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लड़कों में क्यों बढ़ रही है लड़कियों जैसे स्तन की समस्या?

रामांशी मिश्रा
१४ अगस्त २०२५

गायनेकोमैस्टिया से पीड़ित लड़कों के शरीर में ना केवल लड़कियों जैसे स्तन दिखने लगते हैं बल्कि इसके चलते उन्हें कई तरह की सामाजिक और मानसिक परेशानी भी झेलनी पड़ती है. विशेषज्ञों की मानें तो इसका सफल इलाज किया जा सकता है.

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सर्जरी के बाद एक मरीज की छाती
कुछ लड़कों में प्यूबर्टी की शुरुआत होने के साथ ही हार्मोनल असंतुलन के चलते ब्रेस्ट के आसपास के एरिया में लड़कियों की तरह बदलाव आने लगता है, जिसका अकसर सर्जरी से ही इलाज हो सकता हैतस्वीर: Dr. Brijesh Mishra

12वीं कक्षा में पढ़ने वाला छात्र रोहित (बदला हुआ नाम) अपने माता-पिता के साथ प्लास्टिक सर्जन के पास पहुंचा. उसकी परेशानी यह थी कि उसके स्तन शरीर में उभरे हुए से नजर आते थे और इसकी वजह से वह अपने दोस्तों के बीच शर्म महसूस करता था. रोहित के डॉक्टर से गुजारिश थी कि वह उसके स्तन की सर्जरी कर इसे ठीक कर दें. हालांकि उसके अभिभावक इस उम्र में सर्जरी करवाने के लिए तैयार नहीं थे. इसके बाद रोहित की काउंसलिंग की गई और कुछ समय बाद दोबारा इसके लिए डॉक्टर के पास आने की सलाह दी गई.

युवा पुरुषों के स्तन बढ़ने की इस समस्या को गायनेकोमैस्टिया कहा जाता है
युवा पुरुषों के स्तन बढ़ने की इस समस्या को गायनेकोमैस्टिया कहा जाता हैतस्वीर: Dr. Brijesh Mishra

इसी तरह 28 वर्षीय अली (बदला हुआ नाम) केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में अपनी परेशानी लेकर पहुंचे. जिम जाने वाले अली का कहना था की उम्र के इस पड़ाव पर उनके स्तन अलग से नजर आते हैं जिसकी वजह से उन्हें लोगों के साथ बैठने में तो शर्म आती है. अली को दूसरों के साथ स्विमिंग पूल जैसी किसी एक्टिविटी में भी हिस्सा लेने में परेशानी आती है. अली के मुताबिक स्विमिंग पूल या जिम में टी-शर्ट शरीर से चिपकती है जिसके बाद स्तन लड़कियों जैसे दिखने लगते हैं इसलिए वह अपने स्तन की सर्जरी करवाना चाहते हैं.

यह मामले महज उदाहरण हैं, एक ऐसी समस्या के, जिससे युवा पुरुष अकसर जूझते नजर आ रहे हैं. दरअसल इस समस्या को गायनेकोमैस्टिया कहा जाता है. बीते कुछ समय से इस समस्या को लेकर पुरुषों में जागरूकता काफी बढ़ी है और इसे लेकर के वह सर्जरी करवाने के लिए कॉस्मेटोलॉजिस्ट और प्लास्टिक सर्जन के पास पहुंच रहे हैं.

युवा पुरुषों के बढ़े हुए स्तनों को सर्जरी के जरिए हटाना एक सफल और सुरक्षित तरीका माना जाता है
युवा पुरुषों के बढ़े हुए स्तनों को सर्जरी के जरिए हटाना एक सफल और सुरक्षित तरीका माना जाता हैतस्वीर: Dr. Brijesh Mishra

लगातार बढ़ रहे हैं गायनेकोमैस्टिया के मामले

लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में गायनेकोमैस्टिया से प्रभावित लोग बड़ी संख्या में आ रहे हैं. विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉक्टर बृजेश मिश्रा डीडब्ल्यू को बताते हैं, "एक सप्ताह में चार से पांच लड़के ऐसे आते हैं जिनमें गायनेकोमैस्टिया की परेशानी होती है और वह इसकी सर्जरी करवाना चाहते हैं.”

गायनेकोमैस्टिया असल में दो तरह का होता है- पहला ग्लैड्यूलर और दूसरा फैटी. डॉ मिश्रा का कहना है कि गायनेकोमैस्टिया को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है. ग्लैंड्यूलर परेशानी में हार्मोनल डिस्टरबेंस सामने आते हैं, जिसमें एस्ट्रोजन की मात्रा टेस्टोस्टेरोन से अधिक हो जाती है और लड़कों की छाती उभरने लगती है. इसके अलावा फैटी गायनेकोमैस्टिया में मोटापे की परेशानी की वजह के बाद स्तन में फैट जमा हो जाता है, जो वजन कम होने के बाद भी स्तन से नहीं जाता. डॉ. मिश्रा के अनुसार, "फैटी गायनेकोमैस्टिया ज्यादातर उन लोगों में देखा जाता है, जिन्होंने हाल ही में वजन कम किया हो.”

ज्यादातर मामलों में यह वसा यानी फैट जमा होता है पर इसके साथ ही कभी-कभी स्तन के आसपास की कुछ ग्रंथियां भी इसमें शामिल होती हैं
ज्यादातर मामलों में यह वसा यानी फैट जमा होता है पर इसके साथ ही कभी-कभी स्तन के आसपास की कुछ ग्रंथियां भी इसमें शामिल होती हैंतस्वीर: Dr. Rajeev Agrawal

डॉ वैभव खन्ना लखनऊ में मैक्स हॉस्पिटल के प्लास्टिक सर्जरी और कॉस्मेटोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं. वह कहते हैं, "युवाओं में इस समय गायनेकोमैस्टिया की परेशानी काफी बढ़ गई है. इस समस्या से ग्रस्त ज्यादातर 12 वर्ष से 25-30 वर्ष के युवा होते हैं. इसमें कहीं न कहीं उनके खान-पान में हो रहे बदलाव का असर दिख रहा है.”

डॉ. खन्ना का कहना है लड़कों में प्यूबर्टी की शुरुआत होने के साथ ही हार्मोनल असंतुलन के चलते ब्रेस्ट के आसपास के एरिया में लड़कियों की तरह बदलाव आने लगता है. ज्यादातर मामलों में यह वसा यानी फैट जमा होता है पर इसके साथ ही कभी-कभी स्तन के आसपास की कुछ ग्रंथियां भी इसमें शामिल होती हैं.

इडियोपैथिक है गायनेकोमैस्टिया

लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, एसजीपीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ राजीव अग्रवाल के पास भी गायनेकोमैस्टिया से परेशान लड़के काफी संख्या में आते हैं. डॉ राजीव कहते हैं कि लड़कों के लिए यह सामाजिक दबाव वाली परेशानी है जो साफ तौर पर सामने झलकती है, कपड़ों में दिखती है. इस वजह से न केवल सामाजिक बल्कि उनकी मानसिक स्थिति भी काफी उलझ जाती है.

पुरुषों वाला हॉर्मोन

डॉ राजीव बताते हैं कि पुरुषों में हार्मोन टेस्टोस्टेरोन की जगह पर उनके शरीर में ही मौजूद फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन की मात्रा में बढ़ोतरी होने से गायनेकोमैस्टिया जैसी परेशानी सामने आती है. इसकी जांच के लिए एंडोक्राइनोलॉजिकल प्रोफाइल टेस्ट करवाया जाता है. इसके जरिए उनके हार्मोन के स्तर का पता लगाया जाता है. इसके बाद उनके सर्जरी की स्थिति तय की जाती है. डॉ. अग्रवाल ने डीडब्ल्यू को बताया, "ज्यादातर मामले इडियोपेथिक होते हैं यानी उनके होने का कोई कारण पता नहीं चल पाता. 90 फीसदी मामलों में लड़कों की जांच में सब कुछ सामान्य निकलता है.”

