जन पंचायत तय करेगी टिकैत का उत्तराधिकारी
१७ मई २०११गठ्वाला खाप के मुखिया हरिकिशन सिंह मालिक का कहना है कि जनता जनार्दन उनका उत्तराधिकारी तय करेगी. देशखाप के मुखिया सुरेन्द्र सिंह ने कहा की टिकैत की कोई बराबरी तो कर नहीं सकता. उनके उत्तराधिकारी का चयन आपसी विचार विमर्श से किया जाएगा. लातियान खाप के मुखिया चौधरी वीरेंद्र सिंह उनके उत्तराधिकारी का फैसला जनता के बीच होगा.
टिकैत का पार्थिव शरीर सोमवार को मुजफ्फरनगर जिले में उनके पैत्रक गांव सिसौली में पंचतत्व में विलीन कर दिया गया. हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा समेत दर्जनों नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. हजारों किसानों ने भी भीगी आंखों से अपने नेता को विदाई दी.
टिकैत की मौत से किसान राजनीति के स्वर्णिम अध्याय का अंत हो गया. यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि सफेद सूती धोती और कमीज के साथ पैरों में हवाई चप्पल पहने सातवीं पास महेंद्र सिंह को आठ साल की उम्र में ही बालियान खाप का मुखिया चुन लिया गया था. मुखिया चुने जाने पर जब टीका किया गया तो टीका लगे बालक को लोगों ने 'टिकैत' पुकारना शुरू कर दिया. इस तरह वह चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत बन गए.
चौधरी चरण सिंह के प्रधानमंत्री बनने से पहले तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट बहुत भोले हुआ करते थे. चरण सिंह सियासत के फलक पर चमके और 1984 में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में कर्मुखेड़ा में हजारों किसानों ने दो सिपाहियों समेत एक बिजलीघर फूंक दिया. यहीं से जाट राजनीति में उग्र तेवर शामिल हुए. ऐसा नहीं है की तब पंचायतें नहीं थीं. लेकिन तब गांव की समस्याएं सुलझाना और आपसी विवाद तक सीमित थीं. तभी दलित और पिछड़ी जातियों के स्वाभिमान को राजनीतिक रूप से ग्लैमराइज करने की होड़ बढ़ी. इसी होड़ ने इन पंचायतों का स्वरूप बदल दिया. फिर इनका सियासी असर और इस्तेमाल भी बढ़ता गया.
रिपोर्टः सुहेल वहीद, लखनऊ
संपादनः ए कुमार