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थाइलैंड में थकसिन के समर्थन में प्रदर्शन

१९ सितम्बर २००९

तख़्तापलट के तीन साल पूरे होने पर थाइलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थकसिन शिनावत्रा के समर्थकों ने राजधानी बैंकॉक में प्रदर्शन किए. देश के पूर्वोत्तर में भी गांववालों औऱ थकसिन विरोधी संगठनों के बीच झड़पें हुईं.

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तख़्ता पलट के तीन सालतस्वीर: AP

बारिश, बाढ़ और छह हज़ार से ज़्यादा पुलिस कर्मियों के बीच थाइलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थकसिन शिनावत्रा के लगभग 20,000 समर्थक सेना द्वारा तख़्तापलट के तीन साल याद करने जमा हुए. लाल कमीज़ों वाले समर्थकों ने संसद को भंग करने और वरिष्ट शाही सलाहकार प्रेम तिनसुलानंदा के इस्तीफ़े की मांग की.

शनिवार 19 सितंबर को भारी बारिश के बीच रेनकोट और छाते लेकर यूनाइटेड फ्रंट फॉर डेमोक्रेसी अगैंस्ट डिक्टेटरशिप यूडीडी यानी थकसिन के समर्थकों वाली पार्टी के समर्थक बैंकॉक के रॉयल प्लाज़ा में जमा हुए. कई जगहों में पानी 15 सेंटीमीटर से ज़्यादा भरा हुआ था. प्रदर्शन के दौरान अशांति की कोई ख़बरें नहीं मिली हैं.

Thaksin-Anhänger in Bangkok
शांतिपूर्ण प्रदर्शनतस्वीर: AP

शिनावात्रा का भाषण

वीडियो द्वारा लोगों को संबोधित करते हुए थकसिन ने कहा, "तख़्तापलट के तीन साल बाद हमारा देश पिछड़ रहा है. समाज में न्याय नहीं है. जितने दिन यह सरकार चलेगी वह उस देश के लिए उतना ही हानिकारक होगा. मुझे छह महीने कर प्रधानमंत्री बनने का मौका मिले तो मैं इस देश को फिर सामान्य स्थिति में ले आऊंगा. "

इस बीच देश के पूर्वोत्तर सा सी केत में गांववालों औऱ थकसिन के ख़िलाफ पीपल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी पैड के समर्थकों के बीच झ़ड़पों में कई लोगों के घायल होने की ख़बर है. पैड के लगभग 4000 समर्थक बसों में कंबोड़िया और थाइलैंड की सीमा में प्रिय विहार मंदिर पर अधिकार जमाने जा रहे थे जब गांववालों ने उन पर पत्थर फैंके. अंतरराष्ट्रीय अदालत ने यह मंदिर कंबोडिया को सौंप दिया है.

Thai Prime Minister Thaksin Shinawatra
निर्वासित थाक्सिन शिनावात्रातस्वीर: AP

वेज्जाजीवा के लिये परेशानी

सा सी केत और बैंकॉक में थकसिन के समर्थन में हुए प्रदर्शनों थाइलैंड के वर्तमान प्रधानमंत्री अभिसीत वेज्जाजीवा के लिए बडी़ परेशानी बन सकते हैं. देश को वैसे भी अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में अपनी स्थिरता साबित करने की ज़रूरत है और विज्जाजीवा के गठबंधन वाली सरकार भी अंदरूनी जगड़ो से परे नहीं है. राजनीतिक अस्थिरता से निवेशकों के विश्वास में दरारें पैदा हो सकती हैं. हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि अस्थिरता के बावजूद देश में दोबारा तख़्तापलट होने की आशंका कम है.

रिपोर्ट-एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादन- आभा मोंढे