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अरुणाचल प्रदेश में मताधिकार के सवाल पर हिंसा

प्रभाकर मणि तिवारी
१५ दिसम्बर २०२०

अरुणाचल प्रदेश में पंचायत चुनावों से पहले असम राइफल्स के पूर्व सैनिकों को मतदान का अधिकार देने के विरोध में हुई हिंसा के बाद चांगलांग जिले में धारा 144 लगाई गई है.

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Indien Assam Rifles
तस्वीर: Prabhakar Mani Tiwari/DW

अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय छात्र संगठन के अलावा कई दूसरे संगठन इन पूर्व सैनिकों को बाहरी बताते हुए उनको मतदान का अधिकार देने का विरोध कर रहे हैं. अरुणाचल प्रदेश छात्र संघ (आप्सू) ने सरकार से इस संवेदनशील मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने को कहा है. उसका कहना है कि गैर-अरुणाचली लोगों को मतदान का अधिकार नहीं दिया जा सकता. तीन ओर से म्यांमार से घिरे विजय नगर में असम राइफल्स के पूर्व सैनिकों को बसाया गया है. वहां तक पहुंचने के लिए 157 किमी दूर नजदीकी शहर मियाओ से छह से आठ दिनों तक पैदल चलना पड़ता है. इस हिंसा और उसके बाद फैले तनाव की वजह से 22 दिसंबर को होने वाला मतदान फिलहाल स्थगित कर दिया गया है.

किस बात पर है विवाद

आखिर अमूमन शांत रहने वाले अरुणाचल प्रदेश में ताजा विवाद और हिंसा की वजह क्या है? राज्य में जल्दी ही पंचायत चुनाव होने हैं. इसकी मतदाता सूची में राज्य के दुर्गम चांगलांग जिले के विजयनगर में बसे असम राइफल्स के पूर्व सैनिकों के नाम भी शामिल किए गए हैं. यह लोग अनुसूचित जनजाति तबके के हैं, लेकिन ताकतवर छात्र संघ (आप्सू) के अलावा कई अन्य युवा संगठन इसके खिलाफ हैं. उनका कहना है कि यह लोग बाहरी हैं. इसलिए उनके नाम मतदाता सूची से बाहर किए जाने चाहिए.

विजयनगर में सरकार ने 1960 के दशक में असम राइफल्स के पूर्व सैनिकों को बसाया था. यह लोग मूल रूप से अरुणाचल से बाहर के हैं. हालांकि अब स्थानीय आबादी में इनकी बहुलता है. बीते शुक्रवार को जब ऐसे ही एक पूर्व सैनिक ने पंचायत चुनावों के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया तो स्थानीय संगठनों की नाराजगी भड़क उठी. उन्होंने कई सरकारी दफ्तरों में आग लगा दी और स्थानीय थाने में भी तोड़-फोड़ की. छात्र संगठन इन लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाने और इनको राज्य से बाहर भेजने की मांग कर रहे हैं. उनकी यह मांग साल भर पुरानी है. पंचायत चुनावों के मौके पर उनकी नाराजगी उग्र रूप ले चुकी है.

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शांति के लिए स्थानीय गुटों की बैठकतस्वीर: Prabhakar Mani Tiwari/DW

हिंसा और आगजनी

अपनी मांग के समर्थन में इन संगठनों ने विजय नगर में जमकर हिंसा और आगजनी की. एक सरकारी अधिकारी बताते हैं, "योबिन स्टूडेंट्स यूनियन के नेतृत्व में चार सौ से ज्यादा लोगों ने पुलिस के अतिरिक्त सहायक आयुक्त (विशेष शाखा) के दफ्तर और स्थानीय पोस्ट आफिस में आग लगा दी. भीड़ ने स्थानीय थाने में तोड़फोड़ भी की.” राज्य पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी रोहित राजबीर सिंह ने बताया कि भीड़ ने हेलीपैड को भी नुकसान पहुंचाया. सिंह बताते हैं, "धारदार हथियारों से लैस भीड़ अपनी मांगों को तुरंत स्वीकार करने पर जोर दे रही थी. ऐसा नहीं होने के बाद लोग हिंसा और आगजनी पर उतारू हो गए.”

इस हिंसा के बाद सोमवार से इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है, लेकिन तनाव बना हुआ है. चांगलांग के पुलिस अधीक्षक मिहिन गांबो के नेतृत्व में भारी तादाद में पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों को मौके पर तैनात कर दिया गया है. आस-पास के जिलों से भी हैलीकाप्टर से वरिष्ठ अधिकारियों और अतिरिक्त जवानों को मौके पर भेजा गया है. हिंसा के सिलसिले में अब तक 24 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

विजयनगर सड़क मार्ग से राज्य के दूसरे इलाकों से नहीं जुड़ा है और वह तीन ओर से म्यामांर से घिरा है. इस इलाके की आबादी में 55 फीसदी असम राइफल्स के सेवानिवृत सैनिक हैं और बाकी लिसू तबके के लोग हैं जिनको योबिन जनजाति भी कहा जाता है. इलाके के 16 गांवों की कुल आबादी चार हजार से कुछ ज्यादा है.

चांगलांग के उपायुक्त देवांश यादव के मुताबिक हिंसा व आगजनी की घटना के संबंध में पांच एफआईआर दर्ज की गई हैं. यादव बताते हैं, "इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है. केवल सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ है. इलाके में शांति बहाल करने के लिए प्रशासन ने संबंधित पक्षों को बातचीत के लिए बुलाया है.”

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म्यांमार की सीमा पर है विजयनगरतस्वीर: Aaron Chhetri

बाहरी लोगों पर पाबंदी की मांग

अखिल अरुणाचल प्रदेश छात्र संघ (आप्सू) ने इस महीने की शुरुआत में सरकार से गैर-आदिवासियों और बाहरी लोगों के पंचायत और शहरी निकाय चुनावों में हिस्सा लेने पर पाबंदी लगाने की मांग की थी. उसकी दलील है कि इन लोगों को चुनाव में शामिल होने का अधिकार स्थानीय लोगों के अधिकारों में अतिक्रमण है. अब ताजा हिंसा के बाद संगठन ने राज्य सरकार से इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आत्ममंथन करने की अपील की है.

राजधानी इटानगर में जारी एक बयान में आप्सू ने कहा है कि सरकार ने चांगलांग जिले के स्थानीय योबिन जनजाति के लोगों की भावनाओं का ख्याल नहीं रखा. हिंसा व आगजनी सरकार के इसी रवैए का नतीजा है. सरकार को इससे सबक लेकर बाहरी लोगों के चुनावों में हिस्सा लेने पर फौरन पाबंदी लगानी चाहिए. योबिन समुदाय लंबे अरसे से बाहरी लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग करता रहा है. आप्सू ने अरुणाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1997 में संशोधन की अपनी पुरानी मांग को उठाते हुए कहा है कि सरकार को इस दिशा में शीघ्र पहल करनी चाहिए.

दूसरी ओर, गृह मंत्री बामांग फेलिक्स ने इस घटना पर आश्चर्य जताया है. फेलिक्स कहते हैं, "हमने योबिन स्टूडेंट्स यूनियन की मांगें स्वीकार करते हुए चुनाव टालने का फैसला किया था. हिंसा व आगजनी की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं. आधुनिक समाज में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है.”

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