटो गैलरी भी बहुत अच्छा है. हर दिन कृपया सभी रिपोर्टे अपनी वेबसाइट पर जल्द दे दिया करे, ताकि हमारे जैसे बहुत से पाठक आपके द्वारा दी अच्छी अच्छी खबरें देख पाए.
शिशिर अधिकारी, मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल
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संकलनः विनोद चढ्डा
संपादनः आभा एम