कश्मीर में दखल नहीं देगा यूरोपीय संघ
१४ मई २०११श्रीनगर में ईयू प्रतिनिधिमंडल में सामिल डेनिलय स्मदया ने कहा कि कश्मीर मुद्दे को क्षेत्र में रह रहे लोगों को ही सुलझाना होगा. "हम यहां मुद्दे के समाधान के लिए किसी खास पेशकश के साथ नहीं आए हैं. जो भी इस क्षेत्र में हो रहा है उसे यहीं के लोगों को सुलझाना होगा." जब उनसे पूछा गया कि क्या यूरोपीय संघ कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र मानता है तो उन्होंने कहा, "कुछ मुद्दे तो ऐसे हैं जिनका निपटारा आपको खुद भी करना है."
स्मदया ने स्पष्ट किया, "हम यहां हर साल आते हैं. ठीक उसी तरह जैसे हम दुनिया के अलग अलग देशों की यात्रा करते हैं. एक राजदूत होने के नाते हमारा फर्ज है कि हम देश के हर हिस्से में रहने वाले लोगों से बात करें." वहीं हुर्रियत कांफ्रेंस के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फारुक ने कहा, "कश्मीर मुद्दे से जुड़ा अंदरुनी पहलू भी है और बाहरी पहलू भी. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे संकल्प लिए गए जिन्हें अब तक पूरा नहीं किया गया. अगर अन्य देश मध्यस्थता नहीं कर सकते तो बातचीत शुरू कराने में भूमिका तो निभा ही सकते हैं."
मीरवाइज उमर फारुक का कहना है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच कुछ सकारात्मक कदम उठाए जाते हैं तो कश्मीर की जनता उसका पूरा साथ देगी. उमर फारुक के मुताबिक पर्दे के पीछे दोनों देश संवाद के जरिए आपसी मतभेदों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. यूरोपीय संघ प्रतिनिधिमंडल ने जेकेएलएफ मूवमेंट के नेता यासीन मलिक से भी बात की. मलिक ने उनसे कहा कि यूरोपीय संघ को अपने प्रभाव का इस्तेमाल भारत और पाकिस्तान को कदम उठाने के लिए तैयार करने पर करना चाहिए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल