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देश के लिए खेलना मेरा सपना: सचिन

६ नवम्बर २००९

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने 175 की शानदार पारी खेलने के बाद कहा है कि देश के लिए खेलना उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान है. जीनियस बल्लेबाज़ के मुताबिक यही प्रेरणा उन्हें बीते 20 साल से ताकत देती रही है.

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देश के लिए खेलना सम्मान की बाततस्वीर: AP

हैदराबाद के स्टेडियम में गुरुवार को तेंदुलकर तालियों की गड़गहाड़ के बीच बल्लेबाज़ी करने गए और पौने दो सौ रन की पारी खेलकर वैसे ही सम्मान के साथ लौटे. टीम इंडिया भले ही तीन रन से हार गई लेकिन मैन ऑफ द मैच तेंदुलकर ने कहा, ''अपने देश के लिए खेलना हमेशा से एक ख़्वाब रहा. मुझे गर्व है कि मैं 20 साल से ऐसा कर रहा हूं.''

मैच के बाद भावुक तेंदुलकर ने नतीजे पर निराशा भी जताई. सचिन ने कहा, ''हमने अच्छी शुरुआत की. सुरेश और मेरे बीच भी अच्छी साझेदारी हुई. लेकिन हमने कुछ अहम विकेट भी गंवाए और मैच भी. आख़िर में इससे निराशा होती है.''

Sachin Tendulkar Cricket Spieler Indien
कीर्तिमानों का भी रिकॉर्डतस्वीर: AP

अपने वनडे करियर के 435वें मैच में सचिन ने ऑस्ट्रेलियाई टीम की अकेले जान निकाल दी. गुरुवार को दर्शक उनसे 17,000 रन पूरे करने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन तेंदुलकर ने उम्मीदों का आसमान को चीरते हुए हाल के सालों में अपना सबसे ज़ोरदार खेल दिखला दिया. 19 चौकों और चार छक्कों की मदद से उन्होंने 100 रन तो सिर्फ बाउंड्री से ही बनाए. इस दौरान क्रिकेट की किताब का हर शॉट उन्होंने खेला.

ये सचिन की महानता ही है कि मैच के बाद उन्होंने शानदार प्रदर्शन का सेहरा रैना के सिर ज़्यादा बांधा. रैना की तारीफ करते हुए मास्टर ब्लास्टर ने कहा, ''सुरेश रैना बेहद प्रतिभाशाली हैं. हम दोनों ग़जब का ज़ोर लगा रहे थे. बड़ा लक्ष्य होने की वजह से लगातार दवाब बना रहा लेकिन हम दोनों उससे निपटने में कामयाब रहे और मैच को मुहाने तक लेकर गए.''

ये सचिन की बेजोड़ काबिलियत का ही कमाल है कि विपक्षी कप्तान रिकी पोंटिंग की ज़ुबान पर भी वही हावी रहे. पोंटिंग ने कहा, ''सचिन की पारी अतुलनीय थी. वो बेहद दवाब में खेली गई एक महान पारी थी.''

टीवी से चिपके और स्टेडियम से लौटे कई दर्शक तो तेंदुलकर की इस पारी को देखने के बाद खुद को भाग्यशाली मानने लगे. लेकिन अब भी क्रिकेट के भगवान के दिल में एक कसक बाकी है. तेंदुलकर के मुताबिक भारत के लिए विश्वकप जीतना उनका सपना है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य