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अमेरिका से बातचीत के लिए ईरान ने लगाई शर्त

२९ अगस्त २०१९

ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने कहा है कि अमेरिका अगर ईरान से बातचीत चाहता है तो वह 2015 में हुई परमाणु डील को माने और ईरानी लोगों के खिलाफ "आर्थिक आतंकवाद" बंद करे.

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Iran, Teheran:  Präsident Hassan Rouhani und Außenminister Mohammad Javad Zarif
तस्वीर: Reuters/Official President website

ईरान और अमेरिका के बीच तनाव पिछले साल तब बढ़ गया जब राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा पर लगाम लगाने के लिए की गई अंतरराष्ट्रीय डील से बाहर आने का एकतरफा एलान कर दिया. इसके साथ ही ईरान पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए गए. इसके नतीजे में ईरान ने धीरे धीरे नाभिकीय संवर्धन का स्तर बढ़ाना शुरू किया और उसने धमकी दी कि अगर उसे प्रतिबंधों से राहत नहीं मिली तो वह शुरुआती सितंबर में इसे और बढ़ा देगा.

मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में इस्लामी जगत में सुरक्षा के मुद्दे पर एक फोरम को संबोधित करते हुए ईरानी विदेश मंत्री ने कहा, "अमेरिका ईरानी लोगों के खिलाफ आर्थिक आतंकवाद चला रहा है और जब तक कि वह हम पर युद्ध थोपना और ईरान के लोगों के खिलाफ आर्थिक आतंकवाद को बंद नहीं कर देता तब तक हमारे लिए यह संभव नहीं है कि हम उससे बात करें. "

Frankreich | G7-Gipfel in Biarritz
जी7 में फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ अमेरिकी राष्ट्रपतितस्वीर: Reuters/C. Hartmann

ईरानी विदेश मंत्री ने 2015 के परमाणु डील के संदर्भ में कहा, "अगर वो इस कमरे में वापस आना चाहते हैं तो उसका टिकट है जो उन्हें खरीदना होगा और वह टिकट है डील को मानना." जवाद जरीफ ने कहा कि ईरान सिर्फ मुलाकात के लिए मिलना नहीं चाहता. उनका कहना है, "अगर कोई नतीजा निकलता है तभी हमें मिलने की जरूरत है."

इसी हफ्ते डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि वह ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी से सही परिस्थितियो में मुलाकात करने को तैयार हैं ताकि परमाणु डील पर चली आ रही तनातनी को खत्म किया जाए. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ईरान की अर्थव्यवस्था को चलाते रहने के लिए दुनिया के देशों से कर्ज का इंतजाम कैसे हो सकता है, इसके लिए बातचीत की जा रही है. ईरानी राष्ट्रपति का कहना है कि वह अमेरिका से तब तक बातचीत नहीं करेंगे जब तक कि सारे प्रतिबंध हटा नहीं लिए जाते.

जवाद जरीफ का यह भी कहना है कि ईरान ब्रिटिश ऑयल टैंकर के खिलाफ तेजी से कानूनी कार्रवाई करेगा. इस टैंकर को पिछले महीने होरमुज जलडमरूमध्य में पकड़ा गया था. जरीफ ने कहा, "हम ब्रिटिश टैंकर के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया को तेज करेंगे जो हमारे जहाज को पकड़ कर समुद्री अपराध करने के बाद से हमारी हिरासत में है." ईरानी विदेश मंत्री का कहाना है कि फारस की खाड़ी में कानून तोड़ने वाले जहाजों के प्रति नरमी नहीं दिखाई जाएगी.

G7-Gipfel in Frankreich Treffen Sarif und Macron
फ्रांस में जवाद जरीफतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Twitter Javad Zarif

ब्रिटेन के झंडे वाले स्टेना इम्पेरो को 19 जुलाई के दिन ईरानी बंदरगाहों की तरफ मोड़ दिया गया. इसके दो हफ्ते पहले ब्रिटेन ने एक ईरानी टैंकर को जिब्राल्टर की सीमा में पकड़ लिया था. अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों से होरमुज जलडमरूमध्य में जहाजों की आवाजाही की सुरक्षा के लिए अभियान में शामिल होने का आग्रह किया है. अब तक ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और बहरीन अमेरिकी नेतृत्व वाले इस अभियान में शामिल हो चुके हैं. अमेरिकी अनुरोध के बाद कई अंतरराष्ट्रीय जहाजों पर हमले हुए हैं, जिसके लिए अमेरिका ईरान को जिम्मेदार ठहराता है. इसके साथ ही ईरान ने ब्रिटेन के एक तेल टैंकर को भी पकड़ लिया है. ईरान मई और जून में हुए छह टैंकरों पर हमले में शामिल होने से इनकार करता है.

जरीफ का कहना है, "फारस की खाड़ी में जहाजों के प्रति हम उदार रहे हैं. वो यहां सी लेन, संपर्क और कचरा फेकने से जुड़े नियम तोड़ते हैं. अब कोई वजह नहीं है कि जो लोग अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ते हैं उनके प्रति नरमी दिखाई जाए.

फ्रांस के बियारित्स में जी7 की बैठक के दौरान सबको हैरान करते हुए जवाद जरीफ वहां पहुंच गए. जावेद जरीफ के अमेरिका आने पर प्रतिबंध लगा हुआ है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ईरान के साथ अंतरराष्ट्रीय परमाणु डील को बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं और ट्रंप के रोहानी से मुलाकात के लिए रजामंदी को उनकी बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है.

एनआर/एके (रॉयटर्स)

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