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आंख के बदले आंख का इंसाफ

२० मई २०११

क्या आंख के बदले आंख का इंसाफ जायज है.. आप कहेंगे नहीं... लेकिन अगर कोई आपकी आंख में तेजाब डाल कर आपको जिंदगी भर के लिए अपाहिज कर दे तो...

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चौबीस साल की आमने बहरामी ईरान में इंजीनियरिंग पढ़ती थी. बेहद ज़हीन और बला की खूबसूरत. उसी के साथ पढ़ने वाला माजिद मोहाविदी उसके पीछे पड़ गया. उससे शादी की जिद करने लगा. बहरामी को माजिद में कोई दिलचस्पी नहीं थी. उसने एक बार और बार बार मना किया. एक लड़की का इनकार माजिद की फर्जी मर्दानगी को भेद गया और उसने बाल्टी भर तेजाब आमने के जिस्म पर उंडेल दिया.

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