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मालेगांव की सुनवाई बंद कमरे में करने की मांग क्यों?

समीरात्मज मिश्र
६ अगस्त २०१९

मालेगांव बम धमाके की सुनवाई बंद कमरे में करने और मीडिया को उससे दूर रखने संबंधी जांच एजेंसी एनआईए की अपील को लेकर जहां अभियुक्तों में ही एक राय नहीं है वहीं मीडिया के एक वर्ग ने भी इसके खिलाफ अदालत में याचिका दायर की है.

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Sadhvi Pragya Singh Thakur
फाइलतस्वीर: IANS

राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने पिछले हफ्ते साल 2008 में हुए मालेगांव विस्फोट मामले की बंद कमरे में सुनवाई की मांग की. बंद कमरे में सुनवाई के दौरान आम लोगों और प्रेस को अदालत के कक्ष में मौजूद होने की अनुमति नहीं होती है. बेहद चर्चित इस मामले में बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर मुख्य अभियुक्त हैं.

मौजूदा समय में अदालत गवाहों के बयान दर्ज कर रही है और सूचीबद्ध किए गए 475 गवाहों में से अब तक अभियोजन पक्ष के 124 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं. अभियुक्त प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित ने आईएनए की इस दलील का समर्थन किया है जबकि कई अन्य अभियुक्त इसके विरोध में दिख रहे हैं. यदि कोर्ट एनआईए की इस दलील को स्वीकार कर लेती है तो सुनवाई के समय कोर्ट रूम में अभियुक्त, उनके वकील, अभियोजन टीम के सदस्य और कोर्ट के कर्मचारी ही मौजूद रह सकेंगे, इनके अलावा और कोई नहीं.

एनआईए की इस अर्जी का समर्थन करते हुए प्रज्ञा ठाकुर का कहना है, "मामले की संवेदनशीलता, आरोपों की प्रकृति और गवाहों की सुरक्षा को देखते हुए सुनवाई को प्रचार प्रसार से दूर रखना ही ठीक है. इससे पहले भी सुनवाई के दौरान कुछ खास समुदाय के लोगों ने कई जगह धरना-प्रदर्शन किया था. इसलिए जरूरी है कि इसे मीडिया से दूर रखा जाए.”

वहीं कर्नल पुरोहित की दलील है कि इस दौरान तमाम ऐसे कागजात भी कोर्ट के समक्ष पेश करने होंगे जो गोपनीय भी हो सकते हैं और संवेदनशील भी. ऐसी स्थिति में हर बात की रिपोर्टिंग सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं होगी.

Iran | National Investigation Agency NIA
तस्वीर: IANS

हालांकि मामले के एक अन्य अभियुक्त रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय ने ये कहकर एनआईए की अपील का विरोध किया है कि एनआईए ने ये अपील इतनी देर बाद क्यों की है जब इसका कोई महत्व नहीं रह गया है. एनआईए की अपील का विरोध घटना के एक पीड़ित सैयद अहमद के पिता निसार बिलाल ने भी किया है और सवाल उठाया है कि एनआईए सुनवाई और अन्य बातों को इतना गोपनीय क्यों रखना चाहती है.

वहीं दूसरी ओर, मुंबई के पत्रकारों के एक समूह ने इस मामले की बंद कमरे में सुनवाई संबंधी एआईए की अपील का विरोध करते हुए विशेष अदालत में एक याचिका दायर की है. विभिन्न टीवी चैनलों और अखबारों के 11 पत्रकारों ने अपनी याचिका दायर कर एनआईए के अनुरोध पर ऐतराज जताया है. वकील रिजवान मर्चेंट और गायत्री गोखले के जरिए दाखिल याचिका में पत्रकारों ने कहा है कि सुनवाई में हिस्सा लेने से उन्हें रोकना लोगों के बीच महत्वपूर्ण सूचना पहुंचाने के उनके अधिकार के हनन की तरह है.

29 सितंबर 2008 को हुए मालेगांव धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों लोगों को गंभीर चोटें आईं थीं. नासिक जिले के मालेगांव शहर में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के पास यह धमाका हुआ था जहां एक मोटरसाइकिल में विस्फोटक पदार्थ छिपाकर रखा हुआ था.

Indien Bombenanschläge in Malegaon in 2006
फाइलतस्वीर: Getty Images/AFP

बाद में इस धमाके की जांच महाराष्ट्र एटीएस को सौंपी गई. एटीएस के तत्कालीन प्रमुख हेमंत करकरे ने जब इसकी जांच शुरू की तो मोटरसाइकिल मालिक की जांच उन्हें सूरत तके ले गई और यहीं से एटीएस के हाथ साध्वी प्रज्ञा ठाकुर तक पहुंचे. बाद में कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय भी एटीएस की गिरफ्त में आए. साल 2011 में महाराष्ट्र एटीएस ने मुंबई की विशेष मकोका अदालत में 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. आठ लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, जबकि चार को जमानत मिल गई. लेकिन गृह मंत्रालय के निर्देशों पर 13 अप्रैल 2011 को यह मामला महाराष्ट्र एटीएस से एनआईए को सौंप दिया गया.

13 मई 2016 को एनआईए ने सबूतों के अभाव मे अपनी चार्जशीट में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए. 28 जून 2016 को विशेष एनआईए कोर्ट ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था जबकि इससे एक महीने पहले ही जांच एजेंसी ने उन्हें क्लीन चिट दी थी.

25 अप्रैल 2017 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को सशर्त जमानत दे दी इसके अलावा साध्वी को ट्रायल कोर्ट में तारीखों पर उपस्‍थित होने का भी निर्देश कोर्ट ने दिया है और पासपोर्ट जमा कराने को कहा. 30 अक्‍टूबर 2018 को मुंबई की एक विशेष कोर्ट ने मालेगांव बम धमाका मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ आतंकी गतिविधियों, आपराधिक साजिश, हत्या व अन्य धाराओं में आरोप तय कर दिए.

इन सबके बीच, बीजेपी ने भोपाल से प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाया. प्रज्ञा ठाकुर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को हराकर लोकसभा भी पहुंच गईं. सांसद बनने के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अदालत से हर हफ्ते हाजिर होने संबंधी आदेश में छूट की मांग की थी लेकिन 20 जून 2019 को मुंबई की विशेष एनआईए कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की इस मांग को खारिज कर दिया.

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