हिमालयी क्षेत्र में क्यों होता है प्राकृतिक आपदाओं का अधिक खतरा
भारत में हिमालयी क्षेत्र 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैला हुआ है. इनमें उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्य शामिल हैं. मॉनसून के दौरान, इन इलाकों को अधिक प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है.
नाजुक होते हैं पर्वतीय क्षेत्रों के ईकोसिस्टम
इंटरनेशनल माउंटेन कॉन्फ्रेंस की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, हिमालय जैसे पर्वतीय क्षेत्र अपनी जटिल बनावट, नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और लगातार बदलती जलवायु परिस्थितियों की वजह से विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के प्रति काफी अधिक संवेदनशील होते हैं.
कई रूपों में आती हैं प्राकृतिक आपदाएं
भारत का हिमालयी क्षेत्र कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है, जिसमें भूस्खलन, भूकंप, बादल फटना और ग्लेशियर लेक की वजह से आने वाली बाढ़ शामिल है. ये आपदाएं आबादी क्षेत्र, बुनियादी ढांचे और जैव विविधता के लिए गंभीर खतरे पैदा करती हैं.
मॉनसून के मौसम में होता है अधिक खतरा
एक अध्ययन के मुताबिक, हिमालय क्षेत्र में बसे विभिन्न इलाकों में मॉनसून के दौरान जल-संबंधी आपदाएं आती हैं. इस दौरान आमतौर पर बादल फटने और अचानक बाढ़ आने की घटनाएं दर्ज की जाती हैं. बादल फटने के दौरान, किसी एक इलाके में बहुत कम समय में बहुत अधिक बारिश होती है.
निचले इलाकों में मचती है तबाही
हिमालयी क्षेत्र में अधिकतर नदियां संकरी घाटियों से होकर बहती हैं. बादल या ग्लेशियर झील के फटने की स्थिति में पानी के तेज बहाव के साथ बड़ी मात्रा में मलबा भी आ जाता है. इससे नदियों के रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं और निचले इलाकों में अचानक बाढ़ की स्थिति बन जाती है.
आपदाओं में रही 44 फीसदी हिस्सेदारी
डाउन टू अर्थ पत्रिका में प्रकाशित हुए एक विश्लेषण के मुताबिक, साल 2013 से 2022 के दौरान पूरे देश में 156 आपदाएं दर्ज की गईं, जिनमें से 68 आपदाएं केवल हिमालयी क्षेत्र में हुईं. देश के भौगोलिक क्षेत्र में 18 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले हिमालयी क्षेत्र की आपदाओं में हिस्सेदारी 44 फीसदी रही.
बाढ़ का रहता है सबसे अधिक खतरा
भारतीय हिमालयी क्षेत्र में सबसे ज्यादा खतरा बाढ़ आने का होता है. सन 1903 से लेकर अब तक इस क्षेत्र में 240 आपदाएं दर्ज की गई हैं. इनमें से 132 बाढ़ संबंधी आपदाएं हैं. इसके बाद, भूस्खलन की 37, तूफान की 23, भूकंप की 17 और चरम तापमान की 20 आपदाएं दर्ज की गई हैं.
सिक्किम में हुई थी करीब 180 लोगों की मौत
अक्टूबर 2023 में सिक्किम राज्य में भारी बारिश के चलते एक ग्लेशियर झील फूट गई थी और उसके बाद इलाके में बाढ़ आ गई थी. इस आपदा में करीब 180 लोगों की मौत हो गई थी. जानकारों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण पर्वतीय क्षेत्र गर्म हो रहे हैं और ऐसी घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है.
उत्तराखंड में गई थी 200 लोगों की जान
फरवरी 2021 में उत्तराखंड में अचानक आई बाढ़ में दो हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट बह गए थे. पानी के तेज बहाव के साथ चट्टानें और मलबा धौलीगंगा नदी घाटी में पहुंच गया था. इस दौरान, 200 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. इससे पहले, साल 2013 में भी उत्तराखंड में भारी तबाही मची थी.
विकास परियोजनाओं से बढ़ रहा खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और पर्वतीय क्षेत्रों में चल रहीं विकास परियोजनाओं से प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ा है. एक अध्ययन के मुताबिक, हिमालयी क्षेत्र राष्ट्रीय औसत की तुलना में अधिक तेजी से गर्म हो रहा है, इससे भविष्य में आपदाओं की संख्या और बढ़ सकती है.