छात्र की ठोकरों से युवक कोमा में, मुकदमा
२४ अगस्त २०११मुकदमे के पहले ही दिन आरोपी ने अपराध कबूल कर लिया. लोगों को मुकदमे का बेसब्री से इंतजार था. 18 साल के आरोपी ने उस व्यक्ति की ऐसी पिटाई की थी कि वह कोमा में चला गया. मामले के ठीक चार महीने बाद मुकदमा शुरू हुआ. दो मीटर लंबा और छोटे बालों वाला स्कूली छात्र टोर्बेन पी कतई खूंखार गुंडे जैसा नहीं लग रहा था बल्कि हाथ बांधे जज के सवालों का ऐसे जवाब दे रहा था जैसे नौकरी का इंटरव्यू दे रहा हो.
सरकारी वकील ने टोर्बेन पर हत्या की कोशिश और खतरनाक ढंग से शारीरिक नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है. उसने पहले उस व्यक्ति के चेहरे पर बोतल से प्रहार किया और जब वह जमीन पर बेहोश होकर गिर गया तब उसके सिर पर बार बार ठोकर मारी. अभियोजन पक्ष ने टोर्बेन के 18 वर्षीय दोस्त नीको ए पर भी मुकदमा किया है जो घटनास्थल पर मौजूद था लेकिन उसने आरोपी को नहीं रोका. इसके विपरीत उसने एक मददगार को रोका और उसे घायल कर दिया. उस पर शारीरिक क्षति पहुंचाने और मदद न करने के आरोप हैं.
जर्मनी और यूरोपीय देशों में ऐसे मामलों के शिकार लोगों की पहचान छिपाने के लिए उनके सरनेम को सार्वजनिक नहीं किया जाता है. ज्यादातर मुल्कों में लोगों की पहचान उनके पारिवारिक नाम (सरनेम) से ही होती है.
बर्बरता पर बहस
इस घटना के बाद देश भर में किशोरों की बर्बरता पर बहस छिड़ गई. यह सवाल भी पूछा गया कि कोई इतना बर्बर कैसे हो सकता है. इसका जवाब मुकदमे के पहले दिन टोर्बेन के पास भी नहीं था, लेकिन उसने यह जरूर कहा कि उसे अपने ऊपर क्षुब्ध और हक्का बक्का है.
वोडका, बीयर और वाइनब्रांड की लंबी पार्टी के बाद टोर्बेन नशे में था. उसने कहा कि उसे सिर्फ अपनी भावना की याद है. मार्कुस पी ने उसे कॉलर से पकड़ा था, उसने उसे छोड़ देने को कहा. "मैं डर गया था और मुझे लगा कि मुझे अपनी रक्षा करनी है." जज ऊवे नौएत्सेल के पूछने पर उसने कहा कि उसने इससे पहले किसी व्यक्ति को किसी कड़े चीज से नहीं मारा था, किसी के सिर पर ठोकर नहीं मारी थी.
हमले का शिकार 29 वर्षीय मार्कुस पी ने मुकदमे में कहा कि उसे घटना की कतई याद नहीं है लेकिन उसे इस बात का क्षोभ है कि ठीकठाक पारिवारिक पृष्ठभूमि से आने के कारण आरोपी को पुलिस ने जमानत पर रिहा कर दिया. टोर्बेन ने कहा है कि उसे घटना पर शर्म है और वह अपने किए की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है. उसे 10 से 15 साल कैद की सजा हो सकती है. सजा की अवधि इस बात पर निर्भर करेगी कि जज युवा अपराध कानून को लागू करते हैं या वयस्क अपराध संहिता को.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ए जमाल