क्या पाकिस्तान बदलेगा अपनी अफगान नीति
२९ जून २०१८37 सदस्य देशों वाली फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) एक अंतरसरकारी निगरानी संस्था है. एफएटीएफ ने पेरिस में एक हफ्ते की बैठक के बाद पाकिस्तान को तथाकथित ग्रे लिस्ट पर डाल दिया है. इस फैसले का मतलब ये है कि पाकिस्तान की वित्तीय व्यवस्था को आतंकवाद के वित्तीय पोषण और मनी लाउंडरिंग को रोक पाने में नाकामी के कारण अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के लिए खतरा माना जाएगा. फरवरी में पाकिस्तान को तीन महीने का नोटिस दिया गया था कि वह अपनी धरती पर काम कर रहे आतंकवादी गुटों की फंडिंग को रोके.
व्यापक समर्थन
इस पर समीक्षा के बाद संस्था ने पाया कि पाकिस्तान सरकार ने उसकी मांगों को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया है. पाकिस्तान सरकार का कहना है कि उसने इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई की है. सिर्फ तुर्की और चीन ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट पर डालने के मनी लाउंडरिंग विरोधी संस्था के प्रस्ताव का विरोध किया. लेकिन ये प्रस्ताव को रोकने के लिए काफी नहीं था. फरवरी में पाकिस्तान का समर्थन करने वाले सऊदी अरब ने इस बार प्रस्ताव का समर्थन किया. एफएटीएफ की मांगों को नहीं मानने पर पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है. फिलहाल सिर्फ इराक और उत्तर कोरिया ब्लैकलिस्ट में हैं.
इस फैसले से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है. वह पहले से ही हिंसक इस्लामी कट्टरपंथी आंदोलन और ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है. पाकिस्तान को इससे पहले 2012 से 2015 तक भी इस सूची में रखा गया था.एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल देशों में इथियोपिया, यमन, इराक, सीरिया, सर्बिया, श्रीलंका, त्रिनिडाड, वनुआतू और ट्यूनीशिया भी हैं.
पाकिस्तान का अड़ियल रुख
पाकिस्तान के अंतरिम गृह मंत्री आजम खान ने अमेरिका और यूरोपीय संघ पर इस फैसले के लिए एफएटीएफ पर दबाव डालने का आरोप लगाया है. पाकिस्तानी सुरक्षा विश्लेषक फिदा खान ने समाचार एजेंसी डीपीए से कहा कि मनी लाउंडरिंग विरोधी संस्था का फैसला ऐसे समय में पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा देगा जब अमेरिका उससे अफगानिस्तान में सहयोग के लिए जोर डाल रहा है. वे कहते हैं, "पाकिस्तान बाध्यता और दबाव में होगा."
लेकिन 25 जुलाई को होने वाले संसदीय चुनाव से पहले शासन कर रही पाकिस्तान की अंतरिम सरकार ने एक कट्टरपंथी सुन्नी दल के नेता मोहम्मद अहमद लुधियानवी को आतंकवादी सूची से हटा दिया है. देश का चुनाव आयोग अब इस बात का फैसला करेगा कि अहले सुन्नत वाल जमात के लुधियानवी चुनाव में उम्मीदवार बन सकते हैं या नहीं.
अमेरिका की सख्ती
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान से अफगानिस्तान में नाटो सैनिकों पर हमला करने वाले कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं. फरवरी में अमेरिका ने पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट पर डालने के लिए सदस्य देशों में कई हफ्तों तक लॉबी की थी. जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस ने भी इसका समर्थन किया है. पिछले साल ट्रंप ने नई आक्रामक अफगान नीति की घोषणा की थी जिसमें पाकिस्तान को पार्टनर के बदले समस्या बताया गया है.
ट्रंप ने 2018 के अपने पहले ट्वीट में लिखा था, "हमने पाकिस्तान को पिछले 15 सालों में बेवकूफों की तरह 33 अरब डॉलर की सहायता दी है और उन्होंने इसके बदले में हमारे नेताओं को बेवकूफ समझकर झूठ और धोखे से अलावा कुछ नहीं दिया है. वे आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह देते हैं जिनका हम अफगानिस्तान में शिकार कर रहे हैं. अब और नहीं." ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सैनिक सहायता घटा दी है.