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दिमाग की खातिर फुटबॉल पैरों से ही खेलें

३० नवम्बर २०११

फुटबॉल खेलते वक्त बहुत ज्यादा हेड मारने से दिमाग को नुकसान पहुंचता है. अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक स्कैन से यह पता चला है कि हेड मारने के शौकीन गैर पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ियों के मस्तिष्क में चोटें लगती हैं.

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तस्वीर: AP

शोधकर्ताओं ने एंडवास्ड एमआईआई तकनीक का सहारा लेते हुए 38 गैर पेशवर फुटबॉल खिलाड़ियों के दिमाग का स्कैन किया. स्कैन से पता चला कि जिस खिलाड़ी ने बीते एक साल में जितनी ज्यादा बार हेड लिया था, उसके दिमाग पर उतने ज्यादा चोट के निशान दिखाई पड़े. न्यूयॉर्क के अल्बर्ट आइन्सटाइन कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड मोंटेफिओर मेडिकल सेंटर के मुताबिक हेड से लगने वाली चोटें स्कैन में मस्तिष्क आघात की जैसी दिखाई पड़ीं.

David Beckham im Duell mit Simon Davies
तस्वीर: dpa

संस्थान के मुताबिक एक साल में 1,000 से 1,500 हेड मारने वाले खिलाड़ी के दिमाग को ठीक ठाक नुकसान होता है. शोध के मुख्य लेखक माइकल लिप्टन कहते हैं, "साल में गेंद को 1,000 या 1,500 बार हेड करना उन लोगों को बहुत ज्यादा लगता है कि जो इस खेल में हिस्सा नहीं लेते. लेकिन नियमित खिलाड़ियों के लिए दिन में कुछ बार हेड लेना आम बात होती है."

Drin
तस्वीर: AP

"सॉकर बॉल को को हेड करने का असर इस स्तर का नहीं होता है कि मस्तिष्क की नसें फट जाएं लेकिन लगातार हेडिंग से यह हो सकता है कि दिमाग की कोशिकाएं खत्म होने लगें."

Sieg für Dänen
तस्वीर: AP

शिकागो की रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका के शोधकर्ताओं का भी यही कहना है. उनके मुताबिक लगातार हेड मारने से दिमाग के उन हिस्सों पर बुरा असर पड़ता है जो इंसान को चौकन्ना बनाए रखते हैं. सालों तक सिर से टकराती फुटबॉल याददाश्त और देखने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है. लिप्टन कहते हैं, "यह दोनों अध्ययन बताते हैं कि सॉकर बॉल को लगातार हेड करने से दिमागी चोटें लग सकती है और मस्तिष्क कुछ मामलों में कमजोर पड़ सकता है."

रिसर्च टीम इस नतीजे पर भी पहुंची है कि सबसे ज्यादा हेड लेने वाले खिलाड़ी शब्दों की याद रखने में बहुत कमजोर होते हैं. उनके आंख और हाथ के बीच का संपर्क बहुत सटीक नहीं होता.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन