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जबरन चीनी शिक्षा पर हॉन्ग कॉन्ग में विवाद

१२ जुलाई २०१२

हॉन्ग कॉन्ग के लोगों को चीन का आक्रामक रवैया पसंद नहीं आ रहा है. इसी महीने की पहली तारीख को राष्ट्रपति हू जिंताओ की यात्रा का हॉन्ग कॉन्ग के लोगों ने जबर्दस्त विरोध किया. आजकल एक किताब को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है.

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तस्वीर: AP

किताब का नाम है "द चाइना मॉडल". इस किताब का मकसद हॉन्ग कॉन्ग में चीन के प्रति राष्ट्रीय शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना है. लेकिन हॉन्ग कॉन्ग के लोग इसे चीन के बढ़ते दखल के रूप में ले रहे हैं. लोगों का मानना है कि यह किताब चीन के दुष्प्रचार का हिस्सा है. 34 पेज की इस किताब में चीन की राजनीतिक व्यवस्था के बारे में बात की गई है. शासन कर रही कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को "प्रगतिशील, परोपकारी और संगठित" बताया गया है. इतना ही नहीं किताब में अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था को "लोगों के लिए हानिकारक" और "सामाजिक अस्थिरता फैलाने वाली" बताया गया है.

किताब हॉन्ग कॉन्ग पर चीन के शासन के 15 साल पूरे होने के मौके पर स्कूलों में पिछले शुक्रवार को बांटी गई. राष्ट्रीय शिक्षा सेवा केन्द्र के जरिए इसे स्कूलों तक पहुंचाया गया. हॉन्ग कॉन्ग की स्थानीय मीडिया ने चीन के इस कदम की आलोचना की है. मीडिया में इसे बच्चों के दिमाग को प्रभावित करने वाला बताया गया है. हॉन्ग कॉन्ग की सिटी युनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर जोसेफ चेंग यु शेक का कहना है, "इस किताब में चीन के अच्छे पहलू के बारे में ही लिखा गया है. इसमें आलोचनात्मक बातचीत की कमी है. मुझे इस बात की चिंता हो रही है कि इस तरह की राष्ट्रीय शिक्षा से हॉन्ग कॉन्ग के मूल्य धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे."

अनिवार्य राष्ट्रीय शिक्षा को लेकर हॉन्ग कॉन्ग के विद्यार्थी भी चिंतित हैं. 15 साल के जास्पर वोंग का कहना है, "मैं खुद को हॉन्ग कॉन्ग और चीन दोनों का नागरिक मानता हूं. मैं अपने देश से प्यार करता हूं और मुझे राष्ट्रवाद से कोई ऐतराज नहीं है. लेकिन इसे स्कूलों में थोपा नहीं जाना चाहिए. हमें इस तरह की किताबें नहीं थोपनी चाहिए जिनका मकसद विद्यार्थियों की सोच को प्रभावित करना हो."

किताब ऐसे समय में स्कूलों में बांटी जा रही है जब चीन के प्रति हॉन्ग कॉन्ग के लोगों का गुस्सा चरम पर है. चीन के प्रति राष्ट्रप्रेम की शिक्षा बांटने वाली किताब को 2015 तक हर प्राथमिक और मिडिल स्कूल में लागू किया जाना है. साल भर में हर विद्यार्थी को 50 घंटे "राष्ट्रीय सद्भभाव, चीनी पहचान और एकता" की पढ़ाई के लिए देना होगा. ब्रिटेन से वापस मिलने के बाद से ही चीन हॉन्ग कॉन्ग को पूरी तरह से चीन के अधीन करने की कोशिशों में लगा रहा है.

वीडी/आईबी (रॉयटर्स)

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