क्या शाहीन बाग प्रदर्शन वाकई बीजेपी ने आयोजित किए थे?
१८ अगस्त २०२०2019-20 में 100 दिनों से भी ज्यादा तक चलने वाले शाहीन बाग प्रदर्शनों से जुड़े कुछ लोगों के बीजेपी में शामिल होने की वजह से दिल्ली में राजनीति फिर गरमा रही है. दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि इन लोगों के बीजेपी में शामिल होने से यह साबित हो गया है कि शाहीन बाग प्रदर्शनों का आयोजन दिल्ली विधान सभा चुनावों के ठीक पहले राजनीतिक ध्रुवीकरण कराने के लिए बीजेपी ने ही किया था.
शाहीन बाग दक्षिणी दिल्ली का एक छोटा सा इलाका हैं जहां दिसंबर 2019 में नए नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे. धीरे धीरे ये इलाका दिल्ली में इन प्रदर्शनों का केंद्र बन गया था और देश के कई दूसरे कोनों में भी प्रदर्शनकारी इससे प्रेरित हुए थे. इसकी विशेष बातों में एक एक यह भी थी कि इसमें महिलाओं ने अग्रणी भूमिका निभाई थी. बैटन रेस की तरह बारी बारी प्रदर्शन पर बैठ कर उन महिलाओं ने अपना काम भी जारी रखा और प्रदर्शन भी.
क्यों मशहूर हुआ था शाहीन बाग
उन महिलाओं में कुछ बुजुर्ग भी थीं जो शाहीन बाग की दादियों के नाम से मशहूर हो गई थीं. उस दौरान भी उन पर पैसे लेकर प्रदर्शन करने का आरोप लगा था, जिसका खंडन करते हुए उन्होंने कहा था कि आरोप लगाने वाले उल्टा उनसे पैसे लेकर चार दिनों तक प्रदर्शन पर बैठ कर दिखा दे.
इन्हीं शाहीन बाग प्रदर्शनों की तर्ज पर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर और जाफराबाद इलाकों में भी नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित करने की कोशिश की गई थी, जिसके विरोध में फरवरी में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने वहां भाषण दिया था और उसके बाद वहां दंगे शुरू हुए थे. बाद में इन्हीं दंगों के पीछे की साजिश की जांच के क्रम में दिल्ली पुलिस ने शाहीन बाग प्रदर्शनों में शामिल कई लोगों को गिरफ्तार भी किया.
सोमवार 17 अगस्त को कई मुस्लिम नेता दिल्ली में भाजपा में शामिल हुए. भाजपा का कहना था कि इनमें से कई शाहीन बाग प्रदर्शनों से जुड़े हुए थे लेकिन अब उन प्रदर्शनों से उनका मोहभंग हो चुका है और इसीलिए वो बीजेपी का दामन थाम रहे हैं. इसके बाद आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि शाहीन बाग प्रदर्शन बीजेपी ने ही आयोजित किए थे, जिनकी वजह से दिल्ली में चुनावों के पहले ध्रुवीकरण हुआ और बीजेपी को अपेक्षा से ज्यादा आठ सीटें मिलीं.
मुस्लिम महिलाओं का आंदोलन
आम आदमी पार्टी की इस दलील को नागरिकता कानून का विरोध करने वाले कई एक्टिविस्टों ने ठुकरा दिया है. जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने कहा है कि शाहीन बाग की वजह से अगर ध्रुवीकरण हुआ होता तो पार्टी के उस इलाके से विधायक अमानतुल्ला खान वोटों के बड़े अंतर से जीते नहीं होते. खान खुद कई बार उन प्रदर्शनों में शामिल हुए थे.
उन प्रदर्शनों पर रिपोर्टिंग करने वाले कई पत्रकारों ने भी इस बात से इनकार किया है कि प्रदर्शन बीजेपी द्वारा आयोजित किए गए थे. वरिष्ठ पत्रकार और "शाहीन बाग: फ्रॉम प्रोटेस्ट टू ए मूवमेंट" किताब के लेखक जिया उस सलाम ने डीडब्ल्यू से कहा कि आम आदमी पार्टी का यह आरोप "द्वेषपूर्ण है और शाहीन बाग आंदोलन का नेतृत्व करने वाली मुस्लिम महिलाओं के महान कार्य को नुकसान पहुंचाने की मंशा से प्रेरित है."
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