आसाराम को ताउम्र कैद की सजा
२५ अप्रैल २०१८जोधपुर के एससी/एसटी कोर्ट ने खुद को संत बताने वाले आसाराम को नाबालिग से बलात्कार का दोषी करार देते हुए ताउम्र कैद की सजा सुनाई. बुधवार को मामले पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने दो अन्य दोषियों को 20-20 साल की सजा सुनाई. फैसला जोधपुर सेंट्रल जेल के भीतर ही अदालत लगाकर सुनाया गया. आसाराम अगस्त 2013 से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद है.
आसाराम पर यह दोष साबित हुआ कि उसने 2013 में अपने आश्रम में यूपी के शाहजहांपुर की एक किशोरी से बलात्कार किया. आसाराम के खिलाफ पोस्को एक्ट और एससी/एसटी एक्ट की धाराएं लगाई गई थी. अदालत के फैसले पर खुशी जताते हुए पीड़ित युवती के पिता ने कहा, "हमें न्याय मिला है. हम उन सब लोगों के शुक्रगुजार हैं जिन्होंने इस लड़ाई में सहारा दिया."
आसाराम पर चल रहे मुकदमों के जुड़े चार गवाहों पर सुनवाई के दौरान जानलेवा हमले भी हुए. पीड़िता के पिता ने आशा जताते हुए कहा कि "मुझे उम्मीद है कि जिन गवाहों की हत्या हुई या जिनका अपहरण हुआ, उन्हें भी न्याय मिलेगा."
फैसले से पहले आसाराम ने 12 बार जमानत की अर्जी भी दी, जो खारिज हो गई. छह बार निचली अदालत ने, तीन बार राजस्थान हाई कोर्ट ने और तीन बार सुप्रीम कोर्ट ने बेल एप्लीकेशन खारिज की. आसाराम की पैरवी भारत के सबसे मंहगे वकीलों में शुमार राम जेठमलानी और सुब्रह्मण्यम स्वामी कर रहे थे.
आसाराम पर गुजरात में भी बलात्कार का एक मुकदमा चल रहा है. सूरत की दो बहनों ने आसाराम और उसके बेटे नारायण साई पर बलात्कार और गैरकानूनी तरीके से बंदी रखने समेत कई आरोप लगाए हैं.
ओएसजे/एमजे (एएफपी, डीपीए)