अभी भी रूसी उर्वरक क्यों खरीद रहा है यूरोपीय संघ?
१० जून २०२५पिछले कुछ सालों में यूरोपीय संघ ने रूसी गैस और तेल के आयात को कम करने की पूरी कोशिश की है, लेकिन इन सबके बीच एक अहम चीज सभी की नजरों से ओझल हो गई और वह है रूसी उर्वरक का आयात. रूस वैश्विक स्तर पर उर्वरक का एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक देश है.
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से यूरोपीय संघ ने रूस से आयात होने वाले तेल और गैस में बड़े स्तर पर कटौती की है, लेकिन इस बीच रूसी उर्वरक की खरीद को बढ़ा दिया है. उर्वरक का इस्तेमाल किसान पौधों और फसलों को पोषक तत्व प्रदान करने के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने के लिए करते हैं.
यूरोपीय संघ के उर्वरक आयात में रूस की हिस्सेदारी 2022 में 17 फीसदी थी, जो बढ़कर अब लगभग 30 फीसदी हो गई है. सिर्फ 2024 में, आयात 33 फीसदी से अधिक बढ़कर 2 अरब डॉलर का हो गया. व्यापार से जुड़े आंकड़े उपलब्ध कराने वाले प्लेटफॉर्म ‘एमआईटी ऑब्जर्वेटरी ऑफ इकोनॉमिक कॉम्प्लेक्सिटी' के मुताबिक, रूस ने 2023 में कुल 15.3 अरब डॉलर मूल्य के उर्वरकों का निर्यात किया, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया. भारत और ब्राजील रूसी उर्वरकों के मुख्य बाजार हैं, लेकिन यूरोपीय संघ में भी काफी ज्यादा रूसी उर्वरक का आयात किया जाता है.
2023 में कुल रूसी निर्यात का 13 फीसदी हिस्सा ईयू के देशों में पहुंचा. हालांकि, जून की शुरुआत में यूरोपीय संसद ने रूस और बेलारूस से आयातित उर्वरकों पर 6.5 फीसदी शुल्क लगाने के यूरोपीय आयोग के प्रस्ताव का समर्थन किया. इस योजना के तहत 2028 तक शुल्क को 50 फीसदी तक बढ़ाने की बात की गई है.
यूरोपीय संघ इतना रूसी उर्वरक क्यों खरीदता है?
इस बात को समझने के लिए हमें पहले यह जानना होगा कि रूस किस तरह के उर्वरक का उत्पादन करता है और कैसे करता है. रूस मुख्य रूप से नाइट्रोजन-आधारित या रासायनिक उर्वरक बनाने में माहिर है. इस उर्वरक को बनाने के लिए कच्चे माल और ऊर्जा, दोनों के लिए बड़ी मात्रा में प्राकृतिक गैस की जरूरत होती है.
यूरोपीय संघ के कई देशों को नाइट्रोजन-आधारित उर्वरकों की आवश्यकता होती है, क्योंकि वे विशेष रूप से नाइट्रोजन के साथ-साथ फास्फोरस और पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं.
अमेरिका के मैकलेस्टर कॉलेज में भूगोल के प्रोफेसर और खाद्य सुरक्षा एवं पोषण के लिए बने संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय विशेषज्ञ पैनल के सदस्य विलियम मोस्ले ने डीडब्ल्यू को बताया कि रूस इस मांग को पूरा करने के लिए विशेष रूप से अच्छी स्थिति में है, क्योंकि वह सस्ती गैस का इस्तेमाल करके यूरोपीय प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बहुत कम कीमत पर उर्वरक का उत्पादन कर सकता है. वहीं, यूरोपीय उर्वरक उद्योग ने आरोप लगाया है कि रूस यूरोपीय संघ के बाजार में सस्ते उर्वरक ‘डंप' कर रहा है.
यूक्रेन पर हमले के बाद जब यूरोपीय संघ में ऊर्जा की कीमतें आसमान छूने लगीं और ऊर्जा बाजार में उथल-पुथल मच गया, तो नाइट्रोजन-आधारित उर्वरक बनाने वाली कई यूरोपीय कंपनियों को अपना उत्पादन रोकना पड़ा. अब वे रूस की तुलना में बाजार में हिस्सेदारी खो चुके हैं और प्रतिस्पर्धा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
यूरोपीय संघ के पास क्या विकल्प हैं?
मोस्ले के मुताबिक, यूरोपीय संघ की ओर से शुल्क लगाए जाने की योजनाओं से पता चलता है कि वह 2028 तक रूसी उर्वरक से खुद को दूर करने की पूरी कोशिश में जुट गया है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "इससे यूरोपीय संघ के देशों को कहीं और से रासायनिक उर्वरक हासिल करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.” उन्होंने चीन, ओमान, मोरक्को, कनाडा या अमेरिका को संभावित वैकल्पिक बाजारों के तौर पर बताया.
मोस्ले का मानना है कि यूरोपीय संघ के पास दो अन्य विकल्प हैं: या तो वह अपने खुद के नाइट्रोजन-आधारित उर्वरक का उत्पादन बढ़ाए, जो प्राकृतिक गैस की काफी ज्यादा जरूरत के कारण बहुत महंगा पड़ेगा, या फिर वह खाद और जैविक कचरे से बने जैविक उर्वरक का इस्तेमाल बढ़ा दे. उन्होंने कहा कि यह विकल्प ‘अधिक टिकाऊ और मिट्टी के लिए बेहतर है.'
