जर्मन फ़ुटबॉल पर सेक्स स्कैंडल का साया
८ मार्च २०१०ऐसा लगता है कि जर्मन फ़ुटबॉल एसोसिएशन को दिसंबर 2009 से ही पता था कि उसके रेफ़री सुपरवाइज़र मान्फ्रेड आमेरेल पर कुछ युवा रेफ़रियों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. लेकिन लंबे समय तक इन आरोपों को दबाने की कोशिश की गई. पर आरोपों के सामने आने के बाद आमेरेल ने अपने सभी पदों से इस्तीफ़ा दे दिया है. इस मामले को लेकर हर दिन नई नई बातें सामने आ रही हैं.
62 साल के आमेरेल 1986 से 1994 तक जर्मन फ़ुटबॉल लीग बुंडेसलीगा में रेफ़री थे. इसके बाद उन्हे बुंडेसलीगा और इंटरनेशनल मैच के लिए युवा रेफ़रियों को चुनने और तैयार करने का काम सौंपा था. इसके लिए आमेरेल को जर्मन फ़ुटबॉल एसोसिएशन में सुपरवाइज़र का पद दिया गया था. आमेरेल शादी शुदा है और उनकी दो बेटियां भी है. अपने अनुभव और सफलता की वजह से आमेरेल को बहुत सम्मान के साथ देखा जाता रहा है.
दिसंबर 2009 में बुंडेसलीगा के सबसे युवा रेफ़री मिशाएल कैंपटर ने पहली बार जर्मन फुटबॉल एसोसिएशन को बताया कि आमेरेल ने उनका यौन उत्पीड़न किया. इसके बाद तीन दूसरे रेफ़रियों ने भी कहा कि उनके साथ भी ऐसा हुआ है. आमेरेल ने मिशाएल कैंपटर के साथ संबंध होने की पुष्टि तो की लेकिन कहा कि ऐसा दोनों की सहमति से हुआ था. यह साबित करने के लिए आमेरेल ने जर्मन मीडिया में कुछ ईमेल भी प्रकाशित किए.
आमेरेल का कहना है कि यदि संबंध बनाने के लिए कैंपटर पर किसी तरह का दबाव रहता तब वह इस तरह के ईमेल नहीं लिखते. आमेरेल ने जर्मन फ़ुटबॉल एसोसिएशन की भी आलोचना की है और कहा है कि उनकी निजी जिंदगी और उनकी प्राइवेसी को ध्यान में नहीं रखा गया. आमेरेल के मुताबिक़ बिना किसी सबूत और उनका पक्ष जाने बग़ैर ही कैंपटर के आरोपों को मीडिया में पेश कर दिया गया. आमेरेल ने अपने वकील के ज़रिए घोषणा की है कि वह केस दर्ज कराने जाएंगे और मुआवज़े की मांग करेंगे. हालांकि आमेरेल ने स्वीकार किया है कि वह अपना पद संभालने में नाकाम रहे हैं क्योंकि उन्होंने मानवीय कमज़ोरी दिखाई.
लेकिन इन मामले के सामने आने के बाद मिशाएल कैंपटर का करियर भी ख़तरे में पड़ गया है. 27 साल के कैंपटर बुंडेसलीगा में सबसे युवा रेफ़री हैं. कैंपटर फ़ीफ़ा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय थे हालांकि उन्हें विश्व कप के लिए नामांकित नहीं किया गया था. उनकी प्रतिभा को देखते हुए कहा जाता था कि उनका एक अच्छा भविष्य बन सकता है. सब इस बात पर निर्भर करता है कि क्या उन पर झूठ बोलने का आरोप सही साबित होता है या नहीं. इसके आलावा एक और चीज़ उनके लिए मुश्किल का सबब बन सकती है.
आमेरेल को लिखे एक ईमेल में उन्होने जर्मनी के सबसे शक्तिशाली क्लब बायर्न म्यूनिख को लेकर एक मैच के बारे में लिखा था कि वह चैंपियंस लीग में बायर्न म्यूनिख को जल्द ही बाहर फेंकना चाहते हैं. इससे नाराज़ बायर्न म्यूनिख के अध्यक्ष डीथर होएनेस ने मांग की है कि कैंपटर को किसी भी मैच में अब शामिल नहीं करना चाहिए.
जर्मन फ़ुटबॉल एसोसिएशन पर इस मामले की जांच पेशेवर ढंग से नहीं करने के आरोप लग रहे हैं. एसोसिएशन के अध्यक्ष थेऔ ज़्वांज़िगर पर दबाव बढ रहा है. विवाद के शोर के बीच फ़िलहाल ऐसा नहीं लगता कि यह पूरा मामला जल्द ही ख़त्म हो पाएगा और माना जा रहा है कि कई अन्य उच्च अधिकारियों को भी इस्तीफ़ा देना पड़ सकता है.