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एशिया में पायलटों की कमी-बोइंग

२० सितम्बर २०११

आने वाले सालों में एविएशन सेक्टर से जुड़े लोगों के लिए एशिया बेहतरीन जगह साबित होगी. क्योंकि अगले कुछ सालों में एशिया में उड्डयन क्षेत्र में लाखों नई नौकरियां आएंगी.

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बोइंग 787 ड्रीमलाइनरतस्वीर: DPA

विमान निर्माता कंपनी बोइंग ने चेतावनी दी है एशिया में बढ़ती मांग के बावजूद पायलटों की कमी हो रही है. हवाई यात्रा में तेजी के बावजूद नए लोग इस पेशे में नहीं आ रहे हैं. इस वजह से हवाई कंपनियों के लिए यह कठिन साबित हो रहा है.

भविष्यवाणी

बोइंग की भविष्यवाणी है कि एशिया पेसेफिक क्षेत्र में साल 2011 और 2030 के बीच 1,82,300 नए पायलटों की जरूरत होगी. जबकि नए पायलटों की जरूरत चीन में भी खूब होगी. लंब समय में विमान की मांग को देखते हुए इस दौरान क्षेत्र में करीब ढाई लाख विमान तकनीशियन की भी जरूरत पड़ेगी. एशिया में फिलहाल 60,500  पायलट और 46,500 तकनीशियन काम करते हैं. नए पायलट और तकनीशियनों की जरूरत नए खाली पदों को भरने के लिए होगा. साथ ही साथ जो लोग रिटायर हो रहे हैं उनकी जगह भी भरी जाएंगी. लेकिन बोइंग के मुख्य ग्राहक अधिकारी रोए गंजरास्की चेतावनी देते हैं कि एशिया में  हवाई सफर तेजी से बढ़ रहा है लेकिन पायलट और तकनीशियन उतनी तेजी से नहीं आ रहे हैं. उनके मुताबिक एशिया पेसेफिक में बहुत सारी एयरलाइन हैं जो पायलट की कमी की वजह से या तो उड़ानों की संख्या घटा दी या फिर जहाज उड़ नहीं पा रहे हैं.

Air India Flugzeuge
एशिया में बढ़ती मांगतस्वीर: AP

एविएशन में आऐं

उन्होंने किसी विमान कंपनी का नाम तो नहीं लिया लेकिन भारत, इंडोनेशिया और फिलिपींस जैसे देशों का नाम लिया. गंजरास्की के मुताबिक बोइंग कोशिश करेगी कि युवा भी एविएशन सेक्टर में आएं. उनके मुताबिक अब यह इंडस्ट्री में चमक नहीं रही. उनके मुताबिक युवा आजकल गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी में काम करना पसंद करते हैं. एशिया में कंपनियां लो बजट एयरलाइंस शुरू करने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं. इस क्षेत्र में मिडिल क्लास की संख्या बढ़ी हैं और अब पहले से कहीं ज्यादा लोग हवाई सफर करने में सक्षम हैं.

रिपोर्ट:एजेंसियां / आमिर अंसारी

संपादन: आभा एम

 

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