मोस्ले कहते हैं, "यूरोपीय संघ रासायनिक खाद के आयात से पूरी तरह से छुटकारा तो नहीं पा सकता, लेकिन वह घरेलू जैविक खाद के उत्पादन पर अपनी निर्भरता बढ़ा सकता है. अगर यह प्रक्रिया धीरे-धीरे अपनाई जाए, तो इसके सकारात्मक नतीजे देखने को मिलेंगे.”
यूरोपीय संघ ने खुद स्वीकार किया है कि वह पशुओं के गोबर और मूत्र से उर्वरक का उत्पादन करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है. कृषि और खाद्य से जुड़े मामलों को देखने वाले यूरोपीय आयुक्त क्रिस्टोफ हान्सेन ने फरवरी में कहा था कि पशुधन क्षेत्र जैविक उर्वरक के जरिए ‘चक्रीय अर्थव्यवस्था में एक सकारात्मक योगदान दे सकता है, क्योंकि यह घरेलू स्तर पर पैदा होता है, इसे बाहर से लाने की जरूरत नहीं पड़ती और इसके लिए महंगी गैस जैसी ऊर्जा की जरूरत नहीं होती.'
चक्रीय अर्थव्यवस्था एक ऐसा मॉडल है जो हमें संसाधनों का अधिक समझदारी से इस्तेमाल करने और कचरा कम करने के लिए प्रेरित करता है, ताकि हम एक टिकाऊ और स्वच्छ भविष्य का निर्माण कर सकें.
यूरोपीय संघ की योजना कैसे काम करेगी?
मोस्ले का मानना है कि अगर यूरोपीय संघ के उर्वरक शुल्क 2028 तक योजना के अनुसार लागू किए जाते हैं, तो इससे धीरे-धीरे ईयू के बाजार से रूसी आयात समाप्त हो जाएगा. उन्होंने बताया, "2028 तक, शुल्क इतने अधिक हो जाएंगे कि यूरोपीय संघ के लिए रूस और बेलारूस से रासायनिक उर्वरक आयात करना आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं रह जाएगा.”
यूरोपीय संघ के प्रतिबंध जुलाई से लागू होंगे और इस दौरान विशेष रूप से कृषि से जुड़े उन उत्पादों पर ध्यान दिया जाएगा जिन्हें अब तक अनदेखा किया गया है, जैसे कि उर्वरक.
यूरोपीय संघ ने अपने एक बयान में कहा कि ईयू अगर उर्वरक जैसे जरूरी सामान के लिए रूस पर निर्भर रहेगा, तो रूस किसी भी समय दबाव बना सकता है, जिससे यूरोपीय देशों की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.
प्रतिबंधों को अगले तीन वर्षों में धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से इसलिए लागू किया जा रहा है कि इस दौरान ईयू के किसानों को विकल्प तलाशने का समय मिल जाए, खासकर यदि वे पहले से ही रूसी उर्वरकों पर निर्भर हैं.
क्या किसान और उर्वरक उत्पादक खुश हैं?
यूरोपीय संघ की शुल्क योजनाओं को लेकर जारी एक बयान में ‘फर्टिलाइजर यूरोप' इंडस्ट्री ग्रुप के अध्यक्ष लियो एल्डर्स ने कहा कि यूरोप में रूसी उर्वरकों के बढ़ते आयात की वजह से लंबे समय से ‘निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा कमजोर हो गई है और घरेलू उत्पादक दबाव में हैं.'
उच्च शुल्क को और अधिक तेजी से लागू करने की मांग करते हुए एल्डर्स ने लिखा कि ‘बाजार में सभी के लिए समान अवसर पैदा करने के साथ-साथ, शुल्क से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि यूरोप के उर्वरक उत्पादक आने वाले कई वर्षों तक अपने किसानों को बेहतरीन और पर्यावरण के अनुकूल उर्वरक दे सकें.'
हालांकि, किसान खुश नहीं हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यूरोपीय संघ ने रूसी उर्वरक की जगह लेने वाले ऐसे विकल्प तैयार करने के लिए पर्याप्त काम नहीं किया है जो किसानों के लिए सस्ते और आसानी से उपलब्ध हों.
यूरोपीय संघ के दो प्रमुख कृषि संगठन कोपा और कोसेगा ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि ईयू उर्वरक की आपूर्ति अलग-अलग जगहों से सुनिश्चित करने के लिए एक स्पष्ट रणनीति पेश करे.
उन्होंने कहा कि अगर यूरोपीय संघ ने रूसी और बेलारूसी उर्वरकों पर निर्भरता कम करने का फैसला किया है, तो उसे एक ‘विश्वसनीय और दूरदर्शी' विकल्प उपलब्ध करना चाहिए. बयान में यह भी कहा गया है कि ‘हम किसानों की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने या पूरे यूरोपीय संघ में लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डालने का जोखिम नहीं उठा सकते.'