खानपान का सबसे ज्यादा असर

डॉ राजीव अग्रवाल का कहना है कि इस तरह के मामले ज्यादातर समाज के मिडिल और अपर मिडिल क्लास में ही सामने आते हैं. मोटे तौर पर डॉक्टर इनके खानपान की आदतों को ही इस समस्या का प्रमुख कारण मानते हैं. हो ये रहा है कि हार्मोनल बदलाव की उम्र में लड़के काफी वसायुक्त खाना खाते हैं. ऐसा खाना जिसे आमतौर पर जंक कहा जाता है. इसकी वजह से मोटापे की स्थिति भी बनती है और साथ ही गायनेकोमैस्टिया की समस्या भी सामने आ जाती है.

इसके अलावा इस समस्या के उपाय के तौर पर जो लड़के जिम जाने लगते हैं और उन्हें लगता है कि जिम से इसे ठीक किया जा सकता है तो यह भी एक मिथक ही है. डॉ अग्रवाल का कहना है कि कोई कितना भी जिम कर ले, गायनेकोमैस्टिया की परेशानी जिम से नहीं खत्म होती.

सर्जरी एकमात्र उपाय और पूरी तरह से सफल

डॉ राजीव अग्रवाल का कहना है कि इस तरह के मामलों में दवाई या हार्मोनल ट्रीटमेंट नहीं दिया जा सकता क्योंकि हर व्यक्ति के शरीर पर हार्मोन का असर अलग-अलग तरह से होता है. इस तरह की स्थिति में दवाइयां विपरीत असर कर सकती हैं. वहीं इस स्थिति में सर्जरी ही एकमात्र और काफी कारगर उपाय बताया जा रहा है. डॉक्टर अग्रवाल का कहना है कि गायनेकोमैस्टिया की सर्जरी पूरी तरह से सफल होती है और तुरंत ही परिणाम देती है. यानी जो मरीज उभरे हुए स्तन के साथ हमारे पास आता है वह सर्जरी के तुरंत बाद सामान्य लड़कों के जैसे अपने स्तन को देख सकता है जिससे उनका मानसिक दबाव भी कम होता है.

गायनेकोमैस्टिया की सर्जरी के दौरान स्तन की ग्लैंड्यूलर टिशूज को भी निकाल दिया जाता है ऐसे में इस समस्या के दोबारा सामने आने की भी कोई शंका नहीं रह जाती. 

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डॉ वैभव खन्ना के अनुसार, गायनेकोमैस्टिया के लिए पहले ऑपरेशन जैसी मेजर सर्जरी की जाती थी अब एन्डोस्कोपी और लाइपोसीजर प्रक्रिया से भी इसे आसानी से हटाया जा सकता है. डॉ बृजेश मिश्रा भी बताते हैं कि यह मजह दो से ढाई घंटे की सर्जरी होती है, जिसके बाद मरीज को कुछ व्यायाम और बेहतर रिकवरी के लिए प्रेशर गारमेंट पहनाया जाता है. प्रेशर गारमेंट्स उन जगहों पर पहनाया जाता है जहां पर लाइपोसक्शन सर्जरी की गई हो ताकि शरीर का वह हिस्सा अपने सही स्वरूप में आ सके. इसे हर मरीज के नाप के अनुसार बनाया जाता है.

डॉक्टर खन्ना कहते हैं, "इस सर्जरी के बाद एक खास बात पर ध्यान देना जरूरी होता है, वह है - जो युवा जिम जाते हैं उन्हें पाउडर या किसी अन्य तरह के सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए. डिब्बा बंद या बोतल बंद एनर्जी ड्रिंक और अन्य तरह के खान-पान से भी परहेज करना जरूरी है.”