क्यों खास है चिनाब पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून, 2025 को चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का उद्घाटन किया. इसे आठ साल से अधिक समय में 1,486 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है.
कश्मीर घाटी को जोड़ेगा चिनाब रेल ब्रिज
चिनाब नदी पर बना ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्क ब्रिज है. इसके उद्घाटन के बाद कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से ट्रेनों के जरिए जोड़ने की 42 साल पुरानी परियोजना पूरी हो गई.
एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा
नदी से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चिनाब रेल ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है. यह 1,315 मीटर लंबा स्टील ब्रिज है, जो पेरिस के एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा है. जम्मू और श्रीनगर के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के लिए यह ब्रिज अहम है.
इंजीनियरिंग का चमत्कार
यह ब्रिज 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं और भूकंपीय गतिविधियों को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है. पुल की अनुमानित आयु 120 साल है और इसकी लागत 1,486 करोड़ रुपये है. इस पर ट्रेन 100 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चल सकती है.
हर मौसम में रेल कनेक्टिविटी
चिनाब ब्रिज और अंजी पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (यूएसबीआरएल) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके अंतर्गत बना यह पुल कश्मीर घाटी को बाकी भारत से जोड़ेगा, यात्रा का समय घटाकर लगभग 3 घंटे कर देगा और क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देगा.
111 किमी रेल मार्ग का हिस्सा
चिनाब रेल ब्रिज कटरा से बनिहाल तक 111 किमी रेल मार्ग का हिस्सा है. यह रेल लाइन सर्दी के मौसम में भी कश्मीर को जोड़ कर रखेगी क्योंकि बर्फबारी के कारण अकसर सड़क बंद हो जाती है.
दशकों का इंतजार
यूएसबीआरएल परियोजना 1994 में शुरू हुई थी, जब इसे पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में मंजूरी दी गई थी. सक्रिय निर्माण कार्य 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के तहत शुरू हुआ, जिसने भूमि अधिग्रहण के लिए प्रारंभिक धनराशि आवंटित की.
एक ब्रिज, कई उम्मीद
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना पूरी तरह से बिजली आधारित है. 272 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन, हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में 36 सुरंगों और 943 पुलों से होकर गुजरती है और विकास, व्यापार और पर्यटन के नए रास्ते खोलती है.