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समाजईरान

ईरानी महिलाएं खुलकर कर रही हैं हिजाब पहनने के नियम का विरोध

शबनम फॉन हाइन
२२ मई २०२५

ईरानी महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर हिजाब पहनने के नियम का अब खुलकर विरोध कर रही हैं. सरकार के दबाव के बावजूद, इस सामाजिक बदलाव की लहर थमती नजर नहीं आ रही है.

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ईरान की सड़कों पर बिना हिजाब पहने जाती एक महिला
ईरान की सड़कों पर बिना हिजाब पहने जाती एक महिला तस्वीर: AFP/Getty Images

हाल ही में राजधानी तेहरान में अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले के दौरान ईरान के एक रूढ़िवादी नेता अली मोताहारी ने पत्रकारों से कहा, "हिजाब को लेकर सरकार की मौजूदा नीति कोई सख्त नियमों के पालन के लिए नहीं है.” उन्होंने बताया कि पुलिस को केवल गंभीर उल्लंघन की स्थिति में ही हस्तक्षेप करना चाहिए.

उन्होंने कहा, "आपको पता होना चाहिए कि 1979 की क्रांति से पहले शाह के जमाने में भी अगर महिलाएं सार्वजनिक तौर पर ठीक से कपड़े नहीं पहनती थीं, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता था.” ईरान में हिजाब पहनना अब भी अनिवार्य है.

हालांकि, सितंबर 2022 में पुलिस हिरासत में जीना महसा अमीनी की मौत के बाद शुरू हुए देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों से पहले मोताहारी भी उन रूढ़िवादी नेताओं में से ही एक थे, जो अकसर उन महिलाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते थे, जो ड्रेस कोड से जरा भी हटकर कपड़े पहनती थीं.

उन्होंने 2014 में बयान दिया था, "औरतों को कोट के नीचे पैंट पहनने की अनुमति क्यों दी जा रही है?” उन्होंने अधिकारियों से ऐसी महिलाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की थी.

'एक बदला हुआ देश'

तेहरान की एक जेंडर रिसर्चर और पत्रकार ने डीडब्ल्यू को बताया, "पिछले तीन सालों में हमने जो हासिल किया है, उसे अब सरकार हमसे छीन नहीं सकती है.” उन्होंने डीडब्ल्यू से उनका नाम ना छापने की अपील की क्योंकि उन्हें अकसर उनके विचारों के लिए सरकार से चेतावनी मिलती रहती है और अनजान लोग उन्हें जान से मारने की धमकी भी देते रहते हैं.

वह उन महिलाओं में से एक हैं, जो ना केवल सार्वजनिक रूप से हिजाब पहनने से इनकार करती हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं को भी यह फैसला लेने के लिए प्रेरित करती हैं कि वह सच में हिजाब पहनना चाहती हैं या नहीं.

वह बताती हैं, "वो अब हमें मजबूर नहीं कर सकते हैं कि हम उनके बनाए नियमों को मानें और घर से बाहर निकलने के लिए सिर ढकें.”

उन्होंने यह भी बताया कि जीना महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में काफी बदलाव हुआ है. जैसे बारह मई को ईरानी लेखिका और कवयित्री, शिवा अरिस्तोई का जनाजा महिलाओं ने बिना हिजाब के उठाया. हालांकि, पारंपरिक रूप से जनाजा उठाना पुरुषों का काम माना जाता है. लेकिन "वुमन, लाइफ, फ्रीडम” (महिला, जिंदगी, आजादी) आंदोलन के बाद से अब अधिक से अधिक महिलाएं अनिवार्य हिजाब के बिना जनाजों में शामिल हो रही हैं और अपने प्रियजनों का जनाजा भी खुद उठा रही हैं.

इसके बावजूद अधिकतर महिलाएं अंतरराष्ट्रीय मीडिया से दूरी बनाकर रखती हैं और सार्वजनिक नजर से बचती हैं ताकि वह बिना किसी दिक्कत के अपने रास्ते पर आगे बढ़ सकें. अंतरराष्ट्रीय मीडिया से किसी भी तरह का संपर्क "शासन के खिलाफ प्रोपेगेंडा”, "दुश्मन सरकार का सहयोग” और "विदेशी आदेश का पालन” अपराध ठहराया जा सकता है.

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जैसे पुरस्कार-विजेता पत्रकार, नीलोफर हमेदी को सरकार ने हाल में निशाना बनाया. 2022 में जीना महसा अमीनी की मौत पर रिपोर्ट करने के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय सराहना मिली थी.

उनकी रिपोर्ट में अमीनी के दुखी माता-पिता की एक तस्वीर भी थी. यह तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और पूरे देश में फैले विरोध-प्रदर्शनों की पहचान बन गई. 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद यह विरोध-प्रदर्शन ईरान का सबसे बड़ा आंदोलन बन गया.

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हमेदी को "दुश्मन सरकार का सहयोग,” "शासन के खिलाफ प्रोपेगेंडा” और अन्य आरोपों के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था. जिसके बाद उन्हें 13 साल की जेल की सजा सुनाई गई. हालांकि, 17 महीने बाद, जनवरी 2024 में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया और फरवरी 2025 में ईरान के सर्वोच्च नेता, अयातोल्लाह अली खामेनेई ने उन्हें और उनकी सहयोगी, इलाहेह मोहम्मदी को माफ कर दिया.

देश को हिला देने वाली उस रिपोर्ट के 2,800 दिन बाद, 11 मई को एक बार फिर उनका नाम ईरान के प्रमुख फारसी अखबार, शरघ में एक लेख के साथ दिखाई दिया. नीलोफर हमेदी को अब ईरान में फिर से पत्रकार के रूप में काम करने की अनुमति मिल गई है.

'सरकार के पास इस बदलाव को रोकने की ताकत नहीं है'

तो क्या सरकार ने महिलाओं के आगे घुटने टेक दिए हैं?  महिला अधिकार कार्यकर्ता और धर्मशास्त्री, सेदीघह वासमाघी ने डीडब्ल्यू से कहा कि ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा, "राजनीतिक व्यवस्था ने महिलाओं के इस प्रतिरोध को स्वीकार नहीं किया है. लेकिन अब सरकार के पास न तो इस बदलाव को रोकने की ताकत है और न ही उसे पलटने की क्षमता.”

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वासमाघी ने अनिवार्य हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लिया था और अब वह सार्वजनिक रूप से हिजाब नहीं पहनती हैं. अप्रैल 2023 में उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता, खामेनेई को एक सार्वजनिक पत्र लिखा. जिसमें उन्होंने हिजाब अनिवार्यता पर उनके फरमान की आलोचना की और कहा कि कुरान में ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है.

मार्च 2024 में उन्हें "शासन के खिलाफ प्रोपेगेंडा” और "सार्वजनिक तौर पर हिजाब के बिना दिखने” के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्हें पैरोल पर रिहा कर दिया गया था. 

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उन्हें कभी भी फिर से दोबारा गिरफ्तार किया जा सकता है. लेकिन उन्हें इसका डर नहीं है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "ईरान की सरकार इस वक्त अंदरूनी और विदेशी नीतियों से जुड़ी बड़ी समस्याओं का सामना कर रही है और फिलहाल उसकी हालत यह नहीं है कि वह पूरे देश की महिलाओं, खासकर किशोरियों और युवतियों से निपट सके जो अब हिजाब पहनना नहीं चाहती हैं.”

ईरान में महिलाओं की सार्वजनिक निगरानी के लिए एक विवादास्पद कानून लाने पर बहस चल रही है. इस कानून में उन महिलाओं के लिए सजाएं तय होंगी, जो सार्वजनिक रूप से हिजाब पहनने से इनकार करती हैं. इस कानून की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "सरकार के लिए अब समय को पलटना मुमकिन नहीं है.”