अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
८ मार्च २०१०जाति के नाम पर आरक्षण मिल गया. पिछड़े वर्ग के नाम पर आरक्षण मिल गया. धर्म के नाम पर आरक्षण मिल गया. और अब लिंग के नाम पर भी आरक्षण मिल जाएगा... विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई.परन्तु एक प्रश्न कचोट रहा है कि योग्यता, काबीलियत और कुशलता के नाम पर आरक्षण कब मिलेगा? नेताओं की पत्नियां, बहनें, रिश्तेदार, ऊंचे घरानों की बहू-बेटियां संसद में पहुंचेंगी. पर इन सब के बीच एक-आध अबला की भी शायद लॉटरी खुल जाए. भारतीय पंचायतों में महिला आरक्षण के लिए सीमा 50 प्रतिशत कर दी गई है. पंचायतों में इस प्रावधान को लेकर ग्रामीण भारत में कहीं पुरुष प्रधान समाज का विरोध है तो कहीं अबतक महिला आरक्षण के मुखौटे के पीछे से पति और अधिकारियों के वर्चस्व है.पिछले 13 वर्षों से महिला आरक्षण विधेयक सहमति के अभाव में लटका पड़ा है. जब भी इसे पेश करने की कोशिश हुई है संसद में ज़बरदस्त हंगामा हुआ है. बीते 13सालों में कई मौकों पर हंगामे, धक्का-मुक्की व प्रति फाड़ने की घटनाएं महिला विधेयक की राह रोक चुकी हैं.
रवि शंकर तिवारी, गुन्सेज , दिनारा सासाराम बिहार
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मैं आप लोगो का रेडियो कार्यक्रम नियमित रूप से सुन रहा हूं और हिंदी वेबपेज भी रोज़ इंटरनेट पर देखता हूं. अच्छा लगता है. बहुत सारी जानकारियां मिल जाती है. समय के अभाव से मैं आजकल आप लोगों को बहुत कम पत्र लिख पा रहा हूं. यह पत्र मैं आपको अपने मोबाइल से हिंदी फोंट में भेज रहा हूं । आशा है आप तक ज़रूर पहुंचेगा.
जिउराज बसुमतरी , जिला सोनितपुर, असम
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धड़कन कार्यक्रम में जर्मनी के हनोवर शहर में आयोजित विश्व के सबसे बड़े कंप्यूटर मेले सेबिट के बारे में विस्तृत जानकारी सुनने को मिली. विश्व की कुल 4000 आईटी कंपनियों के शामिल होने की जानकारी और इस मेले में रोबोट द्वारा फुटबाल खेलने और मेले को देखने वालों की बढ़ती तादाद इन सभी पर रिपोर्ट काफी उत्साहित करने वाली थी.
खोज कार्यक्रम में अनियंत्रित हाथ पैर के इलाज के लिए दिमाग में लगाये जाने वाले पेसमेकर की नयी जानकारी, सेबिट कंप्यूटर मेले में स्वीडन की आंखों के इशारे पर काम करने वाले कंप्यूटर की अनोखी जानकारी, विकलांग लोगों के लिए यह कंप्यूटर बड़ा सहारा बन सकता है.आखिर में साइबेरिया में जलवायु परिवर्तन से चिर्तुशार्वाली जमीन पिघलने पर हवा में गैस मुक्त होने पर अध्ययन के बारे में रिपोर्ट सुनाने को मिली जो पर्यावरण के प्रति और चिंता जताने वाली थी.
संदीप जावले , मार्कोनी डीएक्स क्लब , पारली वैजनाथ , महाराष्ट्र
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आइए कुछ और शेर सुनते हैं अपने श्रोता जावेद खान, गया, बिहार से:
आपकी याद को एहसान मानते हैं, उन्हें समेट के रखना ईमान मानते हैं,
वो और होंगे जो दोस्ती में जान देते हैं, हम तो दोस्त को ही अपनी जान मानते है.
खूबियां इतनी तो नहीं हम में कि किसी के दिल में हम घर बना पाएंगे,
पर भुलाना भी आसान ना होगा हमें, ऐसा एक पल ज़रूर दे जायेंगे.
दिल ने कहा कोई तुझे याद कर रहा है, मैंने सोचा ये दिल मज़ाक कर रहा है,
फिर जब आई मुझे हिचकी, तो ख्याल आया कि कोई मेरे एसएमएस का इंतेज़ा कर रहा है.
मांगा था मौत तो ज़िन्दगी दे दी, अंधेरों ने भी हमें रौशनी दे दी,
खुदा से पूछा क्या हसीन तोहफा है आप के पास, जवाब में उसने आप की दोस्ती दे दी.