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जन पंचायत तय करेगी टिकैत का उत्तराधिकारी

१७ मई २०११

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष और बालियान खाप पंचायत के मुखिया चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का उत्तराधिकारी उनकी तेरहवीं के बाद जन पंचायत में चुना जाएगा. खाप पंचायतों ने कहा, जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं होगा.

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An old Indian farmer at the rally organized by Rashtriya Lok Dal on Land Acquisition Bill at Jantar Mantar in New Delhi on Thursday. Ein alter indischer Bauer bei einer Protestveranstaltung, die von der Partei Rashtriya Lok Dal (RJD) in Delhi organisiert wurde Farmer, protest, Indien , Land Acquisition Bill Quelle UNI
तस्वीर: UNI

गठ्वाला खाप के मुखिया हरिकिशन सिंह मालिक का कहना है कि जनता जनार्दन उनका उत्तराधिकारी तय करेगी. देशखाप के मुखिया सुरेन्द्र सिंह ने कहा की टिकैत की कोई बराबरी तो कर नहीं सकता. उनके उत्तराधिकारी का चयन आपसी विचार विमर्श से किया जाएगा. लातियान खाप के मुखिया चौधरी वीरेंद्र सिंह उनके उत्तराधिकारी का फैसला जनता के बीच होगा.

टिकैत का पार्थिव शरीर सोमवार को मुजफ्फरनगर जिले में उनके पैत्रक गांव सिसौली में पंचतत्व में विलीन कर दिया गया. हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा समेत दर्जनों नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. हजारों किसानों ने भी भीगी आंखों से अपने नेता को विदाई दी.

टिकैत की मौत से किसान राजनीति के स्वर्णिम अध्याय का अंत हो गया. यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि सफेद सूती धोती और कमीज के साथ पैरों में हवाई चप्पल पहने सातवीं पास महेंद्र सिंह को आठ साल की उम्र में ही बालियान खाप का मुखिया चुन लिया गया था. मुखिया चुने जाने पर जब टीका किया गया तो टीका लगे बालक को लोगों ने 'टिकैत' पुकारना शुरू कर दिया. इस तरह वह चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत बन गए.

चौधरी चरण सिंह के प्रधानमंत्री बनने से पहले तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट बहुत भोले हुआ करते थे. चरण सिंह सियासत के फलक पर चमके और 1984 में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में कर्मुखेड़ा में हजारों किसानों ने दो सिपाहियों समेत एक बिजलीघर फूंक दिया. यहीं से जाट राजनीति में उग्र तेवर शामिल हुए. ऐसा नहीं है की तब पंचायतें नहीं थीं. लेकिन तब गांव की समस्याएं सुलझाना और आपसी विवाद तक सीमित थीं. तभी दलित और पिछड़ी जातियों के स्वाभिमान को राजनीतिक रूप से ग्लैमराइज करने की होड़ बढ़ी. इसी होड़ ने इन पंचायतों का स्वरूप बदल दिया. फिर इनका सियासी असर और इस्तेमाल भी बढ़ता गया.

रिपोर्टः सुहेल वहीद, लखनऊ

संपादनः ए कुमार